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    Dhanbad News: 100 मुर्गियों ने बनाया करोड़पति, अब पद्मश्री की दौड़ में बीरबल; गणतंत्र दिवस पर हो सकता है एलान

    धनबाद के एक व्यवसायी के नाम की पशुपालन विभाग ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए अनुशंसा की है। संभावना जताई जा रही है कि इस 26 जनवरी को इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी। व्यवसायी बीरबल झारखंड में लगभग 70 प्रतिशत अंडे की सप्लाई करते हैं। बीरबल ने कहा कि झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी अंडो की सप्लाई करने की इनकी योजना पर कार्य चल रहा है।

    By Sushil kumar Chourasiya Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 25 Jan 2025 05:10 PM (IST)
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    धनबाद के व्यवसायी बीरबल मंडल। (सोशल मीडिया)

    सुशील कुमार चौरसिया, कतरास। जिले के जाने माने बड़े व्यवसायियों में गिने जाने वाले बीरबल महज 100 मुर्गियों से अपना कारोबार शुरु कर आज पद्मश्री पुरस्कार की दौड़ में पहुंच गए हैं।

    बीरबल के नाम की अनुशंसा जिला के साथ-साथ राज्य स्तर से भी हो रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस 26 जनवरी को इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी जाएगी।

    व्यवसायी के सफलता की कहानी 

    कतरास के कांको में रहने वाले बीरबल मंडल ने पोल्ट्री के व्यवसायियों में अपनी विशेष पहचान बनाई है। कभी 100 मुर्गियों से पोल्ट्री का व्यवसाय शुरु करने वाले बीरबल अब पद्मश्री पुरस्कार की दौड़ में है।

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    केंद्र सरकार ने अलग-अलग क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वालों के लिए सभी जिलों से पद्मश्री पुरस्कार के लिए नाम मांगें थे। धनबाद के पशुपालन विभाग ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए बीरबल मंडल के नाम की अनुशंसा की है।

    100 मुर्गियों से शुरू किया था व्यवसाय 

    बीरबल मंडल ने बताया कि 1996 में 100 मुर्गियों से पोल्ट्री व्यवसाय की शुरुआत की थी। छोटे स्केल पर घर से ही इन्होंने इस व्यवसाय की शुरुआत की थी।

    उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में लाभ मिलने के बाद कई बॉयलर फार्म बनाए। धीरे-धीरे 500 फिर 1000 बॉयलर फार्म बनाए। वर्तमान में 25 हजार बॉयलर फार्म चला रहे हैं।

    कई व्यवसायियों को किया प्रेरित 

    इन्हें देख कर सिर्फ जिले के ही नहीं, बल्कि झारखण्ड के विभिन्न जिलों से 35 से 40 की संख्या में किसान इनसे प्रेरित होकर आज मुर्गी फार्मिंग से लेकर लेयर फार्म, बिडर फार्म, हेचरी, फीड प्लांट का सफल व्यवसाय कर रहें है। इनका यह ग्रुप झारखंड में 70 प्रतिशत अंडो की सप्लाई कर रहा है।

    हेचरी से चिक्स का सफर 

    इस सफलता के बाद बीरबल मंडल ने वर्ष 2001 में हेचरी की फैक्ट्री लगाई। हैदराबाद से अंडा मंगवाकर चिक्स का उत्पादन करना शुरू किया और मार्केट में सप्लाई करने लगे।

    यह कारोबार भी काफी अच्छा चला, लेकिन 10 साल बाद इस कार्य में कमाई कम होने लगी और प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई। इसके बाद इन्होंने हेचरी में अंडा डालकर खुद से चिक्स निकालने का काम शुरू किया।

    70 प्रतिशत अंडे की कर रहे आपूर्ति 

    2011 में लेयर फार्म खरीदा। लेयर फार्म से बीरबल को अच्छी कमाई हुई। जिसके बाद चार-पांच लेयर फार्म लगाए। झारखंड का पहला लेयर फार्म बीरबल द्वारा ही बनावाया गया था।

    फिलहाल उनके फार्म में डेढ़ से दो लाख अंडे का उत्पादन होता है। झारखंड के तीन चार जिलों में लेयर फार्म बना है और सभी लेयर फार्म काफी अच्छा उत्पादन कर रहे हैं।

    जितने अंडे की झारखंड में खपत होती है, उसका 70 प्रतिशत आपूर्ति फिलहाल बीरबल और इनका ग्रुप ही करते हैं। जबकि महज 30 प्रतिशत अंडा पंजाब, हैदराबाद और पश्चिम बंगाल से मंगवाया जाता है।

    आने वाले समय में इनका लक्ष्य 100 प्रतिशत करने का है। साथ ही साथ झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों में भी अंडो की सप्लाई करने की इनकी योजना पर कार्य चल रहा है।

    एक प्रश्न के जबाब में बीरबल ने बताया कि कुछ दिन बाद उनकी पूरी टीम पूरे झारखंड में अंडे की आपूर्ति करेगी और बाहर भेजने का भी काम करेगी।

    उन्होंने बताया कि फिलहाल उनके अलग-अलग प्लांट में करीब 400 से 500 मजदूर काम कर रहे हैं। जबकि झारखण्ड के विभिन्न जिलों में इस कारोबार से करीब 800 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।

    अवशिष्ट पदार्थ से बिजली बनाने की योजना 

    बीरबल मंडल ने बताया कि हेचरी से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ को लीटर (लाही) कहते हैं। इसे खुले में फेंकने पर यह काफी बदबू करता है। इस समस्या का हमने निदान निकाला है।

    उन्होंने कहा कि उनकी योजना अवशिष्ट पदार्थ से बिजली तैयार करने की है। इसके लिए दो बायोगैस प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है। इन अवशिष्ट पदार्थों से बिजली तैयार की जाएगी।

    उन्होंने बताया कि इस योजना के लिए सरकार सब्सिडी भी दे रही है, ताकि बायोगैस की दिशा में लोग प्रोत्साहित हों। वहीं पद्मश्री पुरस्कार के लिए अनुशंसा किए जाने पर उन्होंने कहा कि मेरी मेहनत का फल अगर मुझे मिल जाए तो मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझूंगा।

    बायोगैस फरवरी में बन कर हो जायेगा तैयार 

    लीटर यानी लाही से बनने वाला गैस और खाद इस वर्ष के फरवरी माह तक बन कर तैयार हो जायेगा। जिससे गाड़ी चलेगी, जनरेटर चलेगा और बिजली बनेगी, साथ ही साथ खाना बन सकेगा।

    उन्होंने बताया गैस का उपयोग अपने फार्म में जनरेटर के माध्यम से बिजली उत्पादन करने के लिए करेंगे। जिससे लाखों रुपये का बिजली बिल बचेगा और लोगों को दुर्गन्ध से भी राहत मिलेगी। साथ ही साथ इससे बनी खाद की आपूर्ति बंगाल और असम में करेंगे। जहां इसकी काफी मांग है।

    युवाओं को मिल रहा रोजगार 

    वहीं प्लांट में काम करने वाले अर्जुन रजक ने कहा कि बीरबल मंडल के इस कार्य से कई लोगों को रोजगार मिला है। पहले युवा वर्ग रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे थे, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर काम मिलने से युवाओं का पलायन रुका है।

    पद्मश्री पुरस्कार के लिए बीरबल मंडल के नाम की अनुशंसा की गई है। बोकारो की गवर्मेंट पोल्ट्री फार्म को बीरबल मंडल की पोल्ट्री फार्म के सिस्टम की तर्ज पर विकसित करने की योजना तैयार की गई है। इसके लिए डायरेक्टर विजिट भी कर चुके हैं। -आलोक कुमार सिन्हा, जिला पशुपालन पदाधिकारी

    ज्ञात हो, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में पद्म पुरस्कार शामिल है। कला, समाज सेवा, लोक कार्य, इंजीनियरिंग, उद्योग, व्यवसाय, चिकित्सा, खेलकूद, साहित्य, शिक्षा, सिविल सेवा जैसे उत्कृष्ट कार्यों के लिए यह पुरस्कार दिए जाते हैं।

    हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर चयनित लोगों के नाम की घोषणा की जाती है। सामान्य तौर पर मार्च, अप्रैल महीने में राष्ट्रपति के द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

    कहां-कहां है फार्म 

    बीरबल मंडल का फार्म कांको, बरवाडीह, राजगंज सहित पाठकडीह व नेपेडीह में है। कांको, बरवाडीह व राजगंज में फीड प्लांट, लेयर फार्म व पाठकडीह एवं नेपेडीह में दो लाख का फार्म बना हुआ है, जबकि तीनों में लेयर फार्म भी है। वही बरवाडीह में बॉयलर फार्म, बिडर फार्म, हेचरी, फीड प्लांट भी मौजूद है।

    एक फार्म की लागत 

    अगर हम फार्म की लागत की बात करें तो 50 हजार के एक फार्म में कम से कम 4 से 5 करोड़ रूपये की लागत लग जाती है। जो की किसान को काफ़ी अच्छा मुनाफा देती है और काफ़ी कम समय में ही किसान की लागत निकल जाती है।

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