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    तंत्र साधना के लिए श्‍मशान काली के नाम से मशहूर है यह काली मंदिर, सिर्फ माथा टेक लेने मात्र से ही बन जाते सारे काम

    लोयाबाद 3 नंबर काली मंदिर की महिमा अपार है। इसे सिद्धि मंदिर या श्‍मशान काली के रूप में भी जाना जाता है। यहां काली पूजा के अवसर पर विशेष विधि विधान से पूजा होती है। आज भी अमावस्‍या के मौके पर साधक यहां चोरी छिपे साधना करते हैं। कहते हैं कि काली माता यहां आने वाले हर भक्‍तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 10 Nov 2023 02:54 PM (IST)
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    सिद्धि मंदिर के रूप में मशहूर लोयाबाद 3 नंबर काली मंदिर।

    संवाद सहयोगी, लोयाबाद। लोयाबाद 3 नंबर काली मंदिर सिद्धि मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह श्मशान काली के नाम से भी प्रसिद्ध है। पहले मंदिर के पास श्मशानघाट था। चिंताएं जलाई जाती थीं। साधक दूर-दूर से सिद्धि प्राप्त करने के लिए यहां आते थे।

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    आज भी चोरी छिपे साधक करते हैं यहां साधना

    आज भी अमावस्या की रात में कुछ लोग चोरी छिपे यहां पर साधना करते हैं। सिद्धि मंदिर होने के कारण लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि सिर्फ माथा टेक लेने से ही अशुभ कार्य शुभ में बदल जाता है।

    दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। यह एक बहुत ही पुरानी मंदिर है इसकी स्थापना कब हुई इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है।

    काली मां हर मुराद करती हैं पूरी

    मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मां काली से जो मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। मंदिर के मुख्य पुजारी अमल कृष्णा भट्टाचार्या ने बताया कि यूं तो हर रोज लोग मां काली के दर्शन के लिए आते रहते हैं।

    काली पूजा में विशेष रूप से पूरे विधि विधान के साथ मां काली की पूजा की जाती है। काली पूजा के मौके पर मेला भी लगता है ।पूजा कमेटी इसकी तैयारी में जुट गई है।

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    कोयला श्रमिकों की अराध्य देवी है मां काली

    काल रात्रि अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को मां काली की आराधना कई दशकों से कोलियरी क्षेत्रों में होती आ रही है।कोयला श्रमिकों के लिए मां काली अराध्य देवी है।कोल कर्मी बड़ी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इनकी पूजा करते हैं।

    जब भूमिगत खदान चालू था तो उस समय खदान के अंदर में काम करने वाले श्रमिक खदानों मे जाने से पहले अपनी रक्षा व खुशहाली के लिए रक्षा काली की पूजा अर्चना करते थे। यही वजह है कि विभिन्न कोलियरियों के भूमिगत खदानों के ऊपर मां काली की मंदिर स्थापित है।

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