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    गोमो: धूल फांक रहा आठ करोड़ की लागत से बना अस्‍पताल, मरहम पट्टी तक कराने के लिए स्‍थानीय लोग हुए मोहताज

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Wed, 21 Dec 2022 02:28 PM (IST)

    गोमो बाजार परिसर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से बने अस्‍पताल में कोई डॉक्‍टर नहीं होने की वजह से लोगों को इलाज कराने के लिए कहीं बाहर का रुख करना पड़ता है। जबकि अस्‍पताल भवन को बनाने में पूरे आठ करोड़ रुपये का खर्च आया है।

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    आठ करोड़ रुपये से बना गोमो अस्‍पताल सिर्फ शोभा बढ़ा रहा है

    मनोज स्वर्णकार, गोमो। गोमो बाजार जीतपुर स्वास्थ्य केंद्र परिसर में लगभग आठ करोड़ रुपये खर्च करा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से 30 बेडों का एक अस्पताल बनाया गया है। यहां चिकित्सक नहीं हैं। मामूली चोट पर मरहम पट्टी करने वाले ड्रेसर भी नहीं हैं। इस कारण यहां इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले आम लोगों को या तो लौटना पड़ता है या तो बाहर जाना पड़ता है। यह आठ करोड़ का भवन केवल परिसर का शोभा बढ़ा है।

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    गोमो के लोग अस्‍पताल की स्थिति से परेशान

    पिछले तीन दिनों से दैनिक जागरण की टीम इस अस्पताल में पहुंची हुई थी। शनिवार को दुर्गा हाड़ी अपने बच्चे व पत्नी को लेकर यहां आए थे। यहां इलाज नहीं हुआ, सिर्फ टेक्नीशियन ने जांच की प्रक्रिया पूरी की। मंगलवार को भी अस्पताल में दो एएनएम उमा भट्टाचार्य प कुमारी हेमलता थी, जो आम मरीजों के बीपी, शुगर की जांच में लगी हुई थीं। अस्‍पताल की इस स्थिति के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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    अस्‍पताल में बुखार तक के लिए मुनासिब नहीं इलाज

    बुखार होने पर लोगों को धनबाद और बोकारो का रास्ता देखना पड़ता है। गोमो व आसपास के क्षेत्र के करीब 50 हजार की आबादी को देखते हुए समुचित इलाज की व्यवस्था को लेकर 2017 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से 30 बेड वाले इस अस्पताल का निर्माण करवाया था। अस्पताल का भवन चार वर्षों में बनकर तैयार हुआ और इसका उद्घाटन भी हो चुका है।

    अस्‍पताल भवन में अब पड़ने लगी हैं दरारें

    बावजूद स्वास्थ्य विभाग अस्पताल में इलाज की सुविधा देने के प्रति गंभीर नहीं हैं। अब भवन की दीवार में दरारें पड़ने लगी हैं। बाथरूम का दरवाजा टूटने लगा है। कमरों में कचड़ा फैल चुका है। मारपीट का मामला आने पर अस्पताल कर्मी डाक्टर नहीं होने की बात कह कर हाथ खड़ा कर देते हैं।

    इन्‍हें आठ किलोमीटर दूर स्थित तोपचंची साहू बहियार स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया जाता है, जहां सिर्फ आयुष चिकित्सक बिनीता राय है। इस अस्पताल में एक एएनएम उमा भट्टाचार्य, लैब टेक्नीशियन प्रमोद कुमार, एमपीडब्ल्यू तेजलाल महतो व सफाई कर्मी है।मालूम हो कि पांच महीने पहले स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बन्‍ना गुप्‍ता ने सुविधा बहाल करने का भरोसा दिया था, लेकिन स्थिति ज्‍यों की त्‍यों बनी हुई है।

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