Move to Jagran APP

बिनोद बिहारी महतो की जयंती आज: पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए बिनोद बाबू...

बिनोद बिहारी महतो पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए। चार फरवरी 1973 को अलग झारखंड राज्य निर्माण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय टेकलाल महतो आदि के साथ मिलकर उन्‍होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 11:54 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 11:54 AM (IST)
बिनोद बिहारी महतो की जयंती आज: पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए बिनोद बाबू...
23 सितंबर 1923 को बिनोद बिहारी महतो का जन्‍म हुआ था।

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया (धनबाद): धनबाद जिले के सुदूर बलियापुर बड़ादाहा गांव में जन्मे शिक्षाविद् बिनोद बिहारी महतो पढ़ो और लड़ो का नारा देकर अमर हो गए। चार फरवरी 1973 को अलग झारखंड राज्य निर्माण के लिए दिशोम गुरु शिबू सोरेन, प्रसिद्ध मजदूर नेता एके राय, टेकलाल महतो आदि के साथ मिलकर उन्‍होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया। वर्षों अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन कर इसे मुकाम तक पहुंचाया। वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य की घोषणा की।

loksabha election banner

पढ़ो और लड़ो का नारा देने के साथ सामाजिक कुरीतियों के अलावा महाजनी शोषण का भी तीव्र विरोध कर बिनोद बिहारी ने लोगों के साथ आंदोलन चलाया। यही कारण है कि धनबाद और इसके आसपास जिलों के ग्रामीण जागरूक हुए। अपने अधिकार के लिए आवाज उठानी शुरू की। इसका उन्हें परिणाम भी मिला। बिनोद बिहारी सामाजिक कार्य करने के कारण ही वे आज भी ग्रामीणों के दिलों में बसे हैं। बलियापुर बीबीएम कालेज परिसर में इनके समाधि स्थल के अलावा पूरे राज्य में इनकी 23 सितंबर को इनकी जयंती और 18 दिसंबर को पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई जाती है। इस दौरान सप्ताह व्यापी बिनोद मेला भी बलियापुर में लगता है। बिनोद बिहारी महतो स्मारक, मेला कमेटी व बीबीएम कालेज समिति से जुड़े पूर्व विधायक आनंद महतो, परिमल कुमार महतो, सुनील कुमार महतो, नारायण चंद्र महतो, डॉ बीके भट्टाचार्य, परमानंद दास आदि सक्रिय हैं। शुक्रवार को कॉलेज परिसर स्थित समाधि स्थल पर सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा भी आयोजित है।

बताया जाता है कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से बीते दो साल से सादगीपूर्वक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है। बलियापुर के अलावा झरिया, सिंदरी, धनबाद, टुंडी गिरिडीह में भी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।

शिक्षक, क्लर्क के बाद बने प्रतिष्ठित अधिवक्ता

झारखंड आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो का जन्म बलियापुर के बड़ादाहा गांव में पिता किसान माहिंदी महतो व माता मंदाकिनी के घर 23 सितंबर 1923 को हुआ था। एचई स्कूल धनबाद से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद 1948 में बलियापुर बोर्ड मध्य विद्यालय में एक साल तक शिक्षक के रूप में काम किया। फिर आपूर्ति विभाग में क्लर्क भी बने। आगे की पढ़ाई के लिए क्लर्क की नौकरी छोड़ पीके राय मेमोरियल कॉलेज (तब कतरास) से इंटर की परीक्षा पास की। फिर स्नातक की डिग्री लेने के बाद पटना लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री हासिल की। कुछ ही दिनों में वे धनबाद के प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं में गिने जाने लगे।

शिवाजी समाज का गठन कर लोगों को शिक्षा के प्रति किया जागरूक

देश आजाद होने के बाद 60 के दशक में बिनोद बिहारी महतो ने शिवाजी समाज का गठन कर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन चलाया। लोगों को शिक्षित करने के लिए सुदूर ग्रामीण इलाकों में उन्होंने अनेक शिक्षण संस्थान खोले। इनके नाम से स्थापित शिक्षण संस्थानों में हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं। धनबाद में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अलावा धनबाद व गिरिडीह आदि जिलों में महाविद्यालय और विद्यालय इनके नाम से हैं। जगह-जगह इनकी दर्जनों प्रतिमाएं लगी हैं।

टुंडी और सिंदरी से विधायक के बाद गिरिडीह से चुने गए सांसद

बिनोद बिहारी महतो राजनीति में आने के बाद पहली बार 1980 को टुंडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से 1985 में विधायक बने। 1991 के मध्यावधि आम चुनाव में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। 18 दिसंबर 1991 को दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान हृदय गति रुक जाने से बिनोद बिहारी महतो का निधन हो गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.