Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jharkhand: नहीं रही झारखंड की बुधनी मंझियाइन, पंडित नेहरू ने की थी सराहना; पढ़ें उनके योगदान के बारे में

    By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 19 Nov 2023 06:30 AM (IST)

    झारखंड के धनबाद में दामोदर वैली कार्पोरेशन (डीवीसी पंचेत परियोजना) के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली बुधनी मंझियाइन का शुक्रवार की रात निधन हो गया। वह लगभग 85 साल की थी और काफी समय से बीमार थीं। पंचेत डैम उद्घाटन करने आए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी बुधनी के योगदान के बारे में बताया गया तो उन्होंने उनको सम्मान दिया था।

    Hero Image
    झारखंड में दामोदर वैली कार्पोरेशन के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली बुधनी मंझियाइन का निधन

    जागरण संवाददाता, धनबाद। झारखंड के धनबाद में दामोदर वैली कार्पोरेशन (डीवीसी पंचेत परियोजना) के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली बुधनी मंझियाइन का शुक्रवार की रात निधन हो गया। वह लगभग 85 साल की थी और काफी समय से बीमार थीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंचेत डैम उद्घाटन करने आए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी बुधनी के योगदान के बारे में बताया गया तो उन्होंने उनको सम्मान दिया था। उनसे ही पंचेत डैम का उद्घाटन छह दिसंबर 1959 को स्विच ऑन कर कराया। उस दौरान उन्होंने बुधनी को सम्मान स्वरूप माला पहनाई।

    समाज ने कर दिया था बहिष्कृत

    बस यह सम्मान बुधनी के लिए कांटों भरा ताज बन गया। आदिवासी समाज से बाहर के पुरुष ने माला पहना दिया, इसलिए समाज ने उसे बहिष्कृत कर दिया। पंचेत के लोग बताते हैं कि पंचेत परियोजना के निर्माण की शुरुआत जब हो रही थी तब कोई कामगार काम करने आगे नहीं आ रहा था। यह देख बुधनी क्षेत्र के ही रावण मांझी के साथ आगे बढ़ीं थीं। जब वे आगे आईं तो अन्य मजदूर भी आ गए और डैम का निर्माण शुरू हो सका।

    यह भी पढ़ें- पूर्वी सिंहभूम में हाथियों का उत्पात, एक युवक को पटक-पटक कर मार डाला; दहशत में ग्रामीण

    बुधनी के योगदान की सराहना करते नहीं थकते थे लोग

    डैम का जब निर्माण पूरा हो गया तो सभी बुधनी के योगदान की सराहना करते नहीं थकते थे। इसके बावजूद उद्घाटन के बाद उसका समाज से बहिष्कार कर दिया गया। उस समय वह दर्द से तड़प उठी। वह बेसहारा हो गई और दर दर की ठोकरें खाने लगी। समाज से मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। ऐसे में उनको बंगाल के बांकुड़ा निवासी सुधीर दत्ता का साथ मिला।

    उन्होंने उसे जीवन साथी बनाकर सहारा दिया। सुधीर ने बांकुड़ा के तत्कालीन सांसद बासुदेव आचार्य को भी यह जानकारी दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक उनका दर्द पहुंचा था। इसके बाद बुधनी को डीवीसी में नियोजन दिया गया था।