Year Ender 2025: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ गया वर्ष 2025, एक समीक्षा और विश्लेषण
वर्ष 2025 जम्मू-कश्मीर की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस वर्ष कई राजनीतिक बदलाव हुए, जिन्होंने राज्य की राजनीति को एक नई दिशा दी। विभिन्न र ...और पढ़ें

सांसद आगा सैयद रुहुल्ला ही नेशनल कान्फ्रेंस और उमर अब्दुल्ला के लिए सबसे बड़ी चुनौति के रूप में नजर आए।
नवीन नवाज, श्रीनगर। वर्ष 2025 अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। और जम्मू कश्मीर की राजनीति में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। निर्वाचित सरकार और राजभवन में जारी अधिकार-शक्तियों के संघर्ष के बीच प्रदेश की राजनीति भी कम दिलचस्प नहीं रही है।
राज्यसभा के चुनावों में सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस को अपनों ने ही दगा दिया। आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी के रूप में पार्टी नेतृत्व की आंखों में एक ऐसा कांटा भी नजर आया जिसे चाहकर भी नहीं निकाला जा रहा। दूसरी तरफ पीडीपी के लिए आगा सैयद मुंतजिर ने बडगाम में चुनाव जीत, कश्मीर की सियासत में फिर से खड़ा होने का नया जोश भरा।
नेशनल कान्फ्रेंस की आंतरिक समस्याएं
नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व उनके सभी प्रमुख सहयोगी राज्य के दर्जे की मांग का राग अलापते नजर आए हैं। उमर अब्दुल्ला ने एक बार नहीं कई बार राज्य के दर्जे की मांग को दोहराया। उन्होंने कटरा में कटरा-श्रीनगर वंदे भारत रेल सेवा के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया और जम्मू कश्मीर में प्रशसनिक स्तर पर जब किसी विषय को लेकर सवाल पैदा हुआ तो उन्होंने राज्य के दर्जे की बात की।
लेकिन उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी के लिए इस दौरान अगर कोई सबसे बड़ी दिक्कत पैदा होती नजर आयी तो वह बाहर से नहीं बल्कि पार्टी के भीतर से रही। श्रीनगर-बडगाम संसदीय क्षेत्र से सांसद आगा सैयद रुहुल्ला ही नेशनल कान्फ्रेंस और उमर अब्दुल्ला के लिए सबसे बड़ी चुनौति के रूप में नजर आए।
आगा सैयद रुहुल्ला की मुखरता
नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और शिया समुदाय के एक बड़े वर्ग के धर्मगुरू आगा सैयद रुहुल्ला ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली हो या राज्य का दर्जा, आरक्षण का मुद्दा हो या स्थानीय प्रशासनिक मामले या फिर आतंकी गतिविधियों में लिप्त तत्वों के घर गिराए जाने का मामला, हर जगह मुखर रवैया अपनाते हुए नेशनल कान्फ्रेंस के नेतृत्व को भी आड़े हाथ लिया।
उन्होंने अपनी एक मुखर और मजबूत नेता के रूप में अपनी छवि बनायी और स्थिति यह रही कि उन्होंने बडगाम में जिसे नेशनल कान्फ्रेंस का अजेय किला कहा जा रहा था, के उपचुनाव में पार्टी प्रचार से दूरी रखी और नतीजा नेशनल कान्फ्रेंस के किले पर पीडीपी का झंडा बुलंद हो गया।
जीत ने पीडीपी में भरा नया जोश
पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर चुनाव जीते। यह वही आगा सैयद मुंतजिर हैं जिन्हें उमर अब्दुल्ला ने अक्टूबर 2024 के चुनाव में हराकर बडगाम में जीत दर्ज की थी। जम्मू कश्मीर की राजनीति में बीते अढ़ाइ्र दशक से नेशनल कान्फ्रेंस के वर्चस्व कोचुनौती दे रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए मौजूदा वर्ष किसी हद तक लाभजनक रहा है।
वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावों में मिली करार हार के जख्मों को सहलाने के लिए उसे इस वर्ष बडगाम विधानसभा उपचुनाव में आगा सैयद मुंतजिर की जीत का मल्हम मिला है। इससे पीडीपी को एक नयी सांस और उम्मीद मिली है और अब वह एक बार फिर से बेरोजगार, आरक्षण जैसे मुद्दों पर सत्ताधारी दल को घेरते हुए, उस पर कश्मीरियों के साथ विश्वासघात का आरोप लगाकर, अपने नए जनसंपर्क अभियान में जुट गई है।
भाजपा की राजनीति
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सियासत में अपना प्रभाव जम्मू से आगे कश्मीर में बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बडगाम विधानसभा उपचुनाव में बेशक भाजपा हारी है, लेकिन पीडीपी की जीत में कहीं न कहीं भाजपा के योगदान को लेकर भी दावा किया जाता है।
कश्मीर में भाजपा नेता अब पहले से ज्यादा मुखर हो, स्थानीय राजनीतिक परिस्थितियों से बेपरवाह हो भाजपा की नीतियों के अनुरूप बयानबाजी करने से लेकर अपनी गतिविधियां तक आयोजित कर रहे हैं। भाजपा नेता सुनील शर्मा ने राज्यसभा के चुनाव में जिस तरह से अपनी पार्टी के उम्मीदवार सत शर्मा की जीत को सुनिश्चित बनाया और अपने चारों उम्मीदवारों की जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही नेशनल कान्फ्रेंस के पैरों तले से जीत का कालीन निकाला, उससे उन्हें कश्मीर में चाणक्य का नाम भी दिया गया।
कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया
कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली पर पूरे प्रदेश में अभियान चलाया है और उन्होंने नेशनल कान्फ्रेंस को जवाब देने की कोशिश की है। लेकिन नेशनल कान्फ्रेंस ने कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया है, और उन्हें अपनी ताकत का प्रदर्शन करने का मौका नहीं दिया है।
राज्यसभा उपचुनाव में जिस तरह से नेशनल कान्फ्रेंस ने कांग्रेस को बड़े आराम से हाशिए पर धकेला तो वहीं कांग्रेस ने अंतिम समय में नगरोटा विधानसभा सीट को नेशनल कान्फ्रेसं के लिए छोड़ने का एलान कर बता दिया कि वह जवाब देना जानती है।
निष्कर्ष
जम्मू कश्मीर की राजनीति में वर्ष 2025 कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा रहा है। नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी के बीच राजनीतिक संघर्ष जारी है, और दोनों पार्टियों के नेता अपने-अपने तरीके से अपनी बात रख रहे हैं। भाजपा भी प्रदेश की राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है और कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली पर पूरे प्रदेश में अभियान चलाया है।

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