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    Maiya Samman Yojana: मंईयां सम्मान योजना में कैसे हुई गड़बड़ी, किसने किया 'खेल'? जांच में सामने आई सच्चाई

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 06:00 AM (IST)

    झारखंड के बोकारो जिले में मंईया सम्मान योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। प्रशासनिक जांच में सामने आया है कि पंचायत सचिवों की मिलीभगत से फर्जी आवेदन दर्ज किए गए थे। इन फर्जी आवेदनों में पश्चिम बंगाल के लोगों के नाम का इस्तेमाल किया गया था। एक ही बैंक खाता संख्या से कई बार आवेदन किए गए थे।

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    मंईयां सम्मान योजना में कैसे हुई गड़बड़ी, किसने किया 'खेल'? जांच में सामने आई सच्चाई

    जागरण संवाददाता, बोकारो। झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (Maiya Samman Yojana) के तहत बोकारो जिले में हुए फर्जी आवेदन मामले में एक नया खुलासा हुआ है। प्रशासनिक जांच में यह बात सामने आई कि राज्य सरकार की इस योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है और इसमें पंचायत सचिवों की बड़ी भूमिका है।

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    बोकारो प्रशासन ने खुलासा किया है कि झारखंड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में फर्जी आवेदन दर्ज किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के लोगों के नाम का इस्तेमाल किया गया। बुधवार को प्रशासन को यह जानकारी मिली कि जिले में आदिवासी महिलाओं के नाम पर 11,200 फर्जी आवेदन किए गए थे, जिनमें से कई आवेदन एक ही बैंक खाता संख्या से कई बार किए गए थे।

    यह खाता पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर स्थित यूसुफ और सुफनी खातुन का था। इन फर्जी आवेदन को दर्ज करने में किसनगंज (बिहार) और पलामू (झारखंड) जिलों के तीन कम्युनिटी सर्विस सेंटर (सीएससी) ऑपरेटरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन ऑपरेटरों के माध्यम से झारखंड के विभिन्न प्रखंडों में आवेदन किए गए थे, जिनमें चंदनकियारी, कसमार, बेरमो, गोमिया और अन्य स्थानों पर फर्जी आवेदन दर्ज किए गए थे।

    युसूफ का खाता 95 बार इस्तेमाल हुआ तो सुफनी का 94 बार प्रयोग हुआ है। पूरे मामले में 11 बैंकों के 50 बैंक खाता का कई बार इस्तेमाल हुआ है। एक ही बैंक खाता का 96 बार, 90 बार, 80 बार, 70 बार, 50 बार, 40 बार व 30 बार आदि इस्तेमाल किया गया है।

    यह एकाउंट फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड, इंडसइंड बैंक लिमिटेड बोकारो, बैंक ऑफ बरोदा, आईडीबीआई बैंक, स्टेट बैंक आफ़ इंडिया, आइसीआइसीआइ बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक एवं एयरटेल पेमेंट बैंक है। वहीं, सभी नामों के उप नाम में मुर्मू, हांसदा, मंडल शब्द जोड़ा गया है। 31 अक्टूबर एवं 01 नवंबर 2024 को एक ही साथ कई बार आवेदन किया गया है।

    साफ्टवेयर में खामी के कारण हुई गड़बड़ी:

    जानकार मान रहे हैं कि गड़बड़ी का प्रमुख कारण जैप आइटी द्वारा तैयार किया गया साफ़्टवेयर था। इस साफ्वेयर में राशन कार्ड डेटा की सही जांच नहीं हो रही थी। एक ही एकाउंट के दोबारा इंट्री पर भी कोई रोक नहीं थी। शुरुआत के दौर में पीएच कार्डधारियों के डाटा को स्वचालित रूप से अंकित किया जा रहा था, जबकि सादा कार्डधारियों के डेटा में कोई भी जांच नहीं हो रही थी।

    इसका फायदा उठाकर सीएससी ऑपरेटरों ने बिना किसी रुकावट के हजारों फर्जी आवेदन दर्ज कर दिए। यदि आधार, राशनकार्ड या बैंक एकाउंट कोई एक भी तत्थ दोहराव रोकने के लिए होता तो शायद फर्जी इंट्री नहीं होती।

    जल्दबाजी में पंचायत सेवकों ने आवेदन कर दिया अग्रसारित:

    पूरी गड़बड़ी में पंचायत सचिव व राजस्व कर्मचारियों की अहम भूमिका रही। सीएसई से आवेदन की इंट्री होने के बाद फर्जी आवेदन को पंचायत सचिवों और राजस्व कर्मचारियों के लागिन से अग्रसारित किया गया था।

    पंचायत सचिवों की जिम्मेदारी थी कि वे पहले चरण में दर्ज किए गए आवेदनों की जांच करें, ताकि कोई भी फर्जी आवेदन स्वीकार न हो, लेकिन इन सचिवों ने बिना किसी निगरानी के इन फर्जी आवेदनों को आगे बढ़ाया, जिससे यह पूरे जिले में फैल गए।

    जबकि पंचायत सचिवों को आवेदन की जांच करना था, उन्होंने चुपचाप इन आवेदन को पारित कर दिया। यह भी सवाल उठता है कि क्यों प्रशासन इन पंचायत सचिवों के खिलाफ कार्रवाई करने में झिझक रहा है, जिनकी लापरवाही के कारण यह सब हुआ।

    जिला प्रशासन का दावा:

    बोकारो जिला प्रशासन ने इस मामले में एक दावे के तहत यह कहा कि अभी तक इन फर्जी आवेदनों से कोई भुगतान नहीं हुआ है। सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा पीयूष कुमार के हवाले बयान दिया गया है कि भुगतान नहीं हुआ। पर विभाग इस बात की सफाई नहीं दे पा रहा है कि दूसरे चरण में जब कम आवेदन आ रहे थे तो एडीएसएस स्वयं जांच करने की कोशिश क्यों नहीं की। उपायुक्त ने इस मामले में दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।

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