जानें अपने अधिकार: सर्पदंश से मौत हुई तो सरकार परिजनों को देगी चार लाख रुपये मुआवजा Dhanbad News
बारिश का मौसम आते ही सर्पदंश वज्रपात भू-स्खलन व डूबने की घटनाएं आम हो चली हैं। ऐसे मामलों में यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो सरकार उन्हें मुआवजा देती है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: बारिश का मौसम आते ही सर्पदंश, वज्रपात, भू-स्खलन व डूबने की घटनाएं आम हो चली हैं। ऐसे मामलों में यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो सरकार उन्हें मुआवजा देती है। बावजूद जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग इसका लाभ नहीं ले पाते। केंद्र व राज्य सरकार ने 22 ऐसी प्राकृतिक आपदाएं अधिसूचित की हैं, जिनके तहत मृत्यु होने पर मृतक के आश्रितों को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है। इसके लिए राज्य आपदा मोचन निधि का गठन किया गया है। ऐसे मामलों के लाभ के लिए मृतक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ आश्रित आवेदन करें तो उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। घायल होने पर भी इस निधि से मुआवजे का प्रावधान है।
सर्पदंश, वज्रपात, भू-स्खलन व डूबने के मामले हैं आम : कोयलांचल में इन दिनों प्रतिदिन दर्जनभर सर्पदंश की शिकायतें पीएमसीएच में आ रही हैं। बारिश के बाद अग्नि प्रभावित व कोलियरी क्षेत्रों में भू-स्खलन की घटनाएं भी होती रहती है। अधिकांश मामलों में लोग पुलिस-प्रशासन को घटना की जानकारी देना भी जरूरी नहीं समझते। बंद खदान व डोभा-तालाबों में डूबने की घटनाएं भी होती ही रहती है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट है जरूरी: इन प्राकृतिक आपदाओं में मौत पर मिलने वाली राशि के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी है। अधिकांश मामलों में अगर व्यक्ति घायल न हुआ हो तो उसका गांव में ही अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं होने की वजह से आश्रितों को मुआवजा नहीं मिल पाता। कई मामलों में मृतक के बच्चा या किशोर होने पर पोस्टमार्टम नहीं करने की सिफारिश की जाती है। परिवार व समाज के दबाव पर पुलिस व अस्पताल प्रबंधन भी मान जाता है। ऐसे मामलों में जरूरी है कि यदि किसी प्राकृतिक आपदा में किसी की मृत्यु हुई हो तो पोस्टमार्टम जरूर कराएं।
जानकारी के अभाव में लोग नहीं करते आवेदन: अधिकांश मामलों में जानकारी के अभाव में लोग इन मामलों में आवेदन ही नहीं करते। कई मामलों में इस तरह की मौतों के बाद राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के दबाव पर आर्थिक रूप से कमजोर व अशिक्षित तबके के लोगों को अनाज व प्रखंड कार्यालय से मिलने वाले 20 हजार रुपये का मुआवजा देकर सलटा दिया जाता है।
ऐसे करें आवेदन: प्राकृतिक आपदाओं में मृत्यु होने पर आश्रित अपने अंचल कार्यालय में आवेदन करें। सादे कागज पर भी आवेदन दिया जा सकता है। इसके साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट अटैच होनी चाहिए। सीओ की सत्यापन रिपोर्ट अपर समाहर्ता व उपायुक्त के पास पहुंचती है। वहां से स्वीकृति मिलते ही आश्रित को राज्य सरकार के राज्य आपदा मोचन निधि से चार लाख रुपये मुआवजा का भुगतान कर दिया जाता है।
केंद्र सरकार से अधिसूचित प्राकृतिक आपदा: बाढ़, सुखाड़, अग्निकांड, भूकंप, चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमपात, भू-स्खलन, सुनामी, बादल फटना, कीट का आक्रमण व शीतलहर। इनसे प्रभावितों को मिलने वाले मुआवजे में केंद्रांश 75 फीसद व राज्यांश 25 फीसद रहता है।
राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित प्राकृतिक आपदा: वज्रपात, भू-गर्भ जल क्षय (अल्पवृष्टि के कारण), अति वृष्टि, सर्पदंश, खनन जनित, रेडियेशन, नाव दुर्घटना, डूबना (नदी, डोभा, जलप्रपात), भगदड़ व गैस रिसाव। इनके प्रभावितों को मिलने वाले मुआवजे में राज्यांश 75 फीसद व केंद्रांश 25 फीसद रहता है।
"सर्पदंश, भू-स्खलन जैसे मामलों में राज्य आपदा मोचन निधि से मुआवजे के लिए बहुत कम आवेदन किए जाते हैं। आवेदन किया जाए तो अधिकांश मामलों में आपदा प्रबंधन प्राधिकार की ओर से एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाता है।"
- संजय झा, जिला आपदा प्रबंधक, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद
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