झरिया मास्टर प्लान की मंजूरी के बाद भी विस्थापितों को नहीं मिली राहत, अधर में लटकी 5940 करोड़ की परियोजना
धनबाद में झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी मिलने के बाद भी विस्थापितों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं। बेलगड़िया के निवासियों को बिजली पानी और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार है। सीईओ की नियुक्ति और बोर्ड के गठन में देरी के कारण विकास कार्य रुके हुए हैं। खस्ताहाल सड़कें और पेयजल संकट से लोग परेशान हैं।

रविशंकर सिंह, धनबाद। केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी देने के डेढ महीने बाद भी विस्थापितों का दर्द कम नहीं हो पा रहा है। मास्टर प्लान की मंजूरी से बेलगडिया में रह रहे झरिया के विस्थापितों की उम्मीदों को पंख लगे कि अब बिजली, पानी, सड़क, चिकित्सा समेत रोजगार के साधन मुहैया होंगे। लेकिन अब तक झरिया के विस्थापितों की उम्मीदें अधूरी है।
संशोधित मास्टर प्लान की मंजूरी के बाद ही केंद्र से राज्य सरकार को भेजे गए पत्र के आलोक में सीईओ की नियुक्ति समेत बोर्ड गठन करना है, लेकिन राज्य सरकार के स्तर से मामला अब तक अटका होने से न तो बोर्ड का गठन हो पाया है और न ही मास्टर प्लान के काम को गति मिल पा रही है।
जिला प्रशासन चाहकर भी बेलगडिया में विकास कार्य नहीं करा पा रहा है, क्योंकि इसके लिए टेंडर जारी करने से लेकर बाकी कार्यों को सीईओ के स्तर से किया जाना है। मास्टर प्लान के क्रियान्वयन को लेकर उपायुक्त आदित्य रंजन का कहना है कि सीईओ समेत बोर्ड के गठन के बाद काम में तेजी आएगी। अभी प्रशासन डीएमएफटी फंड या अन्य कंपनियों के सीएसआर फंड से छोटे-मोटे तात्कालिक काम ही बेलगडिया में करा पा रहा है।
दर्द से कराह रहे लोग
जागरण संवाददाता ने बेलगडिया के विस्थापितों की परेशानी की पड़ताल की तो उनके दर्द छलक आए। बेलगडिया में घुसने की मुख्य सड़क से हिचकोले खाते आते-जाते लोगों का दर्द है कि अब तक सड़क नहीं होने से काफी दिक्कतें हैं। मुख्य मार्ग से बेलगडिया टाउनशिप जाने वाली सड़क गड्ढों में इस कदर गुम है कि पता नहीं चलता कि सड़क है या गड्ढे।
बेलगडिया के भीतर की सड़कें भी पूरी तरह खस्ताहाल होने से मरम्मत की बाट जो रही हैं। वहीं, बेलगड़िया में पेयजल की समस्या भी दूर कराना अब तक बड़ी चुनौती है। आलम यह है कि बेलगडिया में बोरिंग की जरूरत होने के बाद भी बोरिंग नहीं होने से पानी का संकट विकराल हो चुका है।
जल आपूर्ति की व्यवस्था बदहाल होने से हजारों परिवार परेशान हैं। अस्पताल के अपग्रेडेशन, स्कूल व सामुदायिक केंद्र समेत अन्य निर्माण कार्य व मरम्मत के काम नहीं हो पा रहे हैं।
ऐसा होगा बोर्ड
संशोधित झरिया मास्टर प्लान के लागू करने के लिए गठित किए जाने वाले बोर्ड का अध्यक्ष सीईओ होगा। सेवा में अथवा सेवानिवृत संयुक्त सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी ही बोर्ड के सीईओ होंगे। जबकि धनबाद के उपायुक्त डिप्टी सीईओ होंगे। बाकी सदस्यों के रूप में बीसीसीएल, खनन विभाग, निगम व तकनीकी सलाहकार, खान विशेषज्ञ समेत अलग-अलग क्षेत्र के जानकार शामिल होंगे। बोर्ड के जरिए ही परियोजना की नीतियां लागू कराई जाएंगी, फंड का आवंटन, पुनर्वास, विस्थापन, आग नियंत्रण समेत विस्थापितों को सुविधा उपलब्ध कराने का काम होगा।
पुनर्वास व रोजगार पर जोर
उपायुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि मास्टर प्लान के तहत करीब 5,940 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। मास्टर प्लान के अनुसार मुख्य रूप से खदान में लगी आग, भूमि धंसान और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास तथा रोजगार उपलब्ध कराना मुख्य है।
डीसी ने बताया कि संशोधित योजना के तहत पुनर्वास व स्थायी आजीविका निर्माण को तवज्जो दिया जाएगा। विस्थापित परिवारों को नए घर के संग जरूरी बुनियादी सुविधाएं व रोजगार से जोड़ना प्राथमिकता होगी। कौशल विकास से भी विस्थापितों को जोड़ा जाएगा।
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