मछली पकडने वाला जाल बना डाल्फिन का काल
डाल्फिन को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है। मछली मारने वाले नेट जाल से इसका शिकार किया जाता है। गंगा नदी में छोटी छोटी मछलियों को मारने के लिए इस जाल का प्रयोग होता है।

धनंजय मिश्र, साहिबगंज : साहिबगंज जिले से होकर बहने वाली गंगा नदी में मछली मारने का जाल डाल्फिन के लिए काल बन रहा है। चिह्नित 83 किलोमीटर क्षेत्र में मछली पकडऩे पर प्रतिबंध है, मगर अधिक कमाने के चक्कर में मछ़ुआरे प्रतिबंधित क्षेत्र में मछली पकडऩे से बाज नहीं आते। विभाग भी इस मुद्दे पर सख्त नहीं है। सिर्फ कार्रवाई का दंभ भर कर अधिकारी बचाने की योजना पर बात करने लगते हैैं। नतीजतन जाल में फंसने से अक्सर डाल्फिन की मौत हो जाती है। बीते कुछ साल में छह से अधिक डाल्फिन की मौत हो चुकी है। इधर, वन विभाग की ओर से डाल्फिन आश्रयणी बनाने का प्रयास धरातल पर नहीं उतर सका है।
साहिबगंज जिले के गांगेय क्षेत्र में वर्ष 2016 में महाराजपुर में मछली मारने के क्रम में गंगा में डाल्फिन को मारा गया था। 2018 जनवरी में उधवा के बेगमगंज में भी ऐसी घटना हुई। एक साथ तीन डाल्फिन को मारने के बाद वन विभाग की ओर से सजगता बढ़ाई गई। एक व्यक्ति को पकड़ा गया। वर्ष 2018 में ही फरवरी महीने में राजमहल के कसवा में मछली मारने के क्रम में जाल में फंसने से एक डाल्फिन की मौत हो चुकी है। वर्ष 2020 में 17 दिसंबर को राजमहल के कसबा गंगा घाट पर एक मृत डाल्फिन मिला। पोस्टमार्टम के बाद यह बात सामने आई की दम घुटने से उसकी मौत हुई। आठ फरवरी वर्ष 2021 को भी उधवा की पश्चिमी प्राणपुर पंचायत के गंगा नदी किनारे डाल्फिन की मौत हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि कई दिन पहले जख्मी कर उसे मारा गया था।
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चल रहा जागरूकता अभियान
साहिबगंज जिले में वर्ष 2012 में मेरी गंगा मेरी डाल्फिन नाम से अभियान चलाकर पहली बार राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने जागरूकता फैलाने का प्रयास प्रारंभ किया है। वन्य जीव संस्थान देहरादून की ओर से नमामि गंगे अभियान के माध्यम से अभी गंगा तट के गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चल भी रहा है। जिसके माध्यम से यह बताया जा रहा है कि डाल्फिन मछली नहीं स्तनधारी जीव है। जो चार से 32 फीट तक की होती है। यह गंगा नदी के पानी को साफ करती है।
डाल्फिन को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है। मछली मारने वाले नेट जाल से इसका शिकार किया जाता है। गंगा नदी में छोटी छोटी मछलियों को मारने के लिए इस जाल का प्रयोग होता है। डाल्फिन का शिकार रोकने के लिए जल प्रहरी, गंगा प्रहारी को आगे आना होगा। गंगा संरक्षण के लिए डाल्फिन संरक्षण आवश्यक है।
डा. रंजित कुमार ङ्क्षसह, पर्यावरणविद, साहिबगंज कॉलेज
साहिबगंज जिले में गंगा नदी के क्षेत्र को डाल्फिन आश्रयणी बनाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन की ओर से चीफ वाइल्ड लाइफ अधिकारी तक भेजा जा चुका है। राज्य सरकार की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद इसे गंगा नदी में कार्यान्वित किया जाएगा। इसके तहत साहिबगंज क्षेत्र मेें गंगा में पाई जाने वाली डाल्फिन की सुरक्षा की जाएगी।
मनीष कुमार तिवारी, डीएफओ,साहिबगंज
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