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    धनबाद की सड़कों पर चली थी ताबड़तोड़ 50 गोलियां, पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह सहित चार ने तोड़ दिया था दम

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 03:28 PM (IST)

    21 मार्च 2017 को धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नीरज सिंह झरिया से लौट रहे थे तभी सरायढेला के पास उनकी गाड़ी पर हमला हुआ। हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें नीरज और उनके साथियों की मौके पर ही मौत हो गई।

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    पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की कर दी गई थी हत्या। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, धनबाद। 21 मार्च 2017 की तारीख कोयलांचल के इतिहास में दर्ज हो चुका। एक सनसनीखेज वारदात पूरे शहर को दहला दिया था।

    धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर सह कांग्रेस नेता नीरज सिंह समेत चार लोगों की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

    शाम के वक्त हुई इस घटना बेरहमी का उदाहरण था, घटना के बाद पूरे शहर में बवाल मच गया था। घटना तब हुई जब नीरज सिंह झरिया से अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे।

    उनकी फॉर्च्यूनर जेएच10एआर-4500 में आगे की सीट पर वे खुद और ड्राइवर ललटू महतो थे, जबकि पीछे उनके साथी अशोक यादव और निजी बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे हुए थे। सरायढेला के स्टील गेट के पास सड़क पर 15 स्पीड ब्रेकर थे, जहां गाड़ी की रफ्तार धीमी हुई।

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    इसी समय पहले से घात लगाए दो बाइक पर सवार हमलावरों ने गाड़ी को चारों तरफ से घेर लिया। हमलावरों ने एके-47, कारबाइन और 9 एमएम पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।

    चंद सेकंड में 50 से अधिक गोलियां चलीं, जिनमें से ज़्यादातर नीरज सिंह को निशाना बनाकर दागी गईं। पोस्टमार्टम में नीरज के शरीर से 17 गोलियां बरामद हुईं, जबकि 36 चोट के निशान मिले। उनके तीनों साथियों की भी मौके पर मौत हो गई।

    पुलिस कुल 64 गोलियां चलने की आशंका जताई थी। हत्या की खबर फैलते ही धनबाद में तनाव की स्थिति बन गई। रघुकुल समर्थक सड़क पर उतर आए, कई जगह दुकानों और बाजारों में अफरा-तफरी मच गई।

    झरिया, सरायढेला और आसपास के इलाकों में दुकानों के शटर गिरा दिए गए। जगह-जगह सड़क जाम और पथराव की घटनाएं हुईं। पुलिस को भारी संख्या में बल तैनात करना पड़ा और शहर के संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू करनी पड़ी।

    राजनीतिक और पारिवारिक रसूख

    नीरज सिंह, यूपी के बलिया जिले के बैरिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक विक्रमा सिंह के भतीजे थे। उनके चचेरे भाई संजीव सिंह उस समय झरिया से बीजेपी विधायक थे।

    राजनीतिक और कारोबारी दबदबे के कारण इस हत्या के पीछे बड़े पैमाने पर साजिश की आशंका जताई गई थी। बाद में यह मामला काफी तूल पकड़ा और संजीव सिंह भी इस केस में साजिशकर्ता बनाए गए।

    साजिश और जांच

    हमले की पेशेवर तरीके से की गई प्लानिंग ने इसे एक सुनियोजित हत्या साबित किया। अपराधियों ने घटना के बाद बाइक के जरिए संकरी गलियों से भागकर पुलिस को चकमा दिया।

    हथियारों की बरामदगी और 50 से अधिक खोखों ने यह साफ कर दिया था कि इसमें अत्याधुनिक आर्म्स का इस्तेमाल हुआ था।

    धनबाद में उस दिन की गोलियों की आवाज और उसके बाद मचा बवाल आज भी लोगों के जेहन में ताजा है यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि शहर के आपराधिक और राजनीतिक इतिहास में दर्ज एक काला दिन था।

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