Earth Day 2023: कब चेतेंगे हम ! जैव विविधता से भरपूर धनबाद से काले मुंह वाले बंदर गायब, जंगली मशरूम भी विलुप्त
Earth Day 2023 तेजी से कटते जंगल और खनन गतिविधियों ने धनबाद की पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है। यहां धरती में कोयले के कारण पेड़-पौधों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिसे सहेजने के आवश्यकता है वरना यह विलुप्त हो जाएंगी।

तापस बनर्जी, धनबाद। 22 अप्रैल को अर्थ डे मनाया जाता है। जिससे इंसानों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक किया जा सके। इंसानों के बढ़ते लालच ने न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है बल्कि कई जीव विलुप्त हो गए हैं। जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
एक समय था जब धनबाद कोयलांचल में लंगूरों की अच्छी संख्या थी। जंगली मशरूम की कई प्रजातियां दिखती थीं, मगर तेजी से कटते जंगल और खनन गतिविधियों ने पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है। यहां की धरती में कोयले के कारण पेड़-पौधों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो अन्य प्रदेशों में नहीं दिखतीं। इन्हें सहेजना बहुत जरूरी है वरना ये विलुप्त हो जाएंगी।
धनबाद की जैव विविधता पर शोध कर रहीं केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) की वरिष्ठ महिला विज्ञानी डॉ. वीए सेल्वी का कहना है कि वातावरण में कार्बन की बढ़ती मात्रा और जंगलों की कटाई ने यहां के पर्यावरण को काफी प्रभावित किया है। धनबाद की जैव विविधता बदल रही है। इसका असर यहां की प्रजातियों पर पड़ा है।
सेल्वी बताती हैं कि काले मुंह के बंदरों यानि लंगूरों की कभी प्रचुरता थी। जंगल कम होने से इनकी संख्या तेजी से कम हुई है। जंगली मशरूम जो प्राकृतिक रूप से उगते थे, अब कम दिख रहे हैं क्योंकि जंगलों के कटने से उनको भोजन नहीं मिल रहा है।
परिवार में रहना पसंद करते हैं काले मुंह वाले बंदर, व्यवहार इंसानों जैसा
डॉ. सेल्वी काले मुंह वाले बंदर यानी ग्रे लंगूर पर विस्तृत अध्ययन कर रही हैं। रिसर्च में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। डॉ. सेल्वी के प्रारंभिक शोध में पता चला है कि काले मुंह वाले बंदर परिवार में रहना पसंद करते हैं। उनका व्यवहार भी इंसानों जैसा है।
कवक और बैक्टीरिया की कोयलांचल में कई प्रजातियां
वे बताती हैं कि मानसून के दौरान कोयला क्षेत्र में कवक के सौ से अधिक स्ट्रेन मिलते हैं। इनमें ल्यूकोकोप्रिनु स्केपिस्टिप्स, ब्रैकेट फंगस, गनोडर्मा लिंजी, अर्थ स्टार गेस्टुरम कोरोनाटम, गैनोडर्मा लोबैटम, पोडोस्सिफा पेट्सलोड्स, ट्रैमेट्स गिबोसा हैं। इसके अलावा कई प्रकार के जीवाणुओं की भी यहां प्रजातियां हैं, जो जैव विविधता के अध्ययन में बड़ी कारगर हैं।
(डॉ. सेल्वी)
इनका संरक्षण जरूरी
- वृक्ष-पलास, नीम, पीपल, करंज व अन्य
- औषधीय पौधे-गिलोय, तुलसी, पुटुस, आक, निर्गुंडी, कैंडल कैसिया आदि
- कोयला क्षेत्र के पौधे-फर्न, जिम्नोस्पर्म और कैक्टस
- पक्षी : कोयल, कबूतर, किंगफिशर, कठफोड़वा, मैना, कौआ, गौरैया
जंगली पेड़ों को काटना पर्यावरण के लिए खतरनाक
जंगल काटकर वहां खेती करना या किसी अन्य प्रजाति के पौधों को लगाना उचित नहीं है। जंगली पौधों का अपना महत्व है। इसलिए जंगलों का संरक्षण बहुत जरूरी है।
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