नालंदा गैंग, लोकल लिंक और संकड़े रास्ते; HDFC बैंक लूट की गुत्थी सुलझाने बिहार में कैंप कर रही देवघर पुलिस
मधुपुर एचडीएफसी बैंक डकैती की जांच में पुलिस टीम बिहार में कैंप कर रही है। पुलिस को शक है कि घटना के पीछे नालंदा के कुख्यात बैंक डकैतों का गिरोह है जिसके तार बेउर जेल से जुड़े हो सकते हैं। गया और पटना में भी पुलिस जांच कर रही है। अपराधी भागने के लिए जिन ग्रामीण रास्तों का इस्तेमाल किए उससे लोकल लिंक की प्रबल आशंका है।

जागरण टीम, देवघर/मधुपुर। मधुपुर के एचडीएफसी बैंक में सोमवर को हुई हुए दिन दहाड़े डकैती कांड की गुत्थी सुलझाने में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस की एक विशेष टीम घटना के तार बिहार से जुड़े होने की आशंका के चलते वहां कैंप कर रही है और स्थानीय पुलिस का सहयोग ले रही है। आशंका है कि इस बड़ी वारदात को बिहार के कुख्यात बैंक डकैतों के एक गिरोह ने स्थानीय अपराधियों की मिलीभगत से अंजाम दिया है। सूत्रों के अनुसार संदेह नालंदा गिरोह पर है। गिरोह का मास्टमाइंड बेउर जेल में है। चौथे दिन भी पुलिस को कुछ ठोस नहीं मिल सका है।
जांच की दिशा: नालंदा कनेक्शन और एक्जिट रूट
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच में अब तक जो जानकारी मिली है, उसके तार सीधे नालंदा के एक सक्रिय गिरोह से जुड़ते दिख रहे हैं। यह गिरोह पहले भी झारखंड, बिहार और बंगाल में कई बड़ी बैंक डकैतियों को अंजाम दे चुका है। जिसमें देवघर की पुरानी बैंक डकैती भी शामिल हैं।
- नालंदा गिरोह पर संदेह: पुलिस को शक है कि इस घटना के पीछे नालंदा गिरोह का हाथ है और इसमें गया तथा पटना के अपराधियों का कनेक्शन भी हो सकता है।
- बेउर जेल से तार: सूत्रों ने बताया कि नालंदा गिरोह का सरगना फिलहाल पटना के बेउर जेल में बंद है। पुलिस इस एंगल पर भी काम कर रही है कि कहीं इस डकैती की साजिश के तार बेउर जेल से तो नहीं जुड़े हैं।
- अपराधियों का 'वाकिफ' एक्जिट रूट: घटना के बाद अपराधी भागने के लिए गांधी नगर के संकीर्ण रास्तों का इस्तेमाल करते हुए भागे। ये रास्ते तीन से आठ फीट चौड़े हैं और इन पर कई स्पीड ब्रेकर हैं। बावजूद इसके अपराधियों की तेज़ रफ़्तार ने यह संकेत दिया कि वे रास्तों से भली-भांति वाकिफ थे।
- लोकल लिंक की तलाश: पुलिस का मानना है कि बाहरी और पेशेवर अपराधियों के गिरोह को लोकल लिंक ने पूरी मदद की थी। अपराधियों ने बुढ़ई और देवीपुर थाना क्षेत्र को पार करने के लिए भी ग्रामीण और पगडंडीनुमा सड़कों का इस्तेमाल किया, जिससे पता चलता है कि उन्होंने भागने का रूट पहले ही तय कर रखा था।
ठोस सबूत और बुर्काधारी लीडर
पुलिस अधिकारियों की टीम लगातार जांच की मॉनिटरिंग कर रही है। तकनीकी साक्ष्य जुटाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- बरामद बाइक अहम सबूत: अनुसंधान में मिली एक बाइक से पुलिस को काफी मदद मिली है। बाइक का इंजन और चेचिस नंबर पुलिस को गिरोह तक पहुंचने में मददगार साबित हो रहा है। अनुमान है कि छह अपराधी पहले तीन बाइक पर थे, जिनमें से एक बाइक खराब होने पर वे उसे छोड़कर दो बाइक पर भागे।
- बुर्के वाला लीडर: पुलिस को संदेह है कि डकैती को बुर्का पहने एक अपराधी लीड कर रहा था। पुलिस इस बुर्के वाले अपराधी की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है, साथ ही उन्हें सहयोग करने वालों की तलाश में भी जुटी है।
- बैंक में दोबारा जांच: बुधवार को भी पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने बैंक जाकर कर्मियों से फिर से पूछताछ की। बताया जाता है कि बैंक के सीसीटीवी फुटेज की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है, जिससे पहचान करने में मुश्किल आ रही है।
विशेष टीम (SIT) झारखंड, बिहार और बंगाल में हुई पिछली बैंक लूट की घटनाओं से भी इस वारदात का लिंक तलाश रही है। संदेह के आधार पर कुछ लोगों से पूछताछ भी की गई है, लेकिन पुलिस ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। पुलिस किसी ठोस सबूत के मिलने का इंतज़ार कर रही है, ताकि अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके।
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