श्रीनगर, जागरण संवाददाता। पीएमओ का फर्जी अधिकारी बन सरकारी सुरक्षा और आवभगत का आनंद उठा रहा किरण पटेल इस सैर सपाटे में अकेला नहीं था। उसके साथ उसके तीन 'खास' दोस्त भी शामिल थे। इनमें दो गुजरात और एक राजस्थान का बताया जा रहा है। वे भी खुद को पीएमओ कार्यालय के अधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बताते थे। पुलिस ने किरण पटेल के साथ उन्हें भी हिरासत में लिया था, लेकिन पूछताछ के बाद रिहा कर दिया।

हालांकि इस इस फर्जी अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद प्रशासन से लेकर पुलिस में हड़कंप मचा है और सब अपना दामन छुड़ाने के प्रयास में जुटे हैँ। इस मामले की जांच के लिए श्रीनगर पूर्व के एसपी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है। इस बीच, प्रशासन ने आरोपित को जेड प्लस श्रेणी का सुरक्षा कवच, वीआईपी प्रोटोकॉल प्रदान करने व संवेदनशील इलाकों में उसके दौरों की जांच शुरू कर दी है।

मिले 10 फर्जी विजिटिंग कार्ड

पुलिस ने होटल से आरोपित के सामान से 10 फर्जी विजिटिंग कार्ड, दो मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं। उनके आधार पर जांच आगे बढ़ेगी। उस पर अहमदाबाद और वडोदरा में धोखाधड़ी, जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं। किरण को पुलिस ने खुफिया सूचना के बाद श्रीनगर के पांच सितारा होटल से गिरफ्तार किया था और अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

वकील ने किया दावा

वहीं किरण के लिए जमानत याचिका डालने वाले उसके वकील रेहान गौहर ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा किरण पटेल को नहीं उसके गुजरात से आए दोस्तों को मिली हुई थी। वह राजनीतिक घरानों से संबंध रखते हैं। पुलिस ने इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। किरण के वकील रेहान गौहर ने कहा कि गुजरात से आए किरण के दो दोस्तों को सुरक्षा मिली हुई थी।

ये है जालसाज किरण के 'खास' दोस्त

उनके दोस्तों के नाम अमित हितेश पांडिया, जे सितापारा व त्रिलोक सिंह हैं। त्रिलोक सिंह राजस्थान का है। उन्होंने तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया। जब उनसे पूछा कि पहले के दौरों में उन्हें सुरक्षा कैसे मिली तो वह सवाल टाल गए और कहा कि यह जांच का विषय है। हमने जमानत याचिका दायर की है। अदालत ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। किरण की पत्नी और अहमदाबाद स्थित उनके वकील नासिर से बात हुई। उनके एक दोस्त के पुलिस धारा 164 के तहत अपने बयान कलमबद्ध कराए हैं।

सुरक्षा देने का है प्रोटोकॉल

जम्मू कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिदेशक डा. एसपी वैद के मुताबिक किसी भी वीआईपी को दौरे के दौरान सुरक्षा प्रदान करने की एक प्रक्रिया है। राज्य के मुख्य सचिव को संबंधित विभाग, वीआईपी या मंत्रालय की तरफ से अधिकारिक तौर पर लिखा जाता है और उस पत्र की प्रति डीजीपी और एडीजीपी सुरक्षा को भेजी जाती है।

किरण पटेल के मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही रही है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने शिकायत मिलते ही त्वरित कार्रवाई कर किरण पटेल व उसके साथियों को दबोच लिया। यह सुरक्षा में बड़ी चूक है, हमें शुक्र मनाना चाहिए कि कोई अनहोनी नहीं हुई।

यूं खुली जालसाज की पोल

किरण पिछले साल 27 अक्टूबर को कश्मीर में अपने स्वजन के साथ आया था। 25 फरवरी को दुधपथरी (बड़गाम) में उसने एसडीएम व अन्य अधिकारियों के साथ पर्यटन ढांचे पर चर्चा की थी। उसने बताया कि इस्कान नामक धार्मिक संस्था कश्मीर में एक केंद्र बनाना चाहती है। इसके लिए जमीन की तलाश में है।

उसने कुछ अधिकारियों को हड़काया भी था। डीसी सैयद फखरुद्दीन की अनुपस्थिति पर तबादले की चेतावनी दी। फखरुद्दीन ने पुलिस व अपने वरिष्ठ अधिकारियों को 26 फरवरी को वाट्सएप पर सूचित किया कि एक संदिग्ध वीआइपी स्वयं को पीएमओ का अधिकारी बता रहा है। उसका व्यवहार आपत्तिजनक है।

उसके बाद पुलिस की सीआइडी विंग ने निगरानी शुरू कर दी। उसके खिलाफ निशात पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उससे मलाई वाली पोस्टिंग के लिए मदद का कथित तौर पर आग्रह किया था। पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा दक्षिण कश्मीर से एक जिला उपायुक्त से भी पूछताछ की गई है।

गुजरात में भी दर्ज हैं ठगी धोखाधड़ी के कई मामले

किरण पर गुजरात में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। वह गुजरात में कई बार मुख्यमंत्री कार्यालय में होने की धौंस देते हुए भी देखा जा चुका है। केंद्रीय जांच एजेंसी की रडार पर आए गुजरात के जालसाज किरण पटेल पर वर्ष 2019 में वडोदरा के रावपुरा पुलिस थाने में ठगी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था।

एक भव्य नवरात्रि महोत्सव के नाम पर उसने कई लोगों के साथ ठगी की थी। इससे पहले अहमदाबाद में 2017 तथा साबरकांठा में 2019 में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420 व 406 के तहत मामले दर्ज हो चुके हैं।

Edited By: Swati Singh