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    भाकपा माले ने लेबर कोड का किया विरोध, 22-28 नवंबर तक प्रतिवाद सप्ताह चलाने का किया फैसला

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 06:51 AM (IST)

    कतरास में भाकपा माले कार्यालय में केंद्र सरकार के लेबर कोड के खिलाफ विरोध सप्ताह शुरू किया गया। हलधर महतो ने कहा कि यह कानून मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश है और उनके अधिकारों को छीन लेगा। भाकपा माले ने 22 से 28 नवंबर तक प्रतिवाद सप्ताह चलाने का फैसला किया है और सभी श्रमिक संगठनों से इसमें शामिल होने की अपील की है।

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    भाकपा माले ने शुरू किया केंद्र सरकार के लेबर कोड के खिलाफ प्रतिवाद सप्ताह। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, कतरास। गुहीबांध बस पड़ाव स्थित भाकपा माले कार्यालय में शनिवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रतिवाद सप्ताह की शुरूआत की गई। भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य हलधर महतो ने कहा कि श्रमिकों को गुलाम बनाने का कानून, मोदी सरकार द्वारा थोपे गये श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ तीखा प्रतिवाद दर्ज किया है।

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    इसे मजदूरों को कारपोरेट गुलाम बनाने की साजिश है। भाकपा माले का स्पष्ट मत है कि यह चारों लेबर कोड मजदूर वर्ग पर कारपोरेट मालिकों की मनमानी थोपने की साजिश है। घोषित श्रम संहिताओं का उद्देश्य मजदूरों द्वारा वीरतापूर्ण संघर्षों, आंदोलन और कुर्बानियों से ही ऐतिहासिक अधिकारों को छीनना है।

    भाकपा माले ने इसके खिलाफ 22 से 28 नवंबर तक प्रतिवाद सप्ताह चलेगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा और कार्य सुरक्षा के संदर्भ में यह मजदूरों को समझौता करने के लिए विवश करेगा।

    इससे एक ओर मजदूरों के अधिकारों को कमजोर की जाएगी तो दूसरी ओर कारपोरेट घरानों, पूंजी मालिकों और नौकरशाही के हाथों में निरंकुश अधिकार सौंपेगी। लेबर कोड के जरिए महिला एवं अन्य सभी असुरक्षित श्रमिकों के श्रम के खुले शोषण का रास्ता तैयार किया जा रहा है।

    मजदूरों के संगठित होने और शोषण, दमन के खिलाफ प्रतिवाद, विशेषकर हड़ताल के अधिकार पर हमला किया जा रहा है। भाकपा-माले मोदी सरकार से मांग करती है कि वह तत्काल इन जन विरोधी श्रम संहिताओं को वापस ले।

    उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य कमिटी राज्य के सभी श्रमिक संगठनों, प्रगतिशील ताकतों, जनसंगठनों और समाज के सभी न्यायप्रिय नागरिकों से अपील करती है कि वे श्रम संहिताओं के खिलाफ शुरू किए जा रहे प्रतिवाद में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों। बैठक में ठाकुर महतो, कपूर पंडित, शंकर प्रजापति, बंटी प्रजापति, विक्रम प्रजापति, बजरंगी प्रजापति, अर्जुन पंडित आदि मौजूद थे।

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