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    बाजार में आ गया Drumstick, इसके खाने के फायदे ही फायदे

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Tue, 23 Mar 2021 06:00 AM (IST)

    सहजन की फली वात पत्ती नेत्ररोग मोच गठिया में उपयोगी है। इसकी जड़ दमा पथरी रोग के लिए उपयोगी है। इसके छाल में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ रोग खत्म होता है। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया पक्षाघात वायु विकार में तुरंत लाभ पहुंचता है।

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    औषधीय गुणों से भरपूर सहजन ( फोटो जागरण)।

    धनबाद, जेएनएन। दो दिन पहले ही एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की दो छात्राओं अदिति और दीक्षा ने सहजन से चॉकलेट बनाकर सबको चौंका दिया। सहजन से बने इस चॉकलेट को एक स्टार्टअप के तौर पर पेश किया। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहजन का बहुत बड़ा योगदान है। इसको देखते हुए छात्राओं ने कम लागत में चॉकलेट बना डाला। सहजन का यह माैसम है। इस माैसम में बाजार में आसानी से उपलब्ध है। यह झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में खूब होता है। हालांकि इसकी कीमत आम सब्जियों के मुकाबले कुछ ज्यादा होती है। शुरू-शुरू में इसकी कीमत डेढ़ से दो साै रुपये तक होती है। जैसे-जैसे बाजार में इसकी आवाक बढ़ती है कीमत नीचे जाती है। आइए, आपको बताते हैं कि सहजन में और कौन-कौन से गुण हैं, जिसके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है।

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    औषधीय गुणों से भरपूर

    सहजन को मुनगा भी कहा जाता है। सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। एसएसएलएनटी महिला कॉलेज इनक्यूबेशन सेंटर हेड शांतनु बनर्जी कहते हैं कि सहजन में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम का गुण है। इसमें 92 तरह के मल्टीविटांमिंस, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह का एमिनो एसिड मिलता है। चारे के तौर पर इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि होती है। इसकी पत्तियों के रस के पानी में घाेलकर फसल पर छिड़कने से उपज में बढ़ोतरी होती है। कहा तो यह भी जाता है कि लगभग पांच हजार वर्ष पहले आयुर्वेद ने सहजन की खूबियों को पहचाना था। आज वैज्ञानिक भी इस बात को मान रहे हैं। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक कहते हैं। इसका वनस्पति नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। दक्षिण भारत में व्यंजन में इसका काफी प्रयोग होता है। 

    इसके कुछ प्रमुख गुण 

    • इसके फूल से बना अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक।
    • सहजन का पेड़ हर तरह की जमीन पर पनपता है।
    •  इसके फूल, फली और टहनियों को उपयोग में लायाजाता है।
    • पानी शुद्ध करने का भी गुण।
    • सहजन के बीज से निकलता है तेल।
    • छाल, पत्ती, गोंद, जड़ आदि से तैयार होती हैं दवाएं।
    • सहजन में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कांप्लेक्स।
    • सहजन में दूध की तुलना में चार गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन।

    जड़ से लेकर पत्ता तक रामबाण

    सहजन की फली वात, पत्ती नेत्ररोग, मोच, गठिया में उपयोगी है। इसकी जड़ दमा, पथरी रोग के लिए उपयोगी है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ रोग खत्म होता है। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, पक्षाघात, वायु विकार में तुरंत लाभ पहुंचता है। सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाकर मोच के स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है। सहजन की सब्जी पुराने गठिया, जोड़ों का दर्द, गुर्दे और मूत्राशय की पथरी ठीक करता है। सहजन के ताजे पत्ते का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी और मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। पत्तों का रस बच्चों के पेट से कीड़े निकालने के साथ ही उल्टी दस्त भी रोकता है। रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ और मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में आराम मिलता है। सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाने या इसके बीज को घिसकर सूंघने सेसर दर्द दूर होता है। 

    सहजन का बीज पानी को करता है शुद्ध्

    सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध किया जा सकता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है, बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें।

    • दूसरों की तुलना में सहजन के पौष्टिक गुण
    • विटामिन सी : संतरे से सात गुना
    • विटामिन ए : गाजर से चार गुना
    • कैलशियम : दूध से चार गुना
    • पोटेशियम : केले से तीन गुना
    • प्रोटीन : दही की तुलना में तीन गुना