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    गाय के गोबर से बने पेंट के फायदे सुन चौक जाएंगे आप भी, गर्मी के दिनों में टेम्‍परेचर को करता है कंट्रोल; दाम है बहुत कम

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Fri, 03 Nov 2023 10:58 AM (IST)

    धनबाद में पेशे से इंजीनियर अभिषेक सिंह ने गोबर से पेंट बनाने का काम शुरू किया है जिसके कई फायदे हैं। एक तो यह कीमत में कम है और दूसरी बात इसके कई सारे फायदे हैं। यह पेंट एंटीफंगल है। लगाने के चार घंटे बाद सूख जाता है और तो और पांच साल तक दीवारों पर अच्‍छे से टिका रहता है।

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    गाय के गोबर से बनाई जा रही है पेंट।

    आशीष सिंह, धनबाद। गांव के घरों की दीवारों और फर्श पर गोबर की लिपाई की पुरानी परंपरा ने धनबाद के इंजीनियर अभिषेक सिंह की जिंदगी ही बदल दी। मनईटांड़ के अभिषेक ने गोबर से पेंट बनाना शुरू किया है। देसी गाय के गोबर से बना यह पेंट गर्मियों में घर के अंदर के तापमान को भी दो डिग्री कम करता है।

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    गाय के गोवर से समृद्धि की राह

    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (आइएसएम) धनबाद के अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र में भी इस प्राकृतिक पेंट को जगह मिली है। अभिषेक हर माह पांच हजार लीटर पेंट रांची, बोकारो और धनबाद के बाजारों में बिक्री के लिए भेज रहे हैं।

    उन्होंने गोबर से समृद्धि की राह निकाली है। इसने कई सारे लोगों को काम भी दिया है। बुलंदशहर से 2009 में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले अभिषेक को मल्टीनेशनल कंपनी में काम का अवसर मिला। पर, वहां मन नहीं रमा तो उन्‍होंने खुद का स्टार्टअप शुरू करने की ठानी।

    इस पेंट के बस हैं फायदे ही फायदे

    गोबर पेंट का व्यवसाय करने का मकसद था कि इसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का भी वे हिस्सा बन सकते हैं। बकौल अभिषेक गोबर से डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट के लिए 2022 में मनईटांड़ में रिश्तेदार सुरेश सिंह के साथ मिलकर कारखाना खोला। इसे अष्ट लाभ खादी प्राकृतिक पेंट नाम दिया है।

    यह पर्यावरण की सुरक्षा के साथ, जीवाणुरोधक, एंटीफंगल, भारी धातुओं से मुक्त, गंधहीन, तापरोधक, विषरहित, टिकाऊ व आम पेंट से सस्ता है। यह प्रयोग के चार घंटे बाद सूख जाता है, पांच साल तक ऐसे ही दीवारों पर बना रहता है। गंदा होने पर दीवार को धो भी सकते हैं।

    बाजार में उपलब्ध केमिकल पेंट से यह 50 प्रतिशत कम कीमत में उपलब्ध है। यह सफेद रंग का होता है, इसमें मनचाहा रंग मिला कर रंगीन कर सकते हैं। अब कोशिश है कि इस पेंट में प्रयोग होने वाले रंग भी पौधों से ही बनाएं।

    उनका कहना है कि हमारा पेंट भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित है। अभिषेक ने खादी इंडिया की ओर से जयपुर में लगे प्रशिक्षण शिविर में एक सप्ताह तक इसे बनाने की तकनीक सीखी। खादी इंडिया इस पेंट का पेटेंट करा चुका है।

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    ऐसे तैयार होता है प्राकृतिक पेंट

    गाय के गोबर को पहले प्रीमिक्स मशीन में पानी के साथ मिलाकर तीन से चार घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। पूरी तरह घुलने के बाद गोबर की स्लरी को ट्रिपल डिस्क रिफ्रेशर (टीडीआर) में पिसने के लिए छोड़ देते हैं।

    फिर 90 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर आधे घंटे के लिए गर्म कर सात घंटे तक ठंडा करते हैं। इसे कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोज (सीएमसी) कहते हैं।

    20 प्रतिशत इस सीएमसी में चूना, टेलकम पाउडर, विभिन्न प्लांट से निकलने वाले रेजिन और टाइटेनियम डाइऑक्साइड को मिलाते हैं।

    इसमें रेजिन की जगह अलसी का तेल मिलाया जाता है ताकि प्राकृतिक गुणवत्ता बनी रहे। बस इससे डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट बना लिया जाता है।

    इस पेंट के हैं कई फायदे

    अभिषेक ने बताया कि अंदर की दीवारों के लिए इमल्शन 205 व बाहरी दीवारों के लिए 320 रुपये प्रति लीटर में दे रहे हैं। प्रीमियम डिस्टेंपर 88 रुपये प्रति किलो व इकोनामी डिस्टेंपर 56.75 रुपये प्रति किलो दे रहे। बाजार में इनकी कीमत इससे दोगुनी है।

    वाष्पशील कार्बनिक यौगिक का प्रयोग न होने से इसके प्रयोग से आंखों में जलन भी नहीं होती। आम पेंट से एक लीटर में 120 वर्गफीट तो हमारे इस पेंट से 200 वर्गफीट क्षेत्र में रंगरोगन होता है। कुसुम विहार की प्रीति कौशल कहती हैं कि इस पेंट का प्रयोग किया है, यह हमें तो बेहतर लगा है।

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