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    Jharkhand News: कभी गुजरात में रहकर करते थे मजदूरी, एक आईडिया से चमक गई झारखंड के 'उदय' की किस्मत

    Updated: Sun, 02 Mar 2025 05:55 PM (IST)

    झारखंड के चतरा जिले के बकचुम्मा गांव में रहने वाले उदय दांगी ने अपनी मेहनत से बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया है। आर्गेनिक खेती से उन्होंने न केवल स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया है बल्कि गांव और घर में खुशहाली भी लाई है। उदय की सफलता की कहानी से प्रेरणा लेकर अब गांव के अन्य लोग भी खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

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    झारखंड के चतरा जिले में स्थित बकचुम्मा गांव में रहने वाले उदय दांगी। फ़ोटो- जागरण

    जुलकर नैन, चतरा। झारखंड के चतरा जिले में स्थित बकचुम्मा गांव में रहने वाले उदय दांगी की मेहनत ने रंग लाई है। उनकी बंजर भूमि पर अब हरियाली आ गई।

    उदय ने अपने भाइयों एवं परिवार के अन्य सदस्यों को भी खेती से जोड़कर न केवल स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया बल्कि गांव और घर में खुशहाली ला दी है। इससे अब गांव के लोग भी प्रेरणा ले रहे हैं।

    कुछ साल पहले तक उदय गुजरात में दैनिक मजदूरी करता था। लोहे की फैक्ट्री में प्रवासी मजदूर थे। कोरोना महामारी में उनका रोजगार छिन गया। लाचार होकर भारी मन से घर लौट आया।

    पेट की आग ने घर की माटी से जूझने को विवश कर दिया। गांव में उनकी दो एकड़ जमीन थी, लेकिन वह भी बंजर थी। इस जमीन पर दशकों से हल नहीं चला था, उदय उसी जमीन में अपनी किस्मत ढूंढने लगे।

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    हाड़ तोड़ मेहनत से उसे उपजाऊ बनाया और आर्गेनिक खेती की शुरुआत की। महज एक साल में खेती में ऐसा

    रमा कि आसपास की छह एकड़ बंजर जमीन भी लीज पर ले ली। पूरे आठ एकड़ में आर्गेनिक खेती करने लगे।

    परिवार और गांव के युवाओं को लगाया

    • उदय ने तीन-चार साल में खेती से आर्थिक उन्नति की नई इबारत लिखी है। अपने दोनों भाइयों और घर की महिलाओं को भी खेती से जोड़ लिया है। गांव के दस युवाओं को भी वह रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
    • खेतों में पूरे साल हरियाली रहती है। अभी स्ट्राबेरी, तरबूज, केला के अलावा बीन, बैंगन, टमाटर, मटर आदि नकदी फसलें लहलहा रही है।
    • उदय खेती से सात से आठ लाख रुपये शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए अपना चारपहिया वाहन भी खरीद रखा है।
    • खेती के साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। उनके पास पांच गाय और 35 बकरियां हैं। गाय -बकरियों के गोबर
    • खाद के रूप में काम आता है। खेती की पद्धति आधुनिक है। कम पानी में अधिक और अच्छा उत्पादन करते हैं।

    किसानी में सरकारी योजनाओं से भी मिला लाभ

    उदय को खेती के लिए कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम योजना) से डीप बोरिंग और सोलर पैनल मिला है।

    उदय को स्थापित करने में जिला परिषद उपाध्यक्ष बिरजू तिवारी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनके प्रयास से डीप बोरिंग से पानी निकालने के लिए साठ केबी का ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराया गया है। जिला परिषद उपाध्यक्ष और उदय दांगी ने मैट्रिक तक की पढ़ाई साथ की है।

    एक दर्जन से अधिक पुरस्कार भी मिले

    कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उदय दांगी को तीन वर्षों में एक दर्जन से अधिक पुरस्कार मिले हैं। जिला से लेकर राज्य स्तर तक उन्हें सम्मानित किया गया है।

    इसी महीने आठ से 10 फरवरी तक राजधानी, रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित एग्रोटेक किसान मेला में उन्हें जल संचयन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

    इसके पूर्व जनवरी माह में यहां आयोजित जिलास्तरीय किसान मेला में बेहतर कृषक के लिए प्रथम पुरस्कार मिला था। उदय दांगी कहते हैं कि उनकी भूमि में सिंचाई  की कोई सुविधा नहीं है।

    सिंचाई एक बड़ी चुनौती थी। प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने सबसे पहले जल संचयन पर काम किया। अभी कम पानी में फसलों का बेहतर उत्पादन कर रहे हैं।

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