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    Dhanbad News: IIT ISM निकालेगा धरती में दबे दुर्लभ खनिजों का महाखजाना, इन चीजों को बनाने में होगा उपयोग

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 10:22 AM (IST)

    धनबाद में आईआईटी आईएसएम को दुर्लभ खनिजों की खोज के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया गया है। यह संस्थान दुर्लभ खनिजों के अनुसंधान खनन और प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसका उद्देश्य भारत में दुर्लभ खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। यह मिशन 2024-25 से 2030-31 तक चलेगा जिसमें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान भागीदार होंगे।

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    आइआइटी आइएसएम निकालेगा धरती में दबे दुर्लभ खनिजों का महाखजाना। फाइल फोटो

    शशि भूषण, धनबाद। देश में दुर्लभ खनिजों का अदृश्य महाखजाना हैं, जो जमीन के नीचे कई सालों से दबा है। धरती में दबे इस दुर्लभ खनिजों की खोज अब आईआईटी आईएसएम करेगा।

    आईएसएम न केवल इस दुर्लभ खजाने की खोज करेगा बल्कि रिसर्च से लेकर खनन, खनन से लेकर प्रोसेसिंग, प्रोसेसिंग से लेकर चुंबक बनाने और फिर उस चुंबक को अंतिम उत्पाद में इस्तेमाल करने तक की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएगा।

    दुर्लभ खनिजों की खोज के लिए आईआईटी आईएसएम को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया गया है। आईआईटी आईएसएम में दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने पर काम किया जाएगा।

    आईएसएम कंसोर्टियम मॉडल पर काम करेगा। यह मिशन 2024-25 से 2030-31 तक चलेगा। इसका उद्देश्य देश में दुर्लभ खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, आयात पर निर्भरता कम करना और खनन को बढ़ावा देना है।

    भारत करीब 95 फीसद दुर्लभ खनिज चुंबक का आयात करता है। बताते चले कि राष्ट्रीय दुर्लभ खनिज मिशन (एनसीएमएम) के तहत देश के सात प्रमुख शिक्षण संस्थानों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया है।

    इनमें चार आईआईटी आईआईटी बांम्बे, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी आईएसएम धनबाद और आईआइटी रुड़की शामिल हैं। इन संस्थानों में दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए काम किया जाएगा। हर केंद्र एक कंसोर्टियम माडल पर काम करेगा। एनसीएमएम को इसी साल जनवरी में मंजूरी दी गई थी।

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    दुर्लभ खनिजों की खोज में आईएसएम के यह है पार्टनर

    दुर्लभ खनिजों के एक्सपोलेरेशन, माइनिंग और प्रोसेसिंग में आईआईटी आईएसएम के साथ उनके विदेशी पार्टनर कर्टिन और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी है। वहीं हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड, टेक्समिन के अलावा आईआईटी बीएचयू, आईआईटी गांधीनगर भी हैं।

    यहां होता है दुर्लभ खनिजों का उपयोग

    दुर्लभ अर्थ खनिज का उपयोग ऑटोमोबाइल, होम थिएटर, एयर बर्डस, टीवी, एसी, कंप्यूटर से लेकर कई तरह के इलेक्ट्रिक उत्पादों में किया जाता है। इसमें नियोडिमियम-आयरन-बोरान (एनडीएफईबी) जैसे तत्व होते हैं। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल, सामान्य गाड़ियों में कई तरह के काम के लिए होता है।

    उप निदेशक ने क्या कहा

    आईआईटी आईएसएम के उपनिदेशक प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि धरती के अंदर छिपे दुर्लभ खनिजों का उपयोग स्मार्ट फोन से लेकर फाइटर जेट तक होता है। उन्होंने बताया कि दुर्लभ खनिजों को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ माइंस का एक प्रस्ताव था।

    उसके तहत आईआईटी आईएसएम को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है। उन्होंने कहा कि क्रिटकल मिनरल पर फोकस करना होगा तभी मेटल निकलेगा जैसे लिथियम, सेमी कंडक्टर बनाने का मिनरल आदि अन्य मेटल प्राप्त किया जा सकेगा। आईएसएम क्रिटिकल मिनरल का एक्सपोलेरेशन, माइनिंग और प्रोसेसिंग पर फोकस करेगा।