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    Dhanbad News: किसी की खो गई तो कुछ ने रिश्तेदारों को दे दी गाय, पशुधन विकास योजना में हो रहा बड़ा 'खेल'

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 12:23 PM (IST)

    धनबाद में गव्य विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत किसानों को दुधारू पशु दिए जाते हैं ताकि उनकी आय बढ़ सके। लेकिन कुछ लाभुक गाय मिलने के बाद उन्हें बेच रहे हैं या रिश्तेदारों को दे रहे हैं। जांच में पता चला कि कई किसानों को मिली गायें उनके पास नहीं हैं।

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    पशुधन विकास योजना की गाय का भी हो रहा सौदा। (फोटो जागरण)

    राकेश कुमार महतो, धनबाद। गव्य विकास विभाग की ओर से किसानों को मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत दुधारू पशु उपलब्ध कराए जाते हैं।

    मकसद यही कि उनकी आय बढ़े। बावजूद इस योजना की हवा भी लाभुक और बिचौलिया ही निकाल रहे हैं। जो गाय मिल रहीं, उनको बेच दिया जा रहा।

    जागरण संवाददाता ने जब इस योजना की पड़ताल की तो हैरतअंगेज बातें सामने आईं। दरअसल योजना के तहत सरकार 90 प्रतिशत तक अनुदान राशि देकर महिला किसानों को गाय दे रही है। गत वर्ष जिले में करीब 300 गाय दी गईं थीं। इनमें से कई ने गाय बेच दीं।

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    जब ऐसी कुछ महिला किसानों से बात की गई तो वे बगलें झांकने लगीं। कुछ तो यह बताने लगीं कि रिश्तेदारों को दे दी है। अब योजना की गाय तो खुद ले ली, बाद में रिश्तेदार को दे दी, यह बात हजम ही नहीं हो रही।

    लाभुकों के आसपास के रहने वालों ने दबी जुबान से बताया कि दुधारू पशुओं ने जब दूध देना कम किया तो उनको बेच दिया गया। योजना के तहत मिली गाय न बेच सकते न किसी को दे सकते अब यह भी जान लें कि इस योजना के तहत लिए गए पशुओं को बेचना या किसी को देना सख्त मना है।

    लाभुक को पशु को खुद घर में पालना है। अगर दुधारू पशु दूध कम दे रहा है, या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो विभाग को सूचित करना है। ताकि मृत्यु होने की स्थिति में पुनः गाय दी जा सके। लाभुक विभाग को सूचित नहीं करता है और जांच के दौरान लाभुक के घर में गाय नहीं मिलती तो विभागीय कार्रवाई हो सकती है।

    कान पर लगता है टैग

    गव्य विकास कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि योजना के अंतर्गत दी जाने वाली गाय या भैंस के कान में सरकारी टैग लगाया जाता है। इसमें एक नंबर रहता है। उसमें संबंधित पशु का पूर्ण विवरण होता है। इंश्योरेंस, कब खरीदा गया, लाभुक कौन है, कहां का है, यह जानकारी होती है।

    दो गाय की जगह दी एक गाय, वह भी दूसरे को दे दी

    बलियापुर के भिखराजपुर की शुकुना देवी को दो गाय देने की हरी झंडी विभाग ने दी। उनको एक गाय तो एक वर्ष पहले मिल गई। दूसरी आज तक नहीं मिली। जब जागरण संवाददाता इनके घर पहुंचा तो कोई गाय ही मौके पर नहीं मिली। जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अपने रिश्तेदार को गाय दे दी है। वहीं पड़ोस के लोगों ने बताया कि उसे बेच दिया गया है।

    पांच गाय की जगह केवल एक गाय

    बलियापुर की कोनिका गच्छाल को पांच गाय विभाग ने योजना के तहत दीं। पड़ताल में उनके घर में सिर्फ एक मिली। कोनिका का कहना है कि अपनी बहन को अन्य चारों गाय दे दीं। उनका कहना था कि शेड नहीं बना, इसलिए दे दीं।

    करीबी को गाय दे दी साहब

    गोविंदपुर भितिया के मो. इनामुल ने पांच गाय की योजना ली। तीन गाय मिल गईं। इनके पास अभी एक भी गाय नहीं है। वे कहते हैं कि गाय दूध नहीं देती थी। इसलिए करीबी को रखने के लिए दे दी।

    गाय चराने गई थी, खो गई

    टुंडी के बेंगनरिया गांव की सुनिता देवी को दो गाय दी गई। इनके यहां एक भी मौके पर नहीं मिली। ये कहती हैं कि शेड निर्माण की बात कही गई, शेड बना नहीं इसलिए रिश्तेदार को दे दी। वहीं, परसबनियां की अनीता देवी कहती हैं कि हमारी गाय चरने गई थी, तभी खो गई। उसे तलाश रहे हैं।

    जो गाय लाभुक को दी जाती हैं, उनकी स्वास्थ्य जांच कर बीमा करवाकर देते हैं। यदि गाय रिश्तेदार को दी गई है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। -विपिन कुमार, गव्य विकास पदाधिकारी, धनबाद