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    कार्डियक अरेस्ट में भी बचाई जा सकती है कि किसी की जान, एंबुलेंस आने तक घर के बच्‍चे भी कर सकते यह काम

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Thu, 20 Oct 2022 08:57 AM (IST)

    कार्डियक अरेस्ट वह अवस्था है जब अचानक से हृदय में संकुचन की वजह से दर्द शुरू हो जाता है। तत्काल इसका प्राथमिक इलाज न हो तो मरीज की जान चली जाती है। दिनचर्या में बदलाव अनावश्यक तनाव आदि तेजी से लोगों को कार्डियक अरेस्ट की ओर धकेल रहे हैं।

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    धनबाद के एनेस्थेटिक्स विश्‍व एनेस्थीसिया दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: कार्डियक अरेस्ट वह अवस्था है, जब अचानक से हृदय में संकुचन की वजह से दर्द शुरू हो जाता है। तत्काल इसका प्राथमिक इलाज न हो तो मरीज की जान चली जाती है। दिनचर्या में बदलाव, अनावश्यक तनाव और विभिन्न प्रकार की समस्याएं तेजी से लोगों को कार्डियक अरेस्ट की ओर धकेल रही हैं। अब इसे देखते हुए धनबाद के एनेस्थेटिक्स विश्‍व एनेस्थीसिया दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

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    वहीं इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट संगठन इस वर्ष 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इसी को लेकर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों द्वारा स्कूली बच्चों, पुलिस-प्रशासन से जुड़े लोग एवं आम लोगों के बीच जागरूकता पखवारा चलाया जा रहा है।

    स्कूली बच्चों को दी जा रही है प्राथमिक इलाज की जानकारी

    सोसायटी के सदस्यों ने गुरुवार को धनबाद पब्लिक स्कूल समेत जिले के अन्य स्कूलों में बच्चों के बीच जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। धनबाद पब्लिक स्कूल में डॉक्टरों ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज को तुरंत बेसिक लाइफ सपोर्ट सीपीआर (कार्डियो पल्‍मनरी रिससिटेशन) विधि से ऑक्‍सीजन देना चाहिए। उन्‍होंने बताया कि इस जीवन रक्षक तकनीक में मरीज को सीधा लिटा कर उनके सीने पर लगातार पुश करना चाहिए, ताकि हृदय को पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन मिल पाए। यह तब तक करते रहना होगा, जब तक एंबुलेंस ना आ जाए या फिर मरीज का अस्‍पताल में इलाज ना शुरू हो जाए। केवल सीपीआर विधि अपना कर तत्काल मरीज को मरने से रोका जा सकता है।

    कोरोना काल में इस विधि से बचाई गई कई लोगों की जान

    शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्‍टर कामेश्वर विश्‍वास ने बताया कि कोरोना वायरस के इलाज में एनेस्थीसिया के चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आइसीयू में आने वाले गंभीर मरीजों की विभिन्न प्रकार की विधि अपनाकर जान बचाई गई। कई ऐसे भी मरीज थे, जिनके बचने की संभावना मात्र 20 फीसद थी, लेकिन सीपीआर विधि और अन्य विधियों से उनकी भी जान बचाई गई। मौके पर अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रदेव राम, डॉक्टर दिनेश कुमार सिंह, डॉ मृत्युंजय कुमार, डॉ विनीत कुमार, डॉ प्रियंका, डॉक्टर संतोष आदि मौजूद थे।