Trump Tariff: अमेरिकी टैरिफ ने बढ़ाई उद्योगपतियों की चिंता, बढ़ा नौकरी जाने का खतरा; एक्सपोर्ट पर भी होगा असर
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ गई है। विशेष रूप से सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और लघु एवं मध्यम उद्योग (एसएमई) जैसे उद्योगों पर इसका असर दिखेगा। धनबाद के उद्योगपतियों का मानना है कि रेसीप्रोकल टैरिफ हितकर नहीं है इससे उद्योगों में नौकरियों का खतरा भी पैदा होगा। इस दिशा में केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। Trump Tariff: अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ ने उद्योगों को चिंता में डाल दिया है। इस टैरिफ को लेकर बड़े-बड़े उद्योगपतियों के अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और लघु एवं मध्यम उद्योग (एसएमई) जैसे उद्योगों पर भी इसका असर दिखेगा। इन्हीं चिंताओं से धनबाद का उद्योग जगत भी परेशान है।
केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत
यहां के उद्योगपतियों का मानना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ हितकर नहीं है, इस दिशा में केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। होटल व टीएमटी उद्योग से जुड़े धनबाद के अमितेश सहाय ने बताया कि रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण भारतीय निर्यात पर कमी होगी।
छंटनी का बढ़ा खतरा
निर्यात पर निर्भर जिले अथवा राज्य के उद्योगों में नौकरियों का खतरा उत्पन्न होगा। खास कर एमएसएमई और एसएमई में उत्पादन अधिक होगा और खपत कम। इससे यहां छंटनी हो सकती है।
इसका कारण है कि ऐसो उद्योगों के पास वैकल्पिक बाजार ढूंढने की क्षमता बहुत अधिक है। धनबाद जैसे इलाकों में एमएसएमई और एसएमई उद्योग अधिक हैं।
अमेरिका के बाजारों में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे। इस कारण वहां इनकी मांग कम होगी। परिणाम यह होगा कि उत्पाद की बिक्री गिरेगी और सीधे तौर पर भारतीय उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
राजीव शर्मा, इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी
जबकि वर्तमान दौर में कृषि मामले में भारत काफी मजबूत है। इस दिशा में अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह भारतीय बाजार में उतरने जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो यहां के कृषि आधारित उपज के बिक्री पर भी असर हो सकता है।
लाभांश पर पड़ सकता असर
धनबाद के उद्योगपति एसके सिन्हा ने कहा कि अमेरिकन टैरिफ का भारतीय उद्योगों को बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा। जबकि इनके लाभांश पर थोड़ी कमी आ सकती है। इसका मुख्य कारण है कि अमेरिकन टैरिफ के बाद भी भारतीय उत्पादों की कीमत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम ही रहेगी।
दवाओं के निर्यात को इससे मुक्त रखा गया है। इसी प्रकार से कुछ उत्पादों पर 10 प्रतिशत भी टैरिफ है। अमेरिका की सोच है कि उसके देश में आयात होने वाले उत्पादों की कीमत बढ़े, ताकि वहां स्थानीय उद्योग अधिक संख्या में स्थापित किया जाए।
फिलहाल भारतीय उद्योगों में भय है, लेकिन इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। आने वाले वक्त में अमेरिका को अपना यह टैरिफ वापस लेना होगा।
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