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    तीन साल से कश्मीर में आतंक मचा रहा पाक आतंकी अबु उस्मान ढेर, लश्कर के कमांडर सज्जाद गुल का था राइट हैंड

    Updated: Sun, 03 Nov 2024 07:37 AM (IST)

    कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। श्रीनगर में लश्कर के कमांडर अबु उस्मान उर्फ छोटा वलीद और दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी मारे गए हैं। अबु उस्मान तीन साल से कश्मीर में सक्रिय था और कई आतंकी हमलों में शामिल था। वहीं अरबाज मीर ने इसी साल पाकिस्तान से आतंकी बनकर वापसी की थी। दोनों पर लाखों का इनाम था।

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    लश्कर का कमांडर अबु उस्मान को सुरक्षाबलों ने मार गिराया

    नवीन नवाज, श्रीनगर। कश्मीर में फिर से सिर उठा रहे आतंकवाद को कुचलने में जुटे सुरक्षा एजेंसियों के लिए शनिवार को दो बड़ी कामयाबियां मिली हैं। सुरक्षाबलों ने न सिर्फ श्रीनगर में एक बड़े आत्मघाती हमले को विफल बनाते अफगानिस्तान में तालिबान के साथ मिलकर नाटो सेनाओं के खिलाफ लड़ चुके लश्कर के कमांडर अबु उस्मान उर्फ छोटा वलीद को मार गिराया। 

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    डोडा में 16 जुलाई को बलिदानी सैन्याधिकारी के शव के साथ क्रूरता बरतने वाला आतंकी अरबाज मीर दक्षिण कश्मीर में हलकान गली अनंतनाग में मारा गया है। वह इसी वर्ष पाकिस्तान से आतंकी बनकर लौटा था।

    तीन साल से बना हुआ था सिरदर्द

    अबु उस्मान तीन वर्ष से कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना हुआ था जो उत्तरी व सेंट्रल कश्मीर में सक्रिय विभिन्न आतंकियों के बीच कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाने के साथ कश्मीर में अल्पसंख्यकों, अप्रवासी नागरिकों और पुलिस कर्मियों की टारगेट किलिंग का भी सूत्रधार था।

    अबु उस्मान और अरबाज पर था लाखों का इनाम

    शनिवार को कश्मीर में दो अलग-अलग मुठभेड़ें हुई हैं। एक मुठभेड़ श्रीनगर के खनयार इलाके मे हुई है जहां अबु उस्मान मारा गया है और दूसरी दक्षिण कश्मीर में हलकान गली लारनू अनंतनाग में हुई है। हलकान गली में अरबाज मीर और जाहिद अहमद रेशी नामक स्थानीय आतंकी मारे गए हैं। अबु उस्मान 15 लाख का और अरबाज पांच लाख का इनामी आतंकी था।

    तीसरी बार कश्मीर में किया था घुसपैठ

    सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान का रहने वाला अबु उस्मान उर्फ उस्मान भाई उर्फ छोटा वलीद कश्मीर में तीसरी बार सितंबर 2021 में उत्तरी कश्मीर में एलओसी पार कर दाखिल हुआ था। उससे पहले वह दो बार कश्मीर में घुसपैठ कर सक्रिय रहा था।

    वह एक वर्ष और दूसरी बार वह ढाई वर्ष तक सक्रिय रहा था। अबु उस्मान बांडीपोरा सोपोर, श्रीनगर और बड़गाम में ठिकाने बदलता रहता था। अक्टूबर 2021 के बाद सेंट्रल कश्मीर और उत्तरी कश्मीर में जो भी आतंकी हमले हुए हैं या फिर टारगेट किलिंग की वारदातें हुई हैं, उनमें अबु उस्मान शामिल रहा है। अक्सर वह वारदातस्थल के आसपास मौजूद रहता था,जहां से उसकी नजर शिकार पर रहती थी।

    साजिद जट्ट का करीबी था अबु उस्मान

    वह कश्मीर में नए आतंकियों की भर्ती करने के अलावा आतंकियों के नेटवर्क को फिर तैयार कर रहा था। वह पाकिस्तान में बैठे लश्कर कमांडर और द रजिस्टेंस फ्रंट के प्रमुख हैंडलर सैफुल्ला उर्फ सज्जाद जट्ट उर्फ साजिद जट्ट का करीबी था।

    जब वह पहली बार कश्मीर में आतंक मचाने आया था तो वह सज्जाद जट्ट के साथ ही आया था। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि अबु उस्मान की मौत कश्मीर में सक्रिय आतंकियों और सीमा पार बैठे उनके हैंडलरों के लिए आघात है।

    अगर वह आज न मारा जाता तो श्रीनगर में बड़े आत्मघाती हमले को रोकना मुश्किल हो जाता। वह हमले के लिए आतंकियों को लांच करने की तैयारी कर रहा था और उन्हें लांच करता वह पहले ही मारा गया।

    दो दिन पहले ही आया था श्रीनगर

    सूत्रों की मानें तो वह हमले को अंजाम देने के लिए एक या दो दिन पहले ही बांडीपोरा से श्रीनगर पहुंचा था। जहां अबु मारा गया उसके पास वर्ष 2002 में बादामी बाग में आत्मघाती हमला करने वाला अफाक अहमद का घर है।

    उधर, हलकान गली, लारनू अनंतनाग में जैश -ए-मोहम्मद का हिट स्क्वॉड कहे जाने वाले पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट के दो आतंकी जाहिद अहमद रेशी निवासी हसनपोरा अनंतनाग और अरबाज मीर निवासी कोयमू कुलगाम मारे गए हैं।

    सेना की 2 सेक्टर आरआर के कमांडर ब्रिगेडियर अनिरुद्ध ने पुलिस डीआइजी जावेद इकबाल की मौजूदगी में  पुष्टि की है।

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    इन घटनाओं में भी शामिल थे दोनों आतंकी

    दोनों आठ अक्टूबर को सैन्यकर्मी हिलाल अहमद की हत्या में लिप्त थे। दोनों अप्रवासी श्रमिकों की हत्या में लिप्त थे। जाहिद अप्रैल में आतंकी बना था। अरबाज वर्ष 2018 में लापता हुआ था।

    नेपाल के रास्ते पाकिस्तान गया था। आतंकी कैंप में ट्रेनिंग लेने के बाद वह उसी वर्ष लौटा था और कुपवाड़ा में सक्रिय हो गया। वह वर्ष 2020 में दो अन्य युवकों को गुमराह कर अपने साथ लेकर दोबारा पाकिस्तान गया।

    दो से तीन आतंकियों के साथ किया था घुसपैठ

    सूत्रों के अनुसार वह अप्रैल में जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ कर दाखिल हुआ। उसके साथ दो से तीन आतंकी और थे। यह कठुआ, उधमपुर के रास्ते डोडा पहुंचे थे।

    अरबाज और उसके साथी आतकियों ने ही 15 जुलाई को देस्सा डोडा में सैन्य दल पर हमला किया था। कैप्टन बृजेश थापा समेत चार सैन्यकर्मी बलिदानी हुए थे। सूत्रों के अनुसार बलिदानी कैप्टन के शव के साथ क्रूरता की हदें करने में अरबाज का हाथ था।

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