जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की जयंती पर बवाल! सरकारी छुट्टी को लेकर NC और LG में छिड़ी जंग
जम्मू-कश्मीर में छुट्टियों को लेकर बवाल मच गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलजी मनोज सिन्हा के फैसले पर नाराजगी जताई है। दरअसल नेकां के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की जयंती पर अवकाश घोषित नहीं होने से पार्टी कार्यकर्ता निराश हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि भाजपा कश्मीर के इतिहास और लोकतांत्रिक संघर्ष की उपेक्षा कर रही है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में छुट्टी को लेकर बवाल शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एलजी मनोज सिन्हा के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, नेकां के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दु्ल्ला की जयंती पर अवकाश घोषित नहीं होने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने निराशा व्यक्त किया है। इसको लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन और उमर सरकार के बीच जंग छिड़ गई है।
नेकां के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने एक्स पर कहा कि 2025 की छुट्टियों का कैलेंडर जारी किया गया है। लेकिन एजली मनोज सिन्हा ने जो निर्णय लिया है, उससे हमें निराशा मिली है। उनका निर्णय कश्मीर के इतिहास और लोकतांत्रिक संघर्ष के प्रति भाजपा की उपेक्षा को दर्शाता है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस महीने की शुरुआत में संकेत दिया था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद हटाई गई छुट्टियां बहाल की जाएंगी।
जानिए क्यों है बवाल
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कान्फ्रेंस ने 2025 की छुट्टियों की सूची में 1931 में मारे गए लोगों और पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की स्मृति के दिनों को शामिल नहीं करने के उपराज्यपाल के फैसले पर निराशा व्यक्त की है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस महीने की शुरुआत में संकेत दिया था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद हटाई गई छुट्टियां बहाल की जाएंगी। सादिक ने कहा कि हमने शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जैसे नेताओं और 13 जुलाई के शहीदों की स्मृति में छुट्टियों को शामिल करने की उम्मीद की थी। एलजी प्रशासन द्वारा 2025 के लिए घोषित सार्वजनिक छुट्टियों की सूची में ये दिन शामिल नहीं हैं।
जम्मू-कश्मीर के लोगों का किया अपमान
इस बीच सीपीआई-एम नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने भी प्रशासन के फैसले को गलत बताया। उन्होंने कहा कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला एक विशाल व्यक्तित्व थे और स्वतंत्रता संग्राम और जम्मू-कश्मीर के लोगों के सशक्तिकरण में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
तारिगामी ने कहा कि बिना मुआवजे के भूमि जोतने वाले, सभी के लिए शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे फैसले शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के कारण ही हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व को नीचा दिखाना सही नहीं। तारिगामी ने कहा कि प्रशासन ने ऐसे निर्णय लेकर जम्मू-कश्मीर के लोगों का अपमान किया है।
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