जम जाएंगी नदियां और झरने, क्या होता है चिल्ला-ए-कलां? कश्मीर में 40 दिन बरपेगा कहर
श्रीनगर में पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो गई है, जिससे ठंड बढ़ गई है। कश्मीर में 21 दिसंबर से चिल्ला-ए-कलां शुरू हो रहा है, जो 40 दिनों तक चलेगा। इस दौर ...और पढ़ें

क्या होता है चिल्ला-ए-कलां (जागरण ग्राफिक्स)
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। पहाड़ों पर बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। वहीं, मैदानी इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है। स्नोफॉल होने से उत्तर भारत में ठंड का असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में यह साफ है कि अब कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी है। वहीं, कश्मीर में 21 दिसंबर से शुरू हो रहे कठोर सर्दी वाले चिल्ला-ए-कलां के साथ लोगों को मौसम और सर्द महसूस होगा। इसकी अवधि 40 दिन होती है और इस दौरान नदियां और झरने तक जम जाते हैं। ये चिल्ला-ए-कलां क्या होता है और घाटी में इसका क्या प्रभाव होता है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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चिल्ला-ए-कलां का मतलब क्या होता है?
दरअसल, चिल्ला-ए-कलां एक फारसी वर्ड है, इसका हिंदी में अर्थ- बड़ी सर्दी होता है। चिल्ला-ए-कलां की अवधि चालीस दिन होती है। 21 दिसंबर से लेकर 29 जनवरी तक कश्मीर के लोगों को कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ता है। इस दौरान नदी-झरने तक जम जाते हैं। वहीं, निचले इलाकों में बर्फबारी भी होती है। चिल्ला-ए-कलां के बाद चिल्ला-ए-बच्चा यानी बेबी कोल्ड भी होता है। इसकी अवधि 19 फरवरी से लेकर 28 फरवरी तक होती है। इस दौरान मौसम में थोड़ी नमी आ जाती है।

कश्मीरियों पर चिल्ला-ए-कलां का असर?
- इस अवधि में नल की पाइपलाइन में पानी तक जम जाता है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है।
- कश्मीरी फायरिंग पॉट का भी प्रयोग करते हैं।
- डल लेक सहित नदियों और झरनों में बर्फ जम जाती है।
- सड़कों पर स्नोफॉल होने के कारण यातायात प्रभावित होता है।
- इस अवधि में कश्मीर में पर्यटकों की भीड़ रहती है, जिससे लोकल लोगों को फायदा मिलता है।
- स्थानीय लोग सूखी सब्जिचों का सेवन करते हैं। इस दौरान कश्मीरी हरिसा भी मनाया जाता है, जिसमें लोग तेज मसालों वाला मटन और अन्य मांसाहार भोजन करते हैं।
अब कैसा रहेगा मौसम?
मौसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर के अनुसार 20-21 दिसंबर को पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ मैदानी इलाकों में बारिश के आसार हैं। कश्मीर के कुपवाड़ा, बांदीपोरा और गांदरबल के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हो सकती है।
प्रदेश के कई हिस्सों में 19 दिसंबर से ही मौसम में बदलाव आ जाएगा और उत्तरी व सेंट्रल कश्मीर के पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी हो सकती है। इस साल के अंत में भी 30-31 दिसंबर को हल्की बर्फबारी हो सकती है, जिससे पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आमद बढ़ने की उम्मीद है।
प्रदेश में अक्तूबर से बारिश और बर्फबारी का इंतजार हो रहा है। विश्व विख्यात पर्यटन स्थल गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे स्थलों पर आगामी हल्की से मध्यम बर्फबारी हो सकती है। प्रदेश में दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं। इनमें पहला 20 दिसंबर की रात से क्षेत्र को प्रभावित करना शुरू कर देगा, जबकि दूसरा 22 दिसंबर को सक्रिय होगा।
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