आग से खत्म हो गई 14 जिंदगियां: देवदूत बनकर पहुंची मनीषा, बच्चों व कई परिवारों को बचाया
धनबाद के जोड़ाफाटक शक्ति मंदिर रोड स्थित आशीर्वाद अपार्टमेंट में मंगलवार की शाम आग की घटना में 14 लोगों की मौत हो गई। इस घटना में कई लोग मसीहा बनकर सामने आए। किशन शर्मा के परिवार ने बहुत लोगों की मदद की। उनकी बेटी मनीषा तो देवदूत बन गई।
धनबाद,जागरण संवाददाता। धनबाद के जोड़ाफाटक शक्ति मंदिर रोड स्थित आशीर्वाद अपार्टमेंट में मंगलवार की शाम करीब 6:30 बजे आग लग गई। इस अपार्टमेंट में रहनेवाले सुबोध लाल की बेटी की शादी थी। उनके घर में हजारीबाग और बोकारो से रिश्तेदार आए हुए थे। आग में जलने और दम घुटने से 14 लोगों की जान चली गई। वहीं 36 लोग जख्मी हुए हैं। इस घटना में कई लोग मसीहा बनकर सामने आए। किशन शर्मा के परिवार ने बहुत लोगों की मदद की। उनकी बेटी मनीषा तो देवदूत बन गई। उसने कई लोगों का जीवन बचा लिया। अन्यथा मरने वालों की संख्या और बढ़ जाती।
यह कहना है इस घटना से बचकर निकले छठवीं मंजिल में रहने वाले संजय कुमार गुप्ता उर्फ फंटूस का। संजय ने बताया कि हर ओर धुआं था, जिसको जहां जगह मिल रही थी भाग रहा था। लग रहा था मानो काल हर ओर तांडव कर रहा है। सामने मौत खड़ी थी, किसी प्रकार बस बच गए। वह छठी मंजिल से नीचे आ रहा था। इसी बीच चौथी मंजिल पर कई लोग लिफ्ट खोलकर अंदर घुस आए। हम बाहर निकल गए, तभी लिफ्ट नीचे चली गई।
वहां हर ओर धुआं भरा था। दम घुटने लगा। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। मौत सामने खड़ी थी। सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी, खांसी से बुरा हाल था। लग रहा था कि अब जान नहीं बचेगी। सीढ़ियों से नीचे जाते तो दम जरूर घुट जाता। तभी मन में विचार आया कि वहां लगी खिड़की तोड़ देते हैं। उस खिड़की का शीशा लात मारकर तोड़ा। उसमें से सिर निकालकर बाहर की हवा में सांस लेने लगे। धुआं फिर भी लग रहा था, मगर कुछ राहत थी।
छत पर पत्नी भागी, इसलिए बची जान
काफी देर यूं ही प्रभु का नाम लेते खड़ा रहा, इसके बाद बचाव दल ने आकर नीचे उतारा। हमारी पत्नी भी आग लगने से घबरा गई थी। वह फ्लैट से निकलकर तुरंत छत पर भाग गई। वहां उसकी जान बची। यदि वह नीचे आती तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता था।
आग बुझाने में सफल नहीं हुई तो बच्चों को लेकर भागी
दूसरी मंजिल पर रहने वाली फैशन डिजाइनर मनीषा को जैसे ही आग लगने की खबर मिली, तो वह पड़ोसी पंकज के घर पहुंचीं। वहां आग बुझाने की कोशिश की। सफल नहीं हुई तब उनके दोनों बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थान पर भागी। इसके बाद मनीषा ने आस-पड़ोस के घरों को खटखटाया। वह चीख रही थी, जल्दी निकलकर सुरक्षित जगह पर जाओ, आग लग गई है। उस समय तक कई परिवारों को आग की भनक भी नहीं थी। यदि मनीषा दिलेरी न दिखाती तो कई परिवारों की जान खतरे में फंस जाती।