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    IIT ISM 41st Convocation: दीक्षांत समारोह में राज्‍यपाल ने बांधे तारीफ के पुल... देश के प्रत‍ि ज‍िम्‍मेदार‍ियों का कराया एहसास

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Sat, 13 Aug 2022 02:45 PM (IST)

    आज होनहारों का दिन है। ऐतिहासिक पल है छात्रों को उपाधि मिली है। छात्र-शिक्षक सभी बधाई के पात्र हैं। अपने आचरण एवं उपलब्धि से अपने माता-पिता परिवार समा ...और पढ़ें

    आज होनहारों का दिन है। ऐतिहासिक पल है, छात्रों को उपाधि मिली है।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि शिक्षा और शिक्षण दोनों ही धन प्राप्ति का साधन न होकर जिम्मेदार नागरिक बन समाज और देशसेवा के प्रति लोगों को जागरूक करना होना चाहिए। आइआइटी आइएसएम इस दायित्व को भलीभांति निभा रहा है। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आइएसएम जैसा इंजीनियरिंग संस्थान अपनी वैज्ञानिक सोच और तकनीक का प्रयोग कर आदिवासियों को तकनीकी रूप से दक्ष करने का काम कर रहा है। जामताड़ा जिले के अनुसूचित जाति के आदिवासियों पर विशेष ध्यान देकर वैज्ञानिक समझ विकसित करने का काम किया जा रहा है, ताकि उनके जीवन में बदलाव लाया जा सके। यह अच्छी पहल है। सिर्फ आइआइटी आइएसएम ही नहीं अन्य तकनीकी संस्थानों के प्रोफेसर और छात्र ग्रामीण इलाकों, दूर-दराज की आदिवासी बस्तियों में जाकर कुछ समय बिताएं। समस्याएं जानने का प्रयास करें और अपनी तकनीक, सोच और शोध के माध्यम से उसे दूर करने का प्रयास करें। राज्यपाल शनिवार को आइआइटी आइएसएम के 41वें दीक्षांत समारोह का संबोधित कर रहे थे।

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    उन्होंने छात्रों से कहा कि आज होनहारों का दिन है। ऐतिहासिक पल है, छात्रों को उपाधि मिली है। छात्र-शिक्षक सभी बधाई के पात्र हैं। अपने आचरण एवं उपलब्धि से अपने माता-पिता, परिवार, समाज, राज्य, संस्थान एवं देश का नाम रोशन करेंगे। इस संस्थान के दीक्षांत समारोह का साक्षी बनना उनके लिए हर्ष का क्षण है। संस्थान आज सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, अपनी सोच, इनोवेशन और रचानात्मका के लिए भी जाना जा रहा है।

    इनोवेशन एवं रचानात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए। यह भी निर्विवाद सत्य है कि यहां के छात्र विदेशों में भी स्वयं को स्थापित कर झारखंड एवं देश का रोशन कर रहे हैं। शैक्षणिक कार्य ही नहीं व्यावहारिक परियोजनाओं के माध्यम से जनजातीय समुदाय को तकनीक रूप से दक्ष करने के दिशा में प्रयास कर रहा है। शिक्षा के साथ ही समाज के प्रति भी जिम्मेवारी भी निभाएं। राष्ट्रनिर्माण के साथ आत्मनिर्भरता जरूरी है। आजादी का महोत्सव चल रहा है, आप सभी की इसमें सहभागिता और मेक इन इंडिया पर जोर होना चाहिए।

    आइआइटी के पेनमेन सभागार में आयोजित दीक्षांत समारोह का शुरुआत संस्थान के छात्रों को संस्कृत में शपथ और राष्ट्रगान से की। इसके बाद मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस, बोर्ड आफ गवर्नर्स आइआइटी आइएसएम प्रो.प्रेम व्रत एवं निदेशक प्रो.राजीव शेखर ने सत्र 2020 के छात्रों को डिग्री प्रदान की। सबसे पहले उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले गोल्ड मेडलिस्ट छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं।

    इसमें 2020 सत्र के लिए प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र हिमांशु भूषण संधिविग्रह को मिला। हिमांशु को सबसे अधिक 9.73 ओजीपीए मिला है और बीटेक में ओवरआल टापर हैं। हिमांशु को प्रेसिडेंट मेडल समेत विभिन्न श्रेणियों में पांच गोल्ड मेडल मिले। समारोह का सभापित्व बोर्ड आफ गवर्नर्स आइआइटी आइएसएम प्रो.प्रेम व्रत ने किया। सत्र 2020 के 1978 छात्रों को डिग्री बांटी गई। इसमें बीटेक, एमटेक, एमएससी टेक, एमबीए एवं पीएचडी छात्र शामिल थे। 2020 बैच के 59 छात्रों को इंस्टीट्यूट गोल्ड मेडल दिया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन डीन डा.रजनी सिंह ने किया।

    किस ब्रांच में कितने छात्रों को मिलेगा मेडल

    - बीटेक : 2020 सत्र के लिए 790

    - पांच वर्षीय ड्यूल डिग्री : 2020 के लिए 34

    - एमटेक-पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड प्रोग्राम : 2020 में 56

    - एमएससी टेक तीन वर्षीय : 2020 में 106

    - मास्टर आफ साइंस : 2020 में 107

    - एमटेक दो वर्षीय : 2020 में 493

    - एमटेक तीन वर्षीय : 2020 में 143

    - एमबीए दो वर्षीय : 2020 में 43

    - एमबीए तीन वर्षीय : 2020 में 22