पहलगाम नरसंहार के समय अपनी दुकानें बंद रखने वाले पूछताछ के दायरे में, आतंकियों के मददगारों पर कसा शिकंजा
एनआइए ने पहलगाम और बैसरन में ऐसे कुछ दुकानदारों को चिह्नित किया है जिन्होंने इसी माह दुकान या कोई अन्य कारोबार शुरू किया लेकिन हमले से एक-दो दिन पहले या उसी दिन अपनी दुकान बंद रखी। उनसे पूछताछ के अलावा इनके मोबाइल फोन के डेटा की भी जांच की जा रही है। हमले के बाद से अब तक कई कश्मीर में पूर्व आतंकियों से पूछताछ की जा चुकी है।
नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। वर्षा और घनी धुंध के बावजूद पहलगाम नरसंहार के गुनहगारों के खिलाफ सुरक्षाबल ने शनिवार को भी बैसरन घाटी और उसके साथ सटी पहाड़ियों व जंगलों में घेराबंदी व तलाशी अभियान जारी रखा।
इस बीच, नरसंहार की जांच का जिम्मा संभाल रही एनआइए ने पहलगाम और बैसरन में ऐसे कुछ दुकानदारों को चिह्नित किया है, जिन्होंने इसी माह वहां अपना कारोबार शुरू किया और नरसंहार के दिन या उससे एक-दो दिन पहले वह काम पर नजर नहीं आए थे।
हमले के बाद से सुरक्षाबल कर रहे तेज निगरानी
वहीं, जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल में बंद आतंकियों के दो पुराने मददगारों निसार अहमद हाजी और मुश्ताक हुसैन से भी एसपी रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में एनआइए के एक दल ने पूछताछ की है। हमले के बाद से अब तक कश्मीर में पूर्व आतंकियों, उनके ओवरग्राउंड वर्करों और संदिग्ध तत्वों समेत 75 लागों को पीएसए (जन सुरक्षा अधिनियम) के तहत बंदी बनाया गया है।
संबंधित सूत्रों ने बताया कि एनआइए ने पहलगाम और बैसरन में ऐसे कुछ दुकानदारों को चिह्नित किया है, जिन्होंने इसी माह दुकान या कोई अन्य कारोबार शुरू किया, लेकिन हमले से एक-दो दिन पहले या उसी दिन अपनी दुकान बंद रखी। उनसे पूछताछ के अलावा इनके मोबाइल फोन के डेटा की भी जांच की जा रही है।
जिपलाइन लिफ्ट ऑपरेटर को किया गया रिहा
आतंकी हमले के समय पेड़ पर चढ़कर वीडियोग्राफी करने वाले युवक और अल्लाह हू अकबर का नारा लगाने वाले जिपलाइन लिफ्ट ऑपरेटर को पूछताछ के बाद रिहा कर दिया गया।
दक्षिण कश्मीर में शुक्रवार से ही मौसम बिगड़ा हुआ है। पहलगाम और उसके साथ सटे पहाड़ों व जंगलों में बारिश और धुंध के कारण सुरक्षाबलों को तलाशी अभियान में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके बैसरन के आसपास के 25 से 30 किलोमीटर के इलाके में जवान डटे हुए हैं।
प्राकृतिक गुफाएं आतंकियों की हो सकती हैं शरण स्थली
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, अनंतनाग जिले के घने जंगल और प्राकृतिक गुफाएं आतंकियों की शरण स्थली हो सकती हैं। आतंकियों ने इस इलाके में अपने लिए कुछ सुरक्षित ठिकाने बनाए हो सकते हैं, जहां उन्होंने अपने लिए कम से कम 15-20 दिन का राशन भी जमा किया होगा।
उनके मुताबिक, आतंकियों ने नरसंहार को अंजाम देने से पूर्व पूरे इलाके की रेकी की, उसके आधार पर स्पष्ट है कि उन्हें पता था कि नरसंहार के बाद सुरक्षा एजेंसियां उन्हें किसी भी जगह से निकाल कर लाएंगी। इसलिए उन्होंने सुरक्षित ठिकानों का इंतजाम कर लिया हो।
आतंकी भाग न पाएं, संदिग्ध तत्वों की कड़ी निगरानी
सूत्रों ने बताया कि आतंकी यहां से सुरक्षित निकलने के लिए संचार उपकरणों में अल्ट्रा और एल्पाइन सेट के जरिए सीमा पार बैठे अपने हैंडलरों और स्थानीय मददगारों के साथ संपर्क बना रहे हैं। आतंकियों ने इस इलाके में अभी तक चार बार सेटलाइट फोन का इस्तेमाल किया है।
सभी इलाकों संदिग्ध तत्वों की कड़ी निगरानी रखी
इसके अलावा सीमा पार बैठे उनके हैंडलरों ने भी अपने स्थानीय नेटवर्क से संपर्क कर बैसरन के गुनहगारों की मदद करने को कहा है। आतंकी किसी भी चूक का फायदा उठाकर भागने में कामयाब न हों, इसके लिए सुरक्षाबल ने पहलगाम और उसके साथ सटे सभी इलाकों संदिग्ध तत्वों की कड़ी निगरानी रखी है।
पूर्व आतंकियों और उनके ठिकानों की तलाशी
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शनिवार को श्रीनगर में पांच पूर्व आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्करों के ठिकानों की तलाशी ली। इन सभी के विरुद्ध गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, सहित हत्या और राष्ट्रद्रोह के मामले दर्ज हैं। यह सभी लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े रहे हैं। इनमें से चार अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
अलगाववादी संगठनों से जुड़े कुछ दस्तावेज जुटाए गए
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि श्रीनगर में एक सप्ताह में अभी तक 140 आतंकियों, पूर्व आतंकियों और सहयोगियों के ठिकानों की तलाशी ली है। शनिवार को इनके घरों की तलाशी अदालत की अनुमति से कार्यकारी मजिस्ट्रेट और स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में ली गई। इस अभियान के दौरान कुछ डिजिटल उपकरण, आतंकी व अलगाववादी संगठनों से जुड़े कुछ दस्तावेज जुटाए गए हैं।
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