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    J&K News: 'संसद ही करेगी अंतिम फैसला', UCC और वक्फ विधेयक पर और क्या बोले सीएम उमर अब्दुल्ला

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 05:07 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) और वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अंतिम फैसला संसद ही करेगी। उत्तराखंड में सोमवार को यूसीसी लागू हो गया है। इसके साथ ही यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश या राज्य फैसला नहीं करेगा।

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    यूसीसी पर क्या बोले सीएम उमर अब्दुल्ला। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता और वक्फ (संशोधन) विधेयक, दोनों पर अंतिम निर्णय संसद का होगा। देश के लिए कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की संभावना पर कहा कि अगर अगर ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ तो तो लोगों को पता चल जाएगा।

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    आज यहां एक समारोह के दौरान बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने विभिन्न विषयों पर खुलकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू किएजाने और वक्फ बिल में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा सभी प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दिए जाने पर उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।

    चाहे कोई राज्य हो या कोई केंद्र शासित प्रदेश, इस देश में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है। इसलिए जो यह सब कर रहे हैं, करने दीजिए। संसद ही इन दोनो मामलों में अंतिम निर्णय लेगी। वक्फ बिल को लेकर संसद में बहस जारी है और अभी कोई कानून नहीं बना है।

    'केंद्र शासित प्रदेश में सरकार का चलाने में अंतर'

    संयुक्त संसदीय समिति को इस विषय में अपना काम करने दीजिए,जब वह काम पूरा कर लेगी तो रिपोर्ट संसद मे जाएगी और फिर संसद में तय होगा। एक पूर्ण राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के अनुभव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इनमें जमीन आसमान का अंतर है।

    एक पूर्ण राज्य में सरकार चलाना और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार का चलाना, बहुत अंतर है। केंद्र शासित प्रदेश में आपके पास पूरा नियंत्रण नहीं होता।इसके बावजूद मुझे पूरी उम्मीद है कि समय के साथ सकारात्मक बदलाव आएगा। हमारी प्राथमिकता है कि राज्य का दर्जा बहाल हो और प्रधानमंत्री ने भी कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है।

    'लाए गए प्रस्ताव विचारणीय और तर्कसंगत'

    राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर अगर ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ तो तो लोगों को पता चल जाएगा उन्होंने गत नवंबर में संपन्न हुए विधानसभा सत्र में विशेष दर्जे और राज्य के दर्जे की बहाली संबंधी पारित दोनों प्रस्तावो को सही ठहराते हुए कहा कि इन्हें खारिज नहीं किया गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

    हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि इससे पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा में पारित प्रस्तावों को केंद्र सरकार ठंडे बस्ते में डाल देती थी। हमारे विरोधियों ने इस बार भी स्वीकार किया है कि हमने जो प्रस्ताव लाए हैं, वह विचारणीय हैं, तर्कसंगत हैं।

    'दिल्ली में जब बदलाव होगा तो हमें भी अधिकार मिलेगा'

    उन्होंने विशेष दर्जे की बहाली पर बात करते हुए कहा कि जिन्होंने हमसे हमारे अधिकार, हमारा विशेष दर्जा छीना है, वह हमें नहीं लौटाएंगे, लेकिन कोई भी सरकार स्थायी नहीं होती। दिल्ली में जब कोई बदलाव होगा तो इस मुदृदे पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू होगी।

    उन्होंने मौजूदा माहौल में जनता की उम्मीदों को पूरा करने की चुनौतियों को स्वीकारते हुए कहा कि प्रशासन ने लोगों और सरकार के बीच की खाई को पाटने में प्रगति की है। कई दिक्कतों के बावजूद, हमने वह किया है जो हम कर सकते थे। हमारा खजाना खाली है, लेकिन हम वित्तीय सहायता के लिए केंद्र के साथ पूरा संवाद-संपर्क बनए हुए हैं। वित्त और गृह मंत्री दोनों ने समर्थन का आश्वासन दिया है।

    'हम 100 प्रतिशत ऋण पर निर्भर'

    उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश और पूर्ण राज्य में वित्तीय असमानताओं को उजागर करते हुए बताया कि पिछले राज्य की व्यवस्था के तहत, हमें 90 प्रतिशत अनुदान और बहुपक्षीय वित्तपोषण के तहत 10 प्रतिशत ऋण मिले थे। अब, हम 100 प्रतिशत ऋण पर निर्भर हैं, जो टिकाऊ नहीं है।

    उन्होंने श्रीनगर और जम्मू में निजी निवेश की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि निजी निवेश के जरिए भी रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत हैञ जरूरतमंदों को मुफ्त बिजली देने की योजना का उल्लेख करत हुए उन्होंने कहा कि बिजली घाटे को कम करने के लिए पहले सिस्टम को सुधारना होगा।

    युवाओं को खेल में झोंकना चाहिए, नशे में नहीं'

    दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के बारे में उन्होंने नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उनकी संख्या की समीक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2014 की बाढ़ ने इस प्रक्रिया को बाधित किया, लेकिन हम इसे हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    उमर अब्दुल्ला ने सामाजिक मुद्दों, खासकर नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन से उत्पन्न स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें नशीले पदार्थों की आपूर्ति, तस्करी, खपत को रोकने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास करना है। हमें युवाओं को खेल के मैदान और खेल सुविधाओं जैसे विकल्प देने चाहिए।

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