Operation Mahadev: किसके कहने पर हाशिम मूसा ने किया था पहलगाम हमला? रची थी खतरनाक साजिश; जफर एक्सप्रेस हमले से कनेक्शन
पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलेमानी की मौत के साथ पाकिस्तान के आतंकी चेहरे का सच फिर सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार सुलेमानी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर के निर्देश पर पहलगाम हमले को अंजाम दिया था। हमले का मकसद भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काना था। वह 2022 से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय था और कई हमलों में शामिल था।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलेमानी की मौत से पाकिस्तान के आतंकी चेहरे का सच फिर सामने आ गया है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, सुलेमानी ने पहलगाम हमले को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और लश्कर के अपने हैंडलर सज्जाद और काजी सैफ के निर्देश पर अंजाम दिया था।
वह दोनों के लगातार संपर्क में था। हमले के पीछे आइएसआइ व लश्कर का उद्देश्य पूरे भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश व बलोच विद्रोहियों द्वारा जफर एक्सप्रेस पर किए गए हमले से पैदा हुए हालात से आम पाकिस्तानियों का ध्यान हटाना था। सूत्रों के अनुसार, हाशिम मूसा और उसके साथियों को आइएसआइ व लश्कर ने सिर्फ चुनिंदा हमलों के लिए भेजा था।
गुरिल्ला युद्ध में पूरी तरह प्रशिक्षित पाकिस्तानी कमांडो होने के कारण वह आबादी से दूर जंगल में ही रहने को प्राथमिकता देता था। सूत्रों की मानें तो अप्रैल में पहलगाम हमले से पहले वह दो से तीन बार त्राल में देखा गया था। पहलगाम हमले के सिलसिले में पकड़े गए दो स्थानीय लोगों परवेज और बशीर ने भी उसके हमले में शामिल होने की पुष्टि की है।
ओजीडब्ल्यू को भी नहीं लगने देता था भनक
हाशिम मूसा के बारे में कहा जाता है कि वह इतना शातिर था कि किसी भी ओवरग्राउंड वर्कर के पास या किसी स्थानीय आतंकी के साथ दो से तीन दिन से ज्यादा समय तक नहीं ठहरता था। हाशिम और उसका गुट किसी भी जगह हमला करने से पहले वहां से बच निकलने के लिए अपना रास्ता तैयार करता था।
हमले से पहले तक वह अपने ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क को भी अपने इरादे से बेखबर रखता था।चार वर्ष से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय था हाशिम मूसा हाशिम मूसा सुरक्षाबल की नजर में 21 दिसंबर 2023 को आया, जब पुंछ के डीकेजी सेक्टर में एक सैन्य वाहन पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया।
हमले में पांच सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए थे। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो वह वर्ष 2022 के अंत में गुलाम जम्मू-कश्मीर से राजौरी-पुंछ के बीच के रास्ते घुसपैठ कर दाखिल हुआ था।
उसके साथ पांच आतंकी और थे। हाशिम कुपवाड़ा व पुंछ में एलओसी पर स्थित भारतीय चौकियों पर बैट हमलों में भी शामिल रहा है।
पुंछ में सुरक्षाबल का दबाव बढ़ने पर कश्मीर में हुआ था दाखिल
सूत्रों के अनुसार, पुंछ में सुरक्षाबल का दबाव बढ़ने के बाद हाशिम कश्मीर में दाखिल हुआ था और कुछ समय तक वह शोपियां, बड़गाम और कुलगाम में सक्रिय रहा। उसने कुलगाम के रहने वाले लश्कर आतंकी जुनैद रमजान बट को अपने गुट में शामिल किया।
उसने जुनैद के साथ कुलगाम के ऊपरी जंगल में सेना के गश्तीदल पर हमला किया था, जिसे तीन सैन्यकर्मी बलिदान हुए थे। इसके बाद हाशिम अपने दो पाकिस्तानी साथियों और जुनैद को लेकर त्राल चला गया और इसके बाद उसने हारवन-दाचीगाम के पहाड़ों पर अपना ठिकाना बनाया।
इसी ठिकाने से उसने 20 अक्टूबर 2024 को श्रीनगर-जोजि ला मार्ग पर स्थित गगनगीर में सोनमर्ग सुरंग के निर्माण में जुटे लोगों पर हमला किया था। इसमें सात लोग मारे गए थे।
इसके बाद वह बांडीपोरा के सफापोरा के रास्ते गुलमर्ग की तरफ चला गया, जहां उसने 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग के बोटापथरी में एक सैन्य दल पर हमला किया, जिसमें पांच सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए थे।
सुरक्षा एजेंसियों की सूचना के बाद ही हारवन-दाचीगाम में सुरक्षाबल ने चौकसी बढ़ाई और दो दिसंबर 2024 को जुनैद को हारवन के ऊपरी क्षेत्र में मार गिराया, लेकिन हाशिम बच निकला था।
आतंकियों का ट्रांजिट रूट है हारवन-दाचीगाम
श्रीनगर में दाचीगाम के साथ सटा हारवन का क्षेत्र जब्रवान की पहाडि़यों का हिस्सा है। यह श्रीनगर को दक्षिण कश्मीर के त्राल-अवंतीपोरा-बिजबिहाड़ा-पहलगाम के साथ जोड़ता है।
दूसरी तरफ यह दारा, लार-नुन्नर से होते हुए गांदरबल-कंगन-सोनमर्ग और गुरेज तक जंगल-पहाड़ों के बीच एक सुरक्षित कारीडोर प्रदान करता है। इस इलाके में ऊंचे पहाड़, गहरी खाइयां और घने जंगलों के बीच कई प्राकृतिक गुफाएं भी हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।