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    अनोखी कृष्ण भक्ति: सात साल से लड्डू गोपाल का ‘ट्रीटमेंट’ कर रहीं अर्चना

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 06:14 PM (IST)

    यहां बुटिक में सजते संवरते हैं लड्डू गोपाल। मेकओवर सेंटर में कान्हा जी का ट्रीटमेंट होता है। झारखंड के धनबाद में शिक्षिका अर्चना सिंह सांवरिया बुटीक चलाकर सात वर्षों से लड्डू गोपाल की टूटी-फूटी मूर्तियों को संवार रही हैं। महीने में 150 मूर्तियों की रौनक लौटा भक्तों से प्राण प्रतिष्ठा का आग्रह करती हैं।

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    टूटी फूटी मूर्तियों में अर्चना फिर से लौटा रही भक्ति के रंग।

    रविशंकर सिंह, जागरण, धनबाद। आपको जानकर अचरज होगा कि झारखंड के धनबाद में भगवान का भी ट्रीटमेंट हो रहा है। जी हां, धनबाद के हाउसिंग कालोनी में एक ऐसा भी बुटिक है जिसमें कान्हा जी का ट्रीटमेंट होता है। अभी जन्माष्टमी पर तो काफी संख्या में लड्डू गोपाल ट्रीटमेंट कराने के लिए पहुंचे हैं।

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    सांवरिया बुटिक के माध्यम से बडस गार्डन स्कूल राजगंज स्कूल की शिक्षिका अर्चना सिंह अपनी अनूठी सेवा भावना से श्रीकृष्ण की सेवा से लोगों के दिल जीत रही हैं।

    बुटिक संचालिका अर्चना सिंह बीते सात वर्षों से लड्डू गोपाल यानी कान्हा जी का ‘ट्रीटमेंट’ कर रही हैं। यह सेवा वह न सिर्फ शौक से, बल्कि बेहद मामूली सेवा शुल्क 251 रुपये लेकर करती हैं। अर्चना बताती हैं कि उनके पास लोग ऐसे लड्डू गोपाल लाते हैं जिनका रंग उड़ गया हो, मूर्ति में कहीं दरार या किसी अंग में टूट-फूट आ गई हो।

    उनके पास आने पर कान्हा जी को नया रूप, नया रंग और निखार मिल जाता है। उनका कहना है कि ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले वह कान्हा जी को बिहारी जी के चरणों में समर्पित करती हैं और फिर पूरे मन से उन्हें संवारती हैं। ट्रीटमेंट के दौरान वे सभी लड्डू गोपाल को भोग भी लगाती हैं।

    सेवाभाव व मेहनत से चमक उठते हैं लड्डू गोपाल

    अर्चना ने बताया कि उनके काम में उनकी दोस्त सिंपल भी सहयोग करती हैं। दोनों मिलकर मूर्ति को साफ करती हैं, टूटी जगह को ठीक करती हैं, नए सांचे (मोल्ड) से अंग-भंग सुधारती हैं और रंग-रोगन कर मूर्ति को पहले से भी सुंदर रूप में बदल देती हैं। लड्डू गोपाल की आंखों से लेकर हाथ पैर व दूसरे टूटे फूटे अंग सुधारकर उनमें जान डाल देती हैं। अर्चना बताती हैं कि वह लड्डू गोपाल को सजाने-संवारने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रंग, मोल्ड इट केमिकल और मटेरियल का इस्तेमाल करती हैं, ताकि उनकी चमक लंबे समय तक बनी रहे। एक मूर्ति को सुधारने में तीन घंटे तक का समय पूरे मनोयोग से वे देती हैं। ट्रीटमेंट के बाद वे लोगों से दोबारा प्राण प्रतिष्ठा का भी आग्रह करती हैं।

    महीने भर में 150 लड्डू गोपाल का ट्रीटमेंट

    अर्चना कहती हैं कि भक्त अपने कान्हा जी को अब साल में एक बार ट्रीटमेंट के लिए भेजने लगे हैं। इस बार मात्र एक महीने में ही अर्चना करीब डेढ़ सौ लड्डू गोपाल का ट्रीटमेंट कर चुकी हैं। अपने लड्डू गोपाल का ट्रीटमेंट कराने पहुंची भक्त अनु, किरण व बिनीता सिंह ने बताया कि अर्चना के हाथों के हुनर व सेवा भाव से बदरंग, टूटे फूटे या घिस चुके लड्डू गोपाल जी नई व अनोखी मुस्कान बिखेरने लगते हैं।

    खडेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी राकेश कुमार पांडेय कहते हैं- टूटे फूटे या घिसे लड्डू गोपाल की मूर्तियों को मंदिर में छोड़ आने या इधर उधर रख आने से उनका ट्रीटमेंट कराना बहुत बढ़िया है। जब हम अपने बच्चों को बीमार होने पर इलाज करा सकते हैं तो अपने आराध्य लड्डू गोपाल या श्रीकृष्ण के बाल रूप को नए रूप में दुरुस्त कराना सच्ची श्रद्धा है। ट्रीटमेंट के बाद घर में दोबारा स्थापित कराने से पहले लोगों को चाहिए कि प्राण प्रतिष्ठा कर लें।