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    'जहां चाकू की जरूरत थी वहां आपने तलवार निकाल दी', महबूबा मुफ्ती ने Operation Sindoor पर उठाए सवाल

    Updated: Tue, 20 May 2025 06:52 PM (IST)

    महबूबा मुफ्ती ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र को पहले राजनीतिक हस्तक्षेप करना चाहिए था। उन्होंने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित नागरिकों को युद्ध पीड़ित घोषित करने और प्रत्येक परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की। मुफ्ती ने पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय और मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी देने की भी मांग की।

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    महबूबा मुफ्ती ने ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए सवाल (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को पहले ही राजनीतिक हस्ताक्षेप और कूटनीतिक प्रयास करने चाहिए थे। युद्ध से क्या हासिल हुआ, पहलगाम के गुनाहगार अभी तक नहीं पकड़े गए,लेकिन युद्ध में आम लोगों को बड़ा नुकसान हुआ है।

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    पुंछ के दौरा करने के बाद आज यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह युद्ध नागरिकों के बीच नहीं बल्कि दो मुल्कों के बीच था। उन्होंने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित नागरिकों को जो नुक्सान हुआ है,उसके लिए उन्हें युद्ध पीड़ित घोषित करने के साथ ही प्रत्येक प्रभावित परिवार को न्यूनतम 50 लाख रूपये मुआवजा दिया जाना चाहिए।

    केंद्र को संसद सत्र बुलाना चाहिए था- महबूबा

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर भारत द्वारा कूटनीतिक संपर्क एक अच्छा कदम है, लेकिन केंद्र को संसद सत्र बुलाना चाहिए था और सांसदों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी।

    उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद भारत सरकार को एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजकर उन्हें बताना चाहिए था कि कश्मीर में क्या हुआ है और इससे निपटने के लिए क्या किया जा सकता है। जब आप परमाणु शक्ति हैं तो युद्ध कोई भी विकल्प नहीं हैं, न पहला और न अंतिम।

    'जहां चाकू की जरूरत थी वहां आपने...'

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सरकार चाहती तो वह इस स्थिति से बच सकती थी यह युद्ध नागरिकों के बीच नहीं बल्कि दो देशों के बीच था। राजनीतिक हस्तक्षेप और कूटनीति से इस मामले को हल किया जा सकता था। सरकार को कई ऐसे कदम उठाने थे जिससे युद्ध की नौबत ही नहीं आती। जहां चाकू की जरूरत थी, आपने वहां तलवार निकाल दी। इससे क्या हासिल होगा?

    पीडीपी प्रमुख ने कहा कि दोनों देशों को यह समझने की जरूरत है कि युद्ध कोई समाधान नहीं है क्योंकि यह केवल विनाश लाता है। यह केवल मीडिया की टीआरपी बढ़ाता है। सीमांत इलाकों में रहने वालों को विशेषकर जम्मू कश्मीर के लोगों से पूछो, जिंदगी कैसे तबाह होती है, लोगों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, यह आप पीड़ितों से मिलकर ही समझ सकते हैं।

    पहलगाम हमले पर क्या बोलीं महबूबा?

    बैसरन पहलगाम नरसंहार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमने पहलगाम में 27-28 लोगों को खो दिया और फिर हमने और लोगों को खो दिया। कई घर नष्ट हो गए और हमारा शहर पुंछ भी नष्ट हो गया। बच्चे और महिलाएं मारे गए और पहलगाम में शामिल आतंकवादियों को अभी तक पकड़ा नहीं गया है। फिर हमने क्या हासिल किया?

    उन्होंने प्रत्येक प्रभावित परिवार को कम से कम 50 लाख रुपये का भुगतान करने और इन नागरिकों को 'युद्ध पीड़ित' के रूप में मान्यता देने की मांग की।

    उन्होंने कहा कि आज भी लोग बिना आश्रय या सरकारी सहायता के खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। लोगों की जान चली गई है, घर नष्ट हो गए हैं और फिर भी सहायता के रूप में एक भी रुपया वितरित नहीं किया गया है।

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    मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी देने की मांग

    उन्होंने पाकिस्तान की गोलाबारी में मारे गए लोगों के एक स्वजन को सरकारी नौकरी देने की मांग करते हुए कहा कि प्रभावित दुकानदारों को जिनका कोई बीमा कवर नहीं है, भी सहायता प्रदान की जाए।

    उन्होंने कहा कि सहायता राशि वितरण में देरी अनुचित है और सरकार का इस संदर्भ मेंअपनाया जा रहा उदासीन रवैया पीड़ितों के दर्द को बढ़ाने वाला है। उन्होंने सीमांत इलाकों में बंकर बनाए जाने की भी मांग की।

    प्रो. अली खान की गिरफ्तारी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

    अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने कौन सी गलत बात की है।

    भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री ने कर्नल सोफिया के बारे मे जो घटिया बयान दिया है, उस पर आप चुप हैं। उन मुसलमानों के बारे में भी सोचिए जिनके घर आप तोड़ते हैं, जिनके मकानों पर आप बुलडोजर चलाते हैं, जिनकी मॉब लिंचिंग होती है।

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