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    MGNREGA Fund Shortage: झारखंड में मनरेगा का खजाना खाली, 611 करोड़ रुपये की उधारी

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 04:58 PM (IST)

    झारखंड में मनरेगा की हालत खस्ता है। केंद्र सरकार से फंड नहीं आने के कारण सामग्री मद में 598 करोड़ रुपये का बकाया है जबकि मजदूरों को 13.60 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ है। भुगतान में देरी से मजदूरों का मनरेगा से मोह भंग हो रहा है और वेंडर सामग्री देने से इनकार कर रहे हैं जिससे योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

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    झारखंड में मनरेगा का खजाना खाली, 611 करोड़ रुपये की उधारी

    जुलकर नैन, चतरा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम की झारखंड में स्थिति अच्छी नहीं है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय योजना मद का आवंटन नियमित नहीं दे रहा है। सामग्री मद में पिछले छह महीनों से आवंटन नहीं आया है। परिणाम स्वरूप वेंडरों का बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है।

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    पूरे प्रदेश में सामग्री मद में 598 करोड़ रुपए की उधारी हो गई है। मजदूरी मद का भुगतान में एक से दो महीना से नहीं हो रहा है। मजदूरों की मजदूरी का 13.60 करोड़ रुपये बकाया हो गया है। स्थिति को देखते हुए मजदूरों का मनरेगा से मोह भंग हो रहा है, तो वहीं वेंडरों ने सामग्री आपूर्ति करने से इनकार कर दिया है।

    इसका सीधा असर योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ रहा है। आवंटन के अभाव में हजारों योजनाएं ठप पड़ी हुई है। लाभुक योजनाओं का क्रियान्वयन कराने में स्वयं को असमर्थ बता रहे हैं।

    'भुगतान की स्थिति बहुत खराब'

    जिले के गिद्धौर प्रखंड के वेंडर अजय सिंह कहते हैं कि भुगतान की स्थिति बहुत ही खराब है। पिछले दस महीनों से पेमेंट नहीं आया है। लाखों रुपये का भुगतान लंबित है। पूंजी एक प्रकार से फंस गया है। अधिकारी आज-कल का आश्वासन दे रहे हैं। इसी प्रखंड के द्वारी पंचायत के वेंडर उमेश यादव ने बताया पिछले साल मई-जून के बाद सामग्री मद में आवंटन नहीं आया है।

    कान्हाचट्टी प्रखंड के जाब कार्डधारी सुरेंद्र भुइयां कहते हैं कि दो महीना से भुगतान लंबित है। मजदूरी मद में राशि का आवंटन नहीं आ रहा है। प्रखंड कार्यालय और बैंक का चक्कर काट रहे हैं।

    'घर का आटा गीला करना'

    नरेश कुमार कहते हैं कि मनरेगा में काम करने का अर्थ घर का आटा गीला करना है। अपना खाकर मजदूरी के लिए चक्कर काटना पड़ता है। इस प्रकार देखें, तो राशि के अभाव में मनरेगा की योजनाएं दम तोड़ रही है। सैकड़ों नहीं, हजारों योजनाएं लंबित है।

    जल्द आवंटन आने की संभावना है। तकनीकी कारणों से केंद्र ग्रामीण विकास मंत्रालय से आवंटन नहीं आ रहा है। राज्य सरकार के वरीय अधिकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से संपर्क में है। उम्मीद है कि सप्ताह-दस दिनों के भीतर आवंटन आ जाएगा और लंबित भुगतान का मामला हल हो जाएगा। - अमरेंद्र कुमार सिन्हा, डीडीसी, चतरा।

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