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    ईसाई मिशनरियां समाज में 'पूतना' बनकर कर रही हिंदुओं का मतांतरण, VHP के मिलिंद परांडे का बड़ा हमला

    Updated: Mon, 07 Apr 2025 03:38 PM (IST)

    Jharkhand News ईसाई मिशनरियां समाज में पूतना बनकर हिंदुओं का मतांतरण कर रही हैं। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने इन गतिविधियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मिशनरियां दवा और शिक्षा के नाम पर हिंदुओं को गुमराह कर रही हैं। आदिवासी समाज में मतांतरित लोग मूल आदिवासियों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं।

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    विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, बोकारो। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने सोमवार को बोकारो के नया मोड़ स्थित बिरसा सेवा आश्रम में आयोजित प्रबुद्ध जन विमर्श कार्यक्रम में प्रेस को संबोधित करते हुए ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरण की गतिविधियों पर तीखा हमला बोला।

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    उन्होंने कहा कि आज ईसाई मिशनरियां ‘पूतना’ के रूप में समाज में भेष बदलकर हिंदू समाज को गुमराह कर रही हैं। इन प्रयासों को हर स्तर पर रोकना होगा। दवा व शिक्षा के नाम पर आपको आपके संस्कृति से तोड़ रही हैं।

    परांडे ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को मारने आई पूतना सुंदर स्त्री के रूप में आई थी। भगवान ने उसे पहचान लिया था कि वह एक राक्षसी है। इसलिए उसका वध करना पड़ा। आज मिशनरियां भी समाज के भीतर अलग-अलग रूप में घुसकर हमारी आस्था, संस्कृति और पहचान पर चोट कर रही हैं।

    उन्होंने आदिवासी समाज का जिक्र करते हुए कहा कि आज 18 प्रतिशत मतांतरित लोग 82 प्रतिशत मूल आदिवासी समाज का हक मार रहे हैं। यह स्थिति अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकता है।

    परांडे ने बताया कि अनुसूचित जातियों को धर्म परिवर्तन के बाद आरक्षण नहीं मिलता, लेकिन जनजातियों के मामले में यह नियम लागू नहीं है। स्व. कार्तिक उरांव ने इस समस्या के विरुद्ध आवाज उठाई थी। हालांकि वे नहीं रहे, अब यह आंदोलन नए सिरे से उठाने की आवश्यकता है।

    जनजातीय समाज से ईसाई मिशनरियों को दूर रहने का आग्रह 

    परांडे ने जनजातीय समाज से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि ईसाई मिशनरियां आपकी भाषा, संस्कृति और जमीन छीनने के प्रयास में लगी हैं। वे आपको आपकी ही पहचान से काट रही हैं। समय आ गया है कि जनजातीय समाज इन मिशनरियों से दूरी बनाए और अपने मूल धर्म व संस्कृति की रक्षा करे।

    आपकी रक्षा से झारखंड की भाषा, सीमा और संस्कृति की रक्षा संभव है। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने धर्म और भूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया। लेकिन ब्रिटिश ईसाई मिशनरियों ने उन्हें जेल में डालकर मार दिया।

    हमारे जनजाति समाज को अपने पूर्वजों पर गर्व होना चाहिए, जिन्होंने इसी भाषा, संस्कृति और भूमि की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। इनमें सिद्धा-कान्हू, फूलो-झानो जैसे महापुरुष शामिल हैं। जनजाति समाज को विदेशी धर्म अपनाने की आवश्यकता नहीं है।

    प्रत्येक हिंदू परिवार को दो बच्चे पैदा करने का आह्वान

    परांडे ने हिंदू समाज से अपील की है कि जैसे भगवान राम के दो पुत्र थे, वैसे ही प्रत्येक हिंदू परिवार को कम से कम दो बच्चे जरूर पैदा करने चाहिए, ताकि हिंदू समाज की जनसंख्या संतुलन में रहे और संस्कृति की निरंतरता बनी रहे।

    उन्होंने देश से गायब हो रही हिंदू बेटियों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि 13 लाख बेटियों में से तीन लाख 18 वर्ष से कम उम्र की हैं। इनमें से अनेक लव जिहाद का शिकार हुई हैं। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है और प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है कि वह अपनी बहनों की रक्षा करे और उन्हें ईसाई मिशनरियों तथा लव जिहाद जैसे षड्यंत्रों से बचाए।

    हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग

    परांडे ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद देशभर में हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए अभियान चला रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक मंदिर हिंदुओं को वापस नहीं मिलते, यह जनआंदोलन चलता रहेगा।

    उन्होंने कहा कि मंदिरों पर सरकार का कब्जा अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब समय आ गया है कि हिंदू समाज संगठित हो, सजग हो और अपनी संस्कृति, पहचान और धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़ा हो।

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