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    Gen-Z की क्रांति, बेरोजगारी और लोकतंत्र... लद्दाख हिंसा के बाद भूख हड़ताल खत्म करने पर क्या-क्या बोले सोनम वांगचुक?

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 05:21 PM (IST)

    लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में प्रदर्शन हो रहा है जहाँ प्रदर्शनकारी छात्र और पुलिस के बीच झड़प हुई। सोनम वांगचुक जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे उन्होंने अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल खत्म कर दी है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

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    लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन के बाद सोनम वांगचुक ने 15 दिन से चल रही भूख हड़ताल खत्म की (फोटो: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Leh Ladakh Protest) को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारी छात्र और पुलिस के बीच हिंसक झड़प की खबर है। सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं।

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    लेकिन अब सोनम वांगचुक ने अपनी 15 दिन से चल रही भूख हड़ताल खत्म कर दी है। विरोध प्रदर्शन शुरू होने के तुरंत बाद, सोनम वांगचुक ने लोगों से शांति की अपील की। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों से हिंसा रोकने का आग्रह किया। वांगचुक ने कहा कि इससे मूल उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है।

    सोनम वांगचुक ने कहा "आज, हमारे अनशन के 15वें दिन, मुझे यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि लेह शहर में व्यापक हिंसा और तोड़फोड़ हुई। कई कार्यालयों और पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई। कल, यहाँ 35 दिनों से अनशन कर रहे दो लोगों को बहुत गंभीर हालत में अस्पताल ले जाना पड़ा। इससे व्यापक आक्रोश फैल गया और आज पूरे लेह में पूर्ण बंद की घोषणा कर दी गई।

    हजारों युवा बाहर निकल आए। कुछ लोग सोचते हैं कि वे हमारे समर्थक हैं। पूरा लेह हमारा समर्थक है। लेकिन यह जेनरेशन Z की क्रांति थी। वे पिछले 5 सालों से बेरोज़गार हैं... उन्हें नौकरियों से वंचित किया जा रहा है... मैंने हमेशा कहा है कि यही सामाजिक अशांति का नुस्खा है: युवाओं को बेरोज़गार रखना और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना। आज यहाँ कोई लोकतांत्रिक मंच नहीं है। छठी अनुसूची, जिसकी घोषणा और वादा किया गया था, उस पर ध्यान नहीं दिया गया।

    हालाँकि, अभी के लिए, मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूँ कि वे हिंसा के इस रास्ते पर न चलें क्योंकि यह मेरे पाँच साल की मेहनत। मैं इतने सालों से अनशन कर रहा हूँ, शांतिपूर्वक मार्च निकाल रहा हूँ, और फिर हिंसा का रास्ता अपना रहा हूँ; यह हमारा रास्ता नहीं है। मैं युवा पीढ़ी से अनुरोध करता हूँ कि वे शांति के रास्ते सरकार तक पहुँचें। मैं चाहता हूँ कि सरकार शांति का संदेश सुने।

    जब वे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों और मार्चों की अनदेखी करते हैं, तो ऐसे हालात पैदा होते हैं। मैं सरकार से लद्दाख के बारे में संवेदनशील होने और युवा पीढ़ी से शांति के रास्ते पर चलने का आग्रह करूँगा। यह (हिंसा का) रास्ता मेरा रास्ता नहीं है। यह उनके गुस्से का नतीजा है। लेकिन यह गुस्सा निकालने का समय नहीं है। यह सरकार के साथ शांति से बातचीत करने का समय है।"

    वहीं, हिंसा और आगजनी के बाद लेह के डीएम ने बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने, बिना अनुमति के जुलूस निकालने तथा सार्वजनिक शांति भंग करने वाले बयानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।