Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हावड़ा-धनबाद के बीच और भी सुरक्षित होगा रेल सफर, ठीक से काम करेंगे सिग्नल; नई टेक्नोलोजी का इस्तेमाल शुरू

    Updated: Tue, 20 Aug 2024 11:22 AM (IST)

    हावड़ा से धनबाद के यात्रा को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू हो चुका है। इस अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए से पटरियों पर ट्रेन की उपस्थिति या अनुपस्थिति के होने का पता चल सकेगा। इस तकनीक के जरिए किसी भी रेलवे सेक्शन में ट्रेनों की एंट्री होने पर ट्रेन के पहिये को गिनती होगी और जरूरी डेटा भी मिलेगा।

    Hero Image
    रेलवे ने मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर तकनीक का इस्तेमाल करना किया शुरू (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण टीम, धनबाद/आसनसोल। हावड़ा से धनबाद के बीच चलने वाली यात्री ट्रेनें पहले से अधिक सुरक्षित चल सकेंगी। इसके लिए मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर तकनीक अपनाने की कवायद शुरू हो गई है।

    इस अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग पटरियों पर ट्रेन की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाएगा। सेक्शन में ट्रेनों के प्रवेश करने और छोड़ने वाली ट्रेन के एक्सल यानी पहिये को गिनने का काम करेगा जिससे महत्वपूर्ण डेटा मिलता रहेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नौ रेलवे स्टेशनों पर लागू करने की मिली स्वीकृति

    इस तकनीक से ट्रेन संचालन में सुधार के साथ सिग्नलिंग विफलताओं के जोखिम को भी काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी। पहले चरण में आसनसोल रेल मंडल के नौ स्टेशन में इसे लागू करने की स्वीकृति मिली है।

    कुल्टी, बराकर, कुमारधुबी, मुगमा, थापरनगर, कालूबथान व छोटाअंबाना के साथ बासुकीनाथ और दुमका स्टेशन में इसे लागू करने की मंजूरी मिल चुकी है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 23.41 करोड़ है।

    दो एमएसडीएसी को मिली स्वीकृत

    स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग कार्य के हिस्से के रूप में खाना-अंडाल और सीतारामपुर-छोटाआंबोना के बीच ब्लॉक सेक्शन में दोहरे मोड वाले मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर- एमएसडीएसी के लिए 44.59 करोड़ की लागत से एक अन्य परियोजना को मंजूरी दी गई है।

    यह दोहरे मोड वाला एमएसडीएसी स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली की विश्वसनीयता को और बढ़ाएगा, जिससे इन महत्वपूर्ण सेक्शन में निर्बाध और सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित होगा।

    ऐसे काम करता है मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर

    सुचारु और सुरक्षित ट्रेनों की आवाजाही सुनिश्चित करने वाला मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर एक परिष्कृत ट्रेन डिटेक्शन सिस्टम है। इसका उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में संरक्षा और समय की पाबंदी बढ़ाने के लिए किया जाता है।

    जब गुजरने वाली ट्रेन ट्रैक सेक्शन के दोनों सिरों पर लगे सेंसर से होकर गुजरती है, तब यह एक्सल की गिनती करने का काम करता है। इससे यह सटीक रूप से निर्धारित करने में मदद मिलती है कि सेक्शन व्यस्त है या खाली है, जिससे ट्रेनों की सुचारु और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित होती है।

    इसकी मदद से ट्रैक में जलभराव के दौरान सिग्नल काम करता है। पारंपरिक सिग्नलिंग सिस्टम के विपरीत एमएसडीएसी डिजिटल तकनीक पर निर्भर करता है, जो इसे चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में भी अत्यधिक विश्वसनीय बनाता है।

    कैसे काम करता है सिग्नल

    ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली में ट्रैक पर बिछाए गए सेंसर के माध्यम से सिग्नल नियंत्रित होते हैं। बारिश के दिनों में ट्रैक पर पानी भरने से फॉल्ट होता है, जिससे ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली काम करना बंद कर देती है।

    डिजिटल एक्सेल काउंटर ऐसा उपकरण है, जिन्हें प्रभावित स्थानों पर लगाया जाता है और इसके सहयोग से सिग्नल काम करता रहता है। ट्रेन की स्थिति का सटीक पता लगाकर एमएसडीएसी सिग्नलिंग विफलताओं के जोखिम को काफी कम कर देता है।

    आसनसोल मंडल के नौ स्टेशनों में एमएसडीएसी का काम शुरू हो गया है। इसकी कोई समय सीमा अभी निर्धारित नहीं है। ट्रैक पर इसे लगाने, कंट्रोल रूम का कार्य किया जा रहा है। दूसरी परियोजना खाना-अंडाल और सीतारामपुर-छोटाआंबोना के बीच ब्लॉक सेक्शनों में दोहरे मोड वाले एमएसडीएसी का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है।- बिप्लव बाउरी, जनसंपर्क अधिकारी, आसनसोल रेल मंडल

    ये भी पढ़ें-

    झारखंड में 12 दिनों तक लंबे रूट की कई ट्रेनें कैंसिल, धनबाद-कोयंबटूर वीकली स्पेशल पर भी आया अपडेट

    Jharkhand Train News: 24 अगस्त से 05 सितंबर तक 8 ट्रेनें अलग-अलग तारीखों पर रहेंगी रद, पढ़ें पूरी लिस्ट