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    जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के फैसले पर महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल, बोली- 'कोर्ट का फैसला गलत और राजनीति से प्रेरित'

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 26 Dec 2025 04:03 PM (IST)

    पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट द्वारा उनकी पीआईएल खारिज करने पर नाराजगी जताई और फैसले को 'गलत' बताया। पीआईएल में जम्मू-कश्मीर ...और पढ़ें

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    महबूबा मुफ्ती ने बताया कि 2019 के बाद कई कश्मीरी बाहर की जेलों में बंद हैं, जिनकी जानकारी सरकार ने नहीं दी। फोटो: साहिल मीर।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट द्वारा उनकी पीआईएल खारिज कर देने पर कड़ी नाराजगी जताई है। महबूबा ने कहा कि कोर्ट का फैसला "गलत" और राजनीति से प्रेरित है।

    आपको बता दें कि इस पीआईएल में जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद अंडरट्रायल कैदियों को वापस केंद्र शासित प्रदेश में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि पीआईएल राजनीतिक फायदे के लिए फाइल की गई थी, लेकिन उन्होंने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पीआईएल असली मानवीय चिंताओं पर आधारित थी।

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    केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेल में बंद हैं कई लोग

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2019 के बाद, जम्मू-कश्मीर के कई लोग केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेल में बंद हैं और उनके परिवार मदद के लिए उनके पास आए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस डायरेक्टर जनरल, सरकार और गृह मंत्रालय को लेटर लिखकर जेल में बंद लोगों की डिटेल मांगी गई थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

    अंडर ट्रायल केसों की संख्या चिंताजनक

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कई केस सालों तक बिना किसी कानूनी कार्रवाई के अंडर ट्रायल रहते हैं, जिससे पता चलता है कि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा कि देश भर में 3.5 लाख से ज़्यादा लोग जेल में हैं और अंडर ट्रायल हैं।

    इस मामले को गंभीरता से उठाना चाहिए

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने एमपी के साथ इस मामले को गंभीरता से उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर में शॉल बेचने वाले की घटना पर कमेंट करते हुए कहा कि यह अजीब बात है कि बांग्लादेश के बारे में चिंता जताई जा रही है, जबकि देश के अंदर हो रहे अन्याय को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।