मधुपुर का गिरिराज शिव मंदिर... जो समेटे है 500 वर्ष लंबा इतिहास, सावन में उमड़ती है जबरदस्त भीड़
Giriraj Shiva Temple मघुपुर-सारठ मेन रोड पर स्थित गिरिराज शिव मंदिर का 500 साल पुराना इतिहास बताया जाता है। सावन के महीने में जलाभिषेक कराने के लिए भीड़ उमड़ती है। जानकारी के अनुसार इस मंदिर को पथरौल के तत्कालीन राजा घटवाल टिकैत दिग्विजय सिंह के द्वारा बनवाया गया था। गिरिराज शिव मंदिर का मुख्य आकर्षण का केंद्र अछूत शिल्प है।

संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर)। मधुपुर-सारठ मेन रोड पर लालगढ़ मोहल्ला स्थित प्रसिद्ध गिरिराज मंदिर के शिव जी अपने पीछे 500 वर्ष का लंबा इतिहास समेटे हैं। मंदिर में साल भर श्रद्धालु पूजा करने आते हैं, लेकिन सावन महीने में बाबा का जलाभिषेक करने वालों की संख्या काफी बढ़ जाती है।
सावन के प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार पूजा आयोजित होता है। इस मंदिर को पथरौल के तत्कालीन राजा घटवाल टिकैत दिग्विजय सिंह द्वारा बनवाया गया था। मंदिर में भोले शंकर की भव्य मूर्ति लोगों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। इसका मुख्य आकर्षण अछूत शिल्प है।
सात फीट ऊंची है शंकर भगवान की मूर्ति
करीब सात फीट ऊंची शंकर भगवान की यह मूर्ति जिस प्रकार आराम की मुद्रा में है। मस्ती और फक्कड़पन के अंदाज में भोले शंकर अपने किसी चेले से मालिश करवा रहे हों। यह विस्मयकारी है। क्योंकि समान्यतः शंकर भगवान का स्वरूप तपस्या में लीन देव का ही रहता है।
मस्तक पर चंद्रमा, गले में शेषनाग, कड़कदार मूंछ, बाघंबर पर पहले दोनों हाथ और पांव फैला कर मालिश करवाते शिवजी की अनोखी मुद्रा देखकर भक्तों को बम-बम भोलेनाथ के मस्त एवं फकीरी ठाठ वाले अंदाज का भान हो जाता है।
इस मंदिर में नीम की लकड़ी पर रेवती-बलराम और राधा- कृष्ण तथा ऋषिमुनि की सखियों की मूर्तियां अवस्थित है। यहां प्रत्येक वर्ष धूमधाम से अगहनी पूर्णिमा के दिन पथरौल स्टेट के राजा द्वारा पूजा कराई जाती है। इतिहासकारों, पुरातात्विकों एवं शोधार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
पूजा- विधि :
इस मंदिर में सालों भर पूजा-अर्चना होती है, लेकिन सावन मास में आसपास व दूरदराज क्षेत्र के हजारों भक्त बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं। सावन मास में पूजा की व्यवस्था मंदिर समिति करती है। श्रद्धालु मंदिर के पुजारी से संकल्प कराकर मंदिर में बाबा का जलाभिषेक करते हैं। बाबा का विशेष रूप से रुद्राभिषेक भी होता है।
यहां अन्य दिनों में भी शिव भक्तों का आगमन होता है। बंगाल, बिहार, झारखंड के श्रद्धालु यहां शिवजी सहित अन्य देवी देवताओं के दर्शन के लिए सालों भर आते हैं। यहां श्रद्धालुओं का मनोकामना पूर्ण होता है। भक्तों को किसी तरह की असुविधा नहीं हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता है।- छोटेलाल पंडित, पुजारी श्री श्री गिरिराज जी मंदिर
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