बोकारो-रामगढ़ फोरलेन के किनारे सरकारी जमीन को हड़पने की कोशिश, सामने आई अंचल कर्मियों की मिलीभगत; दर्ज हुई FIR
बोकारो-रामगढ़ फोरलेन के किनारे बन रहे रिजॉर्ट मामले में पिंण्ड्राजोरा थाने में सीओ के आदेश पर एक और प्राथमिकी दर्ज की गई है। ललन पांडेय उमेश जैन और रा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बोकारो। बोकारो-रामगढ़ फोरलेन के किनारे निर्माणाधीन रिजॉर्ट के मामले में एक और नई प्राथमिकी पिंण्ड्राजोरा थाना में चास सीओ दीवाकर दुबे के आदेश पर हल्का संख्या सात के राजस्व उप निरीक्षक सुनील कुमार गुप्ता ने दर्ज कराईहै।
इसमें ललन पांडेय, उमेश जैन के अलावा अंचल कार्यालय चास में कार्यरत राजस्व कर्मी व सहायक पर आरोप लगा है। इन सभी के खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी कर जांच शुरू कर दी है।
शिकायतकर्ता ने दर्ज प्राथमिकी में बताया है कि मौजा नारायणपुर थाना नंबर 33 पिंड्राजोरा थाना अंतर्गत खाता संख्या 317 के प्लाट नंबर 3589 रकवा 2.80 एकड़ भूमि पीछले सर्वे खतियान में गैर आबाद मालिक किस्म जंगल झाड़ी के रूप में दर्ज हैं।
इस भूमि पर ललन पांडेय ने जाली एवं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अंचल कर्मियों की मिलीभगत से राजस्व दस्तावेजों में गलत प्रविष्टि कराते हुए सरकारी भूमि की क्षति की।
जाली दस्तावेजों के आधार पर कराया गया रजिस्ट्रेशन
बताया है कि प्लाट संख्या 3589 का कुल रकवा 21 एकड़ है। इसमें 4.08 एकड़ भूमि अधिसूचित वन भूमि है। बची हुई 16.82 एकड़ भूमि का स्वामित्व राज्य सरकार के पास है।
शिकायतकर्ता ने आगे बताया है कि जमीदारी उन्मूलन के बाद वर्ष 1956 में वैसी सभी भूमि जिसका लगान निर्धारण नहीं किया था उसका स्वामित्व राज्य सरकार में सन्निहित कर दिया गया।
उक्त भूखंड का जमींदारी उन्मूलन के बाद न ही जमींदार ने रिर्टन भरा और न ही किसी भी व्यक्ति ने इस जमीन पर दावा की प्रस्तुत किया।
ललन पांडेय व अन्य ने जाली दस्तावेजों के आधार पर पांच जनवरी 1983 को दस्तावेज संख्या 149 निबंधित कराया।
शिकायतकर्ता के अनुसार जांच करने पर इस बात की जानकारी राजस्व दस्तावेजों से नहीं मिल सकी कि विक्रेता को यह जमीन किस आधार पर मिली।
दस्तावेज संख्या 149 के आधार पर तत्कालीन अंचल कर्मियों की मिलीभगत से 2015-16 में ललन पांडेय के नाम से खाता संख्या 317 प्लाट संख्या 3589 रकवा 2.80 एकड़ भूमि का बीना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश से राजस्व दस्तावेजों में दर्ज किया गया।
जमींदारी उन्मूलन के बाद 1956 से 2015 तक इस भूमि का लगान रसीद निर्गत नहीं किया गया है। पहला लगान रसीद वर्ष 2015-16 में निर्गत किया जाना अपने आप में संदेहास्पद है।
शिकायतकर्ता ने आगे बताया है कि ललन पांडेय ने उमेश के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रिजॉर्ट का निर्माण किया। दोनों के बीच इस भूखंड का जनरल पावर आफ एटार्नी पुरुलिया में निबंधित कराया गया।
इसकी कंडिका चार में किसी प्रकार का डेवलपमेंट वर्क प्रतिबंधित है। इसके बाद भी रिजॉर्ट का निर्माण कराया। दोनों पर अंचल कार्यालय में कार्यरत तत्कालीन राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर सरकारी भूमि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है।
पुलिस ने लगे आरोपों की सच्चाई जानने के लिए जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने इस रिजॉर्ट पर ताला जड़ दिया था। हाई कोर्ट के आदेश पर इस ताला को बीते कुछ दिनों पहले ही खोला गया।
आसपास किए गए निर्माण की भी हो रही है जांच
रिजॉर्ट के निर्माण के साथ आसपास की जमीन पर भी कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे निर्माण किया है। जिसकी जांच प्रारंभ हो गई है। जिन लोगों के कागजात वैध नहीं पाया जाएगा। उन पर कार्रवाई होगा।

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