Updated: Fri, 15 Aug 2025 03:40 PM (IST)
जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पाडर क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। अब तक 60 लोगों के शव मिल चुके हैं। मचैल माता के दर्शन के लिए आए श्रद्धालु इस आपदा का शिकार हुए हैं इस आपदा में कई लोगों के बहे जाने की खबर है जिनकी तलाश के लिए अभियान जारी है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। किश्तवाड़ से 90 किलोमीटर दूर, समुद्रतल से 9500 फुट की ऊंचाई पर स्थित पाडर क्षेत्र के चशौती में लोग अब मलबे में जीवन की तलाश करने में जुटे हैं। किसी ने अपना सगा खो दिया तो कोई अभी भी उम्मीदों की लौ जगाए हुए है।
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गुरुवार शाम मलबे के ढेर के बीच अपनों की तलाश में जुटे आकाश ने कहा कि इन देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत में यहां रहते थे, पर मौत की इस बारिश ने हमें हिला दिया है। मैं यहां करीब एक दर्जन निर्जीव शरीर निकाल चुका हूं। यह सब मचैल माता के दर्शन से पहले यहां आराम के लिए रुके थे।
चशौती यात्रा मार्ग पर छोटा सा गांव है और आबादी करीब 175 परिवार हैं। मां रणचंडी का दरबार यहां से करीब आठ किलोमीटर की दूर पर है। मचैल माता की यात्रा के दौरान चशौती आधार शिविर बन जाता है। यहां बने पुल के आगे वाहनों की आवाजाही बंद है। ऐसे में सभी श्रद्धालु कुछ पल के लिए यहां ठहरते हैं और यहां से पैदल या दोपहिया से आगे सफर तय करते हैं।
बाढ़ ने फैल दी तबाही
हिमाचल से आए उत्तम चंद बताते हैं कि हम भी दर्शन पर जाने से पहले तंबुओं में आराम कर रहे थे। अचानक आई बाढ़ ने सब और तबाही फैला दी। मैं और मेरे दो दोस्त सुरक्षित बचने के लिए भागे। हर तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी। कुछ ही समय में उल्लास का माहौल मातम में बदल गया।
हर तरफ प्रलाप और क्रंदन था, अपने स्वजन को मलबे में तलाश रहे थे। क्षेत्र में अब हर तरफ कीचड़ और घरों के पास के बड़े इलाकों में जलभराव नजर आता है। कई लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए एक अस्थायी पुल पार कर कर रहे हैं जबकि पुल के नीचे नाले में जलप्रवाह तीव्र है।
यशपाल सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए लगाया एक लंगर बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ, जबकि सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के सत्यापन काउंटर सहित स्थानीय बुनियादी ढांचा क्षतिग्रस्त हो गया।
दो दिन से हो रही थी वर्षा मोहन लाल नामक एक ग्रामीण ने बताया कि दो दिन से क्षेत्र में वर्षा हो रही थी और अधिकांश स्थानीय ग्रामीण अपने घरों में ही थे।
गुरुवार दोपहर 12 बजे के करीब चशौती के ऊपरी हिस्से मे बादल फटा और उसके बाद हुई मूसलधार बारिश से तेज जल प्रवाह के साथ मलबा भी गिरने लगा।
इस तबाही में लंगर बह गया, 10 मकान, चार मंदिर और चार सरकारी कार्यालयों की इमारतें नष्ट हो गई। पुल भी तबाह हो गया औ उस समय पुल पर कई लोग मौजूद थे। इस बहाव में कुछ मलबे में दब गए और कुछ बह गए।
पशु और वाहन भी बह गए
ग्रामीणों के अनुसार छत गई ही उनकी आजीविका साधन उनके पशु भी बह गए। कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। उसने कहा कि हम भी अपनी जान बचाने के लिए भागे। गांव कुछ देर के लिए कट गया था, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे, जब बचाव दल पहुंचा और लोगों को निकालने की कार्रवाई शुरु हई तो कुछ हौसला हुआ।
कई ग्रामीणों और श्रद्धालुओं को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है, लेकिन बहुत से अभी भी फंसे हैं। अभी टला नहीं है खतरा बशीर अहमद नामक एक ग्रामीण ने कहा कि गांव में लगातार बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
कुछ साल पहले अचानक आई बाढ़ ने हमारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया था। लेकिन इस बार तो काफी जानें चली गई। उसने कहा कि हमारे लिए यही बेहतर समय है। देशभर से लोग आते हैं और हमें अच्छी आय हो जाती है।
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