India-China Border Tension: हजारों ने नम आंखों से वीर शहीद कुंदन को दी अंतिम विदाई, भारत माता के जयघोष से गूंजा डिहारी
लद्दाख से शहीद का शव गुरुवार की रात बिहार रेजीमेंट की दानापुर स्थित छावनी में लाया गया। वहां पर कुंदन लाल ओझा को बिहार रेजीमेंट की तरफ से श्रद्धांजलि दी गई।
साहिबगंज, जेएनएन। गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी संघर्ष में शहीद कुंदन कुमार ओझा का पार्थिव शरीर लेकर भारतीय फौजी शुक्रवार को साहिबंगज आए तो पुत्र का चेहरा देखने के लिए बूढ़े पिता जय शंकर ओझा दौड़ पड़े। बिलखते हुए। नजदीक जाने पर उसका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा देखा तो देश के लिए कर्तव्य बोध का अहसास हुआ। उन्होंने अचानक जोर से नारा लगाया- भारत माता की जय। फिर खुद को संभालते हुए भारतीय सेना के अधिकारियों से हाथ मिलाया। चेहरे पर पुत्र की शहादत का गर्व झलक रहा था। बोले- दो और पुत्र हैं, उन्हें भी देश के लिए न्योछावर करने को तैयार हैं। फिर मन भर आया और वे फूट-फूट कर रोने लगे। वहां मौजूद हर आंख नम थी और मन में चीन के प्रति भारी गुस्सा।
कुंदन की अंतिम यात्रा शुरू करने के पहले भारतीय सैनिकों ने शहीद को सलामी दी। डेहारी गांव के आवास में धार्मिक विधि विधान के बाद अंतिम यात्रा निकली तो हजारों लोगों का हुजूम साथ था। भारत माता की जय, चीन को सबक सिखाना होगा, साहिबगंज के और कुंदन लडऩे को तैयार जैसे नारे लगाए जाते रहे। इससे पहले पटना से पार्थिव शरीर आने की सूचना पर शुक्रवार की सुबह मिर्जाचौकी पर सैकड़ों लोग तिरंगा लेकर खड़े थे। सुबह साढ़े सात बजे पार्थिव शरीर लेकर एंबुलेंस ने झारखंड में प्रवेश किया तो एसडीओ पंकज कुमार साव व एसडीपीओ राजा कुमार मित्रा सम्मान में खड़े थे। वहां से शहीद का शव पैतृक गांव डिहारी लाया गया। घर के सामने पंडाल बनाया गया था जहां ताबूत रखा गया। भारतीय सेना के जवानों ने सलामी दी।
दुमका के भाजपा सांसद सुनील सोरेन, उपायुक्त वरुण रंजन, पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा, पूर्व मंत्री डॉक्टर लुईस मरांडी एवं राज पलिवार, झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्रा, भाजपा नेता गणेश तिवारी, शिक्षक नेता जंग बहादुर ओझा समेत सैकड़ों लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया। फिर पार्थिव शरीर को घर के भीतर ले जाया गया जहां पत्नी ने अंतिम दर्शन किया।
डिहारी से सुबह साढ़े आठ बजे अंतिम यात्रा निकली जो पौने 11 बजे साहिबगंज जिला मुख्यालय के मुनीलाल श्मशान घाट पहुंची। इस दौरान जगह-जगह लोगों ने वाहन रुकवा कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। छोटे भाई कन्हैया कुमार ओझा ने मुखाग्नि दी। शहीद का पार्थिव शरीर जिस तिरंगे में लिपटकर आया था उसे सेना के अधिकारियों ने कुंदन के बड़े भाई मुकेश ओझा को सौंप दिया।
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