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    Mahalaya 2021: आज महालया, धरती पर मां दुर्गा का हो रहा आगमन; कल से नवरात्र

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Wed, 06 Oct 2021 02:28 PM (IST)

    Mahalaya 2021 ऐसी मान्यता है कि महालया के दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन करती हैं और दसवीं तिथि तक वास करती हैं। महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को तैयार करते हैं।

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    महालया के साथ दुर्गा पूजा ( सांकेतिक फोटो)।

    जासं, धनबाद। महालया आज है। ऐसी मान्यता है कि आज धरती पर मां दुर्गा का आगमन होता है। इसके अलगे दिन से नवरात्र और दुर्गा पूजा शुरू हो जाती है। नवरात्र की शुरुआत कल से हो रही है। नवरातत्र में दुर्गा पूजा के सभी रूपों की विशेष महत्व होती है। नवरात्र इस बार आठ दिनों की है। मां दुर्गा की पूजा श्रद्धालू बड़े ही श्रद्धा के साथ करने की तैयारी में हैं। कलश स्थापना के साथ कल शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाएगी। शहर के भुइफोड़ मंदिर, शक्ति मंदिर, सर्वेश्वरी आश्रम समूह, खड़ेश्वरी मंदिर, बिनोद नगर मनोकामना मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पूजा को लेकर विशेष तैयारी की गई हैं। मंदिरों के साथ-साथ इस वर्ष भी कोरोना के कारण अधिक्तर लोग घराें में कलश स्थापित कर मां दुर्गा की आराधना करेंगे। भुईफोड़ मंदिर के पुजारी सुभाष पांडेय ने बताया कि पहले दिन माता के शैलपुत्री के स्वरूपाें की पूजा की जाएगी। श्रद्धालुओं ने घट की स्थापना कर व पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा अर्चना करेंगे।

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    पश्चिम बंगाल के लोगों को रहता महालया का इंतजार

    पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए महालया का विशेष महत्‍व है और वह साल भर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं। पश्चिम बंगाल की सीमा से धनबाद लगा हुआ है। यहां के लोगों पर बांग्ला कल्चर हावी है।  महालया के साथ ही जहां एक तरफ श्राद्ध (Shraddh) खत्‍म हो जाते हैं वहीं मान्‍यताओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन करती हैं और अगले 10 दिनों तक यहीं रहती हैं। इस बार 6 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या और महालया मनाया जा रहा है। महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है और वह पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं। हिन्दू शास्त्रों में दुर्गापूजा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में होती है। इस बार दुर्गा पूजा 11 अक्टूबर से शुरू हो रही है और 15 अक्टूबर पर दशमी या दशहरा के साथ खत्म हो रही है। 

    आज से मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें करते हैं तैयार

    हिंदू शास्त्रों के अनुसार महालया और सर्व पितृ अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है। इस बार यह 6 अक्टूबर को होगा। महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करते हैं। इसके बाद से मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा का विशेष महत्व है और यह पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं। दुर्गा पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस बार यह 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है जबकि मां दुर्गा की विशेष पूजा 11 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर दशमी तक चलेगी। 

    अमावस्या के दिन पितरों का किया जाता है तर्पण

    महालया के दिन पितरों को अंतिम विदाई दी जाती है. पितरों को दूध, तील, कुशा, पुष्प और गंध मिश्रित जल से तृप्त किया जाता है। इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है और विभिन्न स्थानों पर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इसके अलावा इसका पहला हिस्सा गाय को, दूसरा देवताओं को, तीसरा हिस्सा कौवे को, चौथा हिस्सा कुत्ते को और पांचवा हिस्सा चीटियों को दिया जाता है। वहीं जल से तर्पण करने से पितरों की प्यास बूझती है।

    कई श्रद्धालु घराें में करेंगे कलश स्थापना

    कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हाेते ही काेयलांचल में श्रद्धालु उपवास रखकर मां की अराधना में जुट जाएंगे। काेराेना वायरस के कारण मंदिराें में इक्का-दुक्का ही श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना करेंगे। जबकि ज्यादतर लाेगाें ने अपने-अपने घराें में कलश स्थापना कर मां की पूजा-अर्चना करेंगे।

    महालया के धरती पर आगमन करती हैं मां दुर्गा

    महालया के दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आगमन करती हैं और दसवीं तिथि तक वास करती हैं। महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को तैयार करते हैं।

    धनबाद में पूजा की तैयारी

    • शक्ति मंदिरः दुर्गा पूजा में शक्ति मंदिर को फूलों से साज सज्जा तथा विद्युत सज्जा की जाएगी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर टीवी स्क्रीन माता के दर्शन के लिए लगाई जाएगी। आनलाइन दर्शन कूपन की बुकिंग की व्यवस्था आज से की गई है। आरती के समय भक्तों की अनुमति नहीं दी गई है। फूल माला प्रसाद भी मंदिर के अंदर नहीं ले जाना है। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
    • भोईफोड़ मंदिरः मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए नवरात्रि पर पूजा करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर सुबह पांच बजे से दोपहर एक बजे तक खोला जाएगा। साफ सफाई के बाद पुनः 3 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुला रहेगा।
    • खड़ेश्वरी मंदिरः नवरात्रि में पूजा को लेकर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर सुबह 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक खोला जाएगा। शारीरिक दूरी पालन करते हुए पूजा पाठ एवं आरती की जाएगी।
    • दुर्गा मंदिर रघुवर नगर: नवरात्रि को लेकर मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया जाएगा। मंदिर के पुजारी व मंदिर समिति के लोग पूजा आराधना संपन्न करेंगे।