कश्मीर तक रेल: एक तरफ बेहतर कनेक्टिविटी तो दूसरी ओर कड़ा विरोध, किसानों को किस बात का सता रहा डर?
Delhi to Kashmir Train Project कश्मीर में रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए केंद्र सरकार की पहलगाम तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना का विरोध शुरू हो गया है। अनंतनाग-बिजबिहाड़ा के किसानों का कहना है कि इससे उनके बाग और खेत खत्म हो जाएंगे। किसानों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से इस योजना को रद्द करने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग-बिजबिहाड़ा में स्थानीय किसान रेल नेटवर्क के विस्तार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। राजनीतिक दलों ने भी इस योजना का विरोध शुरू कर दिया है। किसान आशंकित हैं कि प्रस्तावित रेल नेटवर्क में उनके बाग और खेत खत्म हो जाएंगे।
उन्होंने प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से इस योजना को रद करने का आग्रह किया है। केंद्र सरकार ने कश्मीर में रेल संपर्क को बढ़ाने के लिए पहलगाम तक रेलवे लाइन को विस्तार देने का फैसला किया है।
इस परियोजना को शुरू करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण की प्रक्रिया जारी है। अनंतनाग से पहलगाम तक रेलवे लाइन को बिछाया जाना है। पहलगाम श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा का प्रमुख आधार शिविर भी है।
पहलगाम में हर वर्ष न सिर्फ लाखों की तादाद में श्री अमरनाथ पवित्र गुफा के दर्शन के इच्छुक श्रद्धालु, बल्कि बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी भी आते हैं। पहलगाम रेलवे लाइन का विरोध कर रहे किसानों ने सोमवार को प्रदर्शन भी किया।
गत रविवार को भी धरना दिया था। बिजबिहाड़ा के विधायक डॉ. बशीर अहमद वीरी ने रेल परियोजना का विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात की है। किसान गुलाम नबी ने कहा कि अनंतनाग से पहलगाम तक रेलवे लाइन बनने से सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर हो जाएगी।
यह क्षेत्र कश्मीर के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में गिना जाता है। यहां हजारों लोगों की आजीविका का मुख्य साधन उनके खेत और बाग हैं। इसी क्षेत्र में सेब, आलू बुखारा, चेरी, आड़ू, खुबानी, बादाम और अखरोट के सबसे ज्यादा बाग हैं। धान भी इसी क्षेत्र में खूब होता है। अगर खेत खत्म हुए तो खाद्यान्न की कमी होगी।
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नेताओं की प्रतिक्रिया
मुझे इस रेलवे लाइन के निर्माण का उद्देश्य समझ में नहीं आ रहा। क्या केंद्र सरकार किसानों को उनकी जमीन से बेदखल करना चाहती है? यह वह हमारी अर्थव्यवस्था को और भी बर्बाद करना चाहते हैं? हमारे यहां कोई औद्योगिक क्षेत्र नहीं है और पहलगाम में भी कोई उद्योग नहीं है। हम इस जमीन को जाने नहीं देंगे। हम अपनी जमीनों केा बचाने के लिए आंदोलन करने को भी तैयार हैं।
-बशीर अहमद वीरी, बिजबिहाड़ा के नेकां विधायक
पहलगाम तक रेलवे लाइन के लिए कभी भी लोगों ने मांग नहीं की है। लोगों पर कोई फैसला नहीं थोपा जाना चाहिए। प्रस्तावित अनंतनाग-बिजबिहाड़ा -पहलगाम रेलवे लाइन बागों और धान की भूमि से होकर गुजरती है। यह रेलवे लाइन जहां-जहां से होकर गुजरेगी, वहां-वहां कृषि अर्थव्यवस्था को खत्म कर देगी। योजना से प्रभावित होने वाले छोटे किसान हैं।
-अल्ताफ बुखारी, जेकेएपी के चेयरमैन
प्रस्तावित रेलवे लाइन बागों और खेतों में से गुजरेगी। मतलब यह कि रेल हमारे खेत और बाग खा जाएगी। सरकार को चाहिए कि वह इस परियोजना को रद कर दे। अनंतनाग, नौगाम, बिजबिहाड़ा में रेलगाड़ी नियमित तौर पर आती है और इन जगहों से पहलगाम तक सदाबहार सड़क नेटवर्क बहुत अच्छा है। दूरी भी ज्यादा नहीं है। बस, मिनी बस व टैक्सी सेवा चौबीस घंटे उपलब्ध है।
-तस्सदुक रशीद, स्थानीय किसान
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