शिबू ने 1973 में धनबाद से किया था झामुमो का गठन, गांव-गांव से पैदल पहुंचे थे समर्थक
धनबाद में 4 फरवरी 1973 को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गठन हुआ था। बिनोद बिहारी महतो एके राय और शिबू सोरेन ने शोषितों और आदिवासियों की आवाज उठाने के लिए यह पार्टी बनाई। गठन के समय गांव-गांव से समर्थक पैदल ढोल-मांदर और पारंपरिक वेशभूषा में विशाल रैली में शामिल हुए थे।

राकेश कुमार महतो, जागरण, धनबाद। खेत, खलिहान व आंगन में चौपाल लगती थी। अलग राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता बिनोद बिहारी महतो, वामपंथी चिंतक एके राय व दिशोभ गुरु शिबू सोरेन बैठते थे। अलग राज्य आंदोलन को धार देने व शोषित, वंचित और आदिवासी समाज की आवाज उठाने को झारखंड मुक्ति मोर्चा का धनबाद में चार फरवरी 1973 गठन हुआ।
अनेक उतार चढ़ाव के बावजूद पार्टी ने जमीन पर काम किया। आज वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। खैर हम बात करते हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन की। शिबू सोरेन के संघर्ष के दिनों के साथी जगत महतो बताते हैं कि उस दौरान लोग गांव गांव से ढोल, मांदर के साथ पारंपरिक वेशभूषा व तीर कमान के साथ रैली में पैदल चलकर पहुंचे थे।
निकाली गई थी विशाल रैली
आगे-आगे बिनोद बाबू, एके राय व शिबू सोरेन थे। विशाल रैली निकाली गई थी। रैली रणधीर वर्मा चौक से गया पुल झरिया, सिंदरी, बलियापुर होते हुए धनबाद पहुंची थी। दो पहिया वाहन से भी रैली में लोग शामिल थे। एक खास बात और कि उस रैली में एक भी चारपहिया वाहन नहीं था। इस रैली में आई भीड़ ने साबित कर दिया था कि उसे भरोसा है- दिशोम गुरु ही आदिवासी समाज के दर्द पर मरहम लगाएंगे।
इसलिए लोगों का साथ भी भरपूर मिला। टुंडी से उठी सामाजिक न्याय की आवाज देखते ही देखते पूरे झारखंड में गूंज उठी। रणधीर वर्मा चौक से शुरू हुई यह रैली बताती है कि लोगों को दिशोम गुरु पर कितना भरोसा था, जो सामाजिक न्याय की आवाज को पूरे झारखंड में फैला रहे थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।