पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां नहीं जाना चाहती वापस, बोलीं- 'हमारी लाशों को ताबूत में बंद कर भेजें'
जम्मू- कश्मीर में पुनर्वास नीति के तहत पाकिस्तान से लौटे पूर्व आतंकियों की पत्नियों की मुश्किल बढ़ गई है। सरकार के अनुसार किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को भारत में रहने की अनुमति नहीं है जबकि इन महिलाओं का पाकिस्तान में कोई ठिकाना नहीं है। पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद दोनों देशों का माहौल तनावपूर्ण हो गया है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पुनर्वास नीति के तहत बंदूक और अलगाववाद को तिलांजलि देकर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए गुलाम जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान से लौटे पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियों के लिए स्थिति अत्यंत मुश्किल हो उठी है। वह कह रही हैं कि भारत सरकार उन्हें भारत में रहने की अनुमति दे, अगर वापस भेजना चाहती है तो उनकी लाश को ताबूत में बंद कर भेजे।
भारत में नहीं रह सकता कोई पाकिस्तानी
सरकार के निर्देशानुसार, अब भारत में कोई भी पाकिस्तानी नागरिक नहीं रह सकता, सभी को वापस लौटना होगा, जबकि पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियों के लिए पाकिस्तान में कोई ठिकाना नहीं है। क्योंकि उनके पति जो आतंकी बनने पाकिस्तान गए थे, पाकिस्तान से चोरी छिपे नेपाल के रास्ते भारत लौटे हैं। उन्होंने अपने और अपने बीबी, बच्चों के पासपोर्ट पाकिस्तान में जला दिए थे।
2010 में सरकार ने शुरू की थी पुनर्वास की योजना
बता दें कि वर्ष 2010 में जम्मू-कश्मीर राज्य की सरकार ने केंद्र सरकार की सहमति से ऐसे आतंकियों के लिए जो आतंकी बनने पाकिस्तान गए थे, लेकिन उन्होंने कभी जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिंसा में भाग नहीं लिया, के पुनर्वास की एक योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत कई ऐसे आतंकी वापस जम्मू-कश्मीर लौटे। इनमें से कई ने पाकिस्तान या गुलाम जम्मू-कश्मीर में शादी की थी और वह सपरिवार कश्मीर आए।
पूर्व आतंकियों की पत्नियों ने क्या कहा?
पूर्व आतंकी से विवाहित एलिजा रफीक 2013 में अपने पति संग लौटी थी और बांदीपोरा में अपनी ससुराल में बस गई। एलिजा ने कहा कि हमें देश छोड़ने के लिए कहा गया है। मेरे तीन बच्चे हैं। उन्होंने मुझे मेरी सबसे छोटी बेटी को यहीं छोड़ने के लिए कहा है। वह छोटी है, मैं उसे यहां कैसे छोड़ सकती हूं। हम सरकार की नीति के कारण यहां आए हैं... हमारे पास मतदाता पहचान पत्र है आधार कार्ड है। मैंने चुनावों में मतदान किया है।
एक अन्य पूर्व आतंकी की पाकिस्तानी पत्नी रफीका ने कहा कि मेरी जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अपील है कि वह हमें यहां कश्मीर में रहने दें। पिछले 12 सालों से यहीं उनका घर है। हमें यहां रहने दें। अगर नहीं तो हमें मार दें और हमारे शवों को सीमा पार भेज दें।
ऐसी ही एक और पाकिस्तानी महिला जाहिदा बेगम ने कहा कि पुलिस ने मुझे जाने के लिए कहा है। मैं वापस नहीं जाना चाहती। मेरी दो बेटियां और बेटा है। वे मुझे उसे यहां रखने के लिए कह रहे हैं। मैं वापस नहीं जाना चाहती।
रफीका बेगम ने अपना निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, चुनाव कार्ड और राशन कार्ड दिखाते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा जारी किया गया है। अगर मुझे यहां से भेजा गया तो मेरे बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाएगा। मैं यहां 15 साल से रह रही हूं। मेरे बच्चे भी वापस नहीं जाना चाहते।
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