पहलगाम के गुनाहगार अभी भी सुरक्षाबलों की पकड़ से दूर, जंगल और बस्तियों में जारी है तलाश
श्रीनगर में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी बैसरन पहलगाम नरसंहार (Pahalgam Terror Attack) के गुनाहगार अभी तक सुरक्षाबलों की पकड़ से दूर हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसियों के अनुसार इस नरसंहार को लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वॉड द रजिस्टेंस फ्रंट ने अंजाम दिया था। आतंकियों पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया है और सुरक्षाबल उनकी तलाश में जुटे हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में स्थित आतंकी शिविरों को नष्ट करने के अलावा कई आतंकी भी मारे गए, लेकिन एक महीने बीत जाने के बावजूद बैसरन, पहलगाम नरसंहार के गुनाहगार अभी तक सुरक्षाबलों की पकड़ से दूर हैं।
एक तरफ जंगल और बस्तियों में सुरक्षाबल उन्हें तलाश रहे हैं, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए पीड़ितों, प्रत्यक्षदर्शियों और पकड़े गए ओवरग्राउंड वर्करों से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर, उन तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। जांच एजेंसियो के मुताबिक, यह नरसंहार लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वॉड द रजिस्टेंस फ्रंट ने अंजाम दिया है।
आतंकियों पर रखा गया है 20-20 लाख का इनाम
उल्लेखनीय है कि पहलगाम से कुछ ही दूरी पर स्थित बैसरन में गत 22 अप्रैल को आतंकियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय घोड़े वाले की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकियों ने पर्यटकों की हत्या करने से पहले उनका धर्म पूछा और जब किसी पर यकीन नहीं आया तो उन्होंने उनके कपड़े तक उतरवाए। इस जघन्य कांड को अंजाम देने के बाद आतंकी निकटवर्ती जंगल में कहीं फरार हो गए।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस नरसंहार को अंजाम देने आए तीन पाकिस्तानी आतंकियों अली भाई उर्फ तल्हा भाई, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और आसिफ फौजी के साथ दो स्थानीय आतंकी भी थे। इनमें एक आदिल ठोकर उर्फ आदिल गुरी है, जो वर्ष 2018 में पाकिस्तान गया था। इन सभी आतंकियों के बारे में पक्की सूचना देने वाले के लिए 20-20 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।
आतंकियों ने सैटलाइट फोन का किया था इस्तेमाल
मामले की जांच से जुटे सूत्रों ने बताया कि बैसरन पहलगाम नरसंहार से पहले और उसके बाद पहलगाम में आतंकियों ने अपने आकाओं से संपर्क बनाए रखने के लिए सैटलाइट फोन का इस्तेमाल किया है। वह सीमा पार पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलरों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए थे।
उन्होंने बताया कि आतंकियों ने बैसरन में हमला करने से पहले पहलगाम और उसके आसपास के तीन और जगहों की रैकी थी, लेकिन वहां सुरक्षा बंदोबस्त ज्यादा होने और लोगों की भीड़ कम होने के कारण उन्होंने अपना इरादा बदला।
कई ओवरग्राउंड वर्करों से की जा चुकी है पूछताछ
उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस व एनआईए ने घाटी के विभिन्न इलाकों में लगभग तीन हजार नए-पुराने और पूर्व आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्करों के ठिकानों की तलाशी ली। इसके अलावा 188 संदिग्ध तत्वों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के जेल में बंद लगभग कई ओवरग्राउंड वर्करों से भी पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सुबूत हाथ नहीं लगा है, जिसके आधार पर बैसरन, पहलगाम के गुनाहगारों की गर्दन दबोच ली जाए।
अभी भी जारी है आतंकियों की तलाश
मामले की जांच से जुढ़े सूत्रों के अनुसार, बैसरन पहलगाम नरसंहार को अंजाम देने वाले आतंकी मामूली नहीं हैं। उन्होंने जिस तरीके से कृत्य अंजाम दिया है, वह उन्होंने पूरी तैयारी के साथ दिया है। वह पाकिस्तानी सेना के स्पेशल स्ट्राइक ग्रुप द्वारा प्रशिक्षित किए गए आतंकी हैं। अभी तक की जांच के आधार पर कहा जा सकता है कि वह अपने स्थानीय नेटवर्क के साथ सिर्फ जरूरत होने पर ही संपर्क बनाते हैं और अपने ठिकाने से बाहर निकलते हैं।
उनके पास नरसंहार को अंजाम देने के बाद वहां से किसी सुरक्षित जगह तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय था। इसलिए उनके पहलगाम-अनंतनाग से बाहर किसी अन्य जगह पर छिपने की आशंका को भी नहीं नकारा जा सकता और इसलिए उन्हें पकड़ने के अभियान के तहत कुलगाम, शोपियां, पहलगाम, बनिहाल और किश्तवाड़ के कुछ खास इलाकों में तलाशी अभियान को जारी रखा गया है। दक्षिण कश्मीर में कुछ बस्तियो को भी चिह्नत किया गया है, जहां आतंकी अपना ठिकाना बना सकते हैं।
30 से ज्यादा आतंकी ठिकाने नष्ट
उन्होंने बताया कि बैसरन पहलगाम नरसंहार के गुनाहगारों को पकड़ने के लिए चलाए गए अभियान के तहत ही सुरक्षाबलों ने अनंतनाग, कुलगाम और शोपियां में 30 से ज्यादा आतंकी ठिकानों को नष्ट किया है। शोपियां में टीआरएफ कमांडर शाहिद कूटे भी अपने दो नए साथियो संग ऐसे ही एक अभियान में मारा गया है।
उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने उन सभी इलाकों की घेराबंदी कर रखी है, जहां यह आतंकी छिपे हो सकते हैं, इसलिए आज नहीं तो कल यह पकडे़ जाएंगे, बशर्ते यह घाटी में ही हों।
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