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    गांदरबल आतंकी हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली, मजदूरों के कैंप को निशाना बनाने का कारण भी बताया

    Updated: Tue, 22 Oct 2024 01:14 PM (IST)

    टीआरएफ ने गांदरबल हमले (Ganderbal Terror Attack) की जिम्मेदारी ली है। यह हमला सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण जेड मोड़ सुरंग को निशाना बनाकर किया गया है। टीआरएफ ने हमले के बाद दिए अपने बयान में कहा है कि यह हमला उसके फाल्कन स्क्वाड ने अंजाम दिया है। इस हमले में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

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    गांदरबल आतंकी हमले की जिम्मेदारी द रजिस्टेंस फ्रंट ने ली है। प्रतिकात्मक तस्वीर

    नवीन नवाज, श्रीनगर। गांदरबल आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है। टीआरएफ बीते पांच वर्ष से कश्मीर में आतंक का पर्याय बना हुआ है। वादी में टारगेट किलिंग और अन्य राज्यों के नागरिकों पर हमले की अधिकांश वारदातों को इसी संगठन ने अंजाम दिया है।

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    यह हमला टीआरएफ के पहले किए हमलों से अलग है। यह उसने सिर्फ बाहरी लोगों को निशाना बनाने के लिए या फिर कश्मीर में बुनियादी ढांचागत योजना को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया है। उसने यह हमला सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना को निशाना बनाने के लिए किया है। टीआरएफ उसने इसकी पुष्टि की है।

    हमले में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की भूमिका

    जैश-ए-मोहम्मद का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने इस हमले के संदर्भ में जो बयान जारी किया है, वह भी इस तथ्य की तरफ संकेत कर रहा है। इस हमले में पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका को नहीं नकारा जा सकता।

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    जेड मोड़ और जोजिला सुरंग परियोजना के पूरा होने से न सिर्फ कश्मीर व लद्दाख के समग्र विकास को गति मिलेगी बल्कि करगिल, द्रास, बटालिक, सियाचिन और पूर्वी लद्दाख तक भारतीय सैन्य बलों और उनके साजो सामान की सारा साल आवाजाही व आपूर्ति सुगम हो जाएगी।

    पाकिस्तान से देखा नहीं जा रहा कश्मीर का विकास

    जोजिला सुरंग परियोजना के तहत सुरंग बनाई जा रही हैं। उनमें एक साढ़े छह किलोमीटर लंबी जेड मोड़ सुरंग है। यह श्रीनगर से लगभग 68 किलोमीटर की दूरी पर गुंड से आगे और सोनमर्ग से पहले गगनगीर में है। इस सुरंग के निर्माण से सोनमर्ग का मार्ग जो गुंड से आगे सर्दियों में बंद रहता था। एक सदाबहार मार्ग हो जाएगा और लगभग एक घंटे का सफर 15 मिनट का रह जाएगा।

    एपीसीओ नामक कंपनी द्वारा बनाई जा रही सुरंग को सितंबर में खोलने की योजना थी, लेकिन काम पूरा न होने के कारण इसे यातायात के लिए बहाल नहीं किया गया है। इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुए बयान में टीआरएफ ने कहा है कि यह हमला उसके फाल्कन स्क्वाड ने अंजाम दिया है। यह हमला करोड़ों की उस परियोजना पर किया है जो मुख्यत: सैन्य दृष्टि से बनाई जा रही है।

    यह परियोजना हमारी जमीन पर बनाई जा रही है। अपने बयान में टीआरएफ ने बाहरी और स्थानीय मुद्दे और जम्मू-कश्मीर पर भारत के अधिकार को अवैध ठहराते हुए भविष्य में ऐसे और हमलों की धमकी दी है। सोमवार की रात को पीएएफएफ ने भी एक बयान जारी किया और कहा कि यह हमला उस परियोजना पर है जो कश्मीर व लद्दाख में भारतीय सेना के लिए जरूरी है और हमारे व हमारे मित्र चीन के सैन्य हितों के खिलाफ है।

    जलविद्युत परियोजनाओं पर हमले का षड्यंत्र रच चुके

    कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद शाह ने कहा कि जिस तरह से टीआरएफ और पीएएफएफ ने बयान जारी किए हैं, उससे साफ हो जाता है कि कश्मीर में आतंकी संगठनों और उनके कैडर का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अपने मकसद के लिए कर रही है। कल तक यह आतंकी संगठन खुद को कश्मीरी संगठन बताते थे।

    कश्मीर में सक्रिय आतंकी किसी भी तरह से कश्मीर और कश्मीरियों के लिए नहीं बल्कि पाकिस्तानी मंसूबों को पूरा करने के लिए पाकिस्तानी सेना के लिए बलि का बकरा हैं। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों ने हमेशा पाकिस्तानी सेना के हितों को ध्यान में रखते हुए कश्मीर में कई बड़े आतंकी हमले अंजाम दिए हैं। जम्मू में सैन्य शिविरों पर हमले हो या उरी हमला, अगर आप इनका आकलन करेंगे, तो पाएंगे कि इनकी रूपरेखा किसी सैन्याधिकारी ने बनाई है।

    पठानकोट एयरबेस पर भी हमला आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना के इशारे पर ही किया था। पहले भी कई बार आतंकी जम्मू कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाओं पर हमले का षड्यंत्र रच चुके हैं।

    सज्जाद गुल का नाम आ रहा सामने

    कश्मीर मामलों के एक अन्य जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि टीआरएफ कमांडर सज्जाद गुल का नाम बीते दो-तीन वर्ष से कम ही लिया जा रहा था, लेकिन गांदरबल हमले में उसका नाम लिया जा रहा है। वह करीब छह-सात वर्ष पहले कश्मीर से पाकिस्तान गया था और उसने वहां लश्कर के सज्जाद जट और लंगरियाल के साथ मिलकर टीआरएफ को तैयार किया। उसके खिलाफ यहां कश्मीर में 20-25 हत्याओं व अन्य आतंकी हमलों के मामले दर्ज होंगे।

    उसके खिलाफ गृह मंत्रालय ने भी नोटिस जारी किया हुआ है और उस पर 10 लाख का इनाम है। वह श्रीनगर के डाउन-टाउन का रहने वाला है और बीते चार पांच वर्ष से उसके परिजन एचएमटी इलाके में चले गए हैं। सज्जाद गुल ने ही वर्ष 2018 में श्रीनगर में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या कराई थी। सज्जाद गुल उस समय पाकिस्तान में था और उसने वहीं से हत्या की साजिश रची थी।

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