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    24 करोड़ मुसलमानों को कहां फेंकेंगे? समुद्र में तो नहीं फेंक सकते, संभल-अजमेर को लेकर ऐसा क्यों बोले फारूक अब्दुल्ला

    Updated: Mon, 02 Dec 2024 10:52 PM (IST)

    डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से देश में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों के साथ समान व्यवहार किया जाए और संविधान के साथ छेड़खानी नहीं की जाए। उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के लिए उनके दिल खुले हैं और वह किसी भी समय वापस आ सकते हैं।

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    संभल व अजमेर विवाद पर और क्या बोले फारूक अब्दुल्ला।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार केंद्र सरकार पर देश में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने का जोर देते हुए कहा कि मुस्लिमों के साथ समान व्यवहार किया जाए।

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    उन्होंने संभल और अजमेर शरीफ जैसी घटनाओं पर रोक लगाने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि हमारे देश में सांप्रदायिकता और नफरत खत्म होनी चाहिए। सऊदी अरब में उमरा से लौटे डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारा संविधान सभी को बराबरी का हक देता है, अगर संविधान के साथ छेड़खानी करेंगे उसे भंग करेंगे तो फिर हिंदुस्तान कहां रहेगा।

    'कश्मीरी हिंदुओं के लिए हमारे दिल खुले हैं'

    उन्होंने कहा कि यहां अब मुस्लिमों को निशाना बनााय जा रहा है, उनके धर्मस्थलों पर सवाल उठाया जा रहा है।ऐसा नहीं किया जाए, क्योंकि वह भारत के मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंक सकते। 24 करोड़ मुसलमानों को कहां फेंकेंगे।

    घाटी में विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की वापसी संबंधी सवाल के जवाब में उनहोंने कहा कि यहां कोई भी विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की वापसी के खिलाफ नहीं है। कश्मीरी हिंदुओं केा यहां वापस आने से कौन रोक रहा है? प्रत्येक राजनीतिक दल उनकी वापसी का समर्थक है। कश्मीरी हिंदुओं को ही तय करना है कि वह यहां कब कैसे आएंगे।

    गरीबों और वंचितों के लिए आरक्षण होना चाहिए

    हमारे दिलों के दरवाजे, हमारे घर के दरवाजे उनके लिए खुले हैं। डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो उस समय यहां हालात खराब थे, लेकिन हमने उन्हें वापस लाने का प्रयास किया। जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर पैदा विवाद पर उन्होंने कहा गरीबों और वंचितों के लिए आरक्षण होना चाहिए, लेकिन यह व्यावहारिक होना चाहिए।

    सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए। आरक्षण वंचितों के लिए है ताकि उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान हो सके। यहां यह 70 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे कुछ वर्गाे को नुकसान हो रहा है। इसलिए इसकी समीक्षा भी जरूरी है।

    युद्ध विराम एक बहुत अच्छा कदम

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा आतंकियों के मददगार दो सरकारी कर्मियों को बर्खास्त किए जाने पर पूर्व मुख्यमत्री ने कहा कि सरकार यह जरूर पता लगाएगी कि इन दो कर्मचारियों को क्याें हटाया गया है। उन्होंने इजरायल-लेबनान के बीच युद्धविराम का स्वागत करते हुए गाजा, सीरिया और ईरान पर हमलों को भी समाप्त करने का आह्वान किया।

    उन्होंने कहा कि युद्ध विराम एक बहुत अच्छा कदम है, लेकिन इजरायल और अमेरिका द्वारा गाजा, सीरिया और ईरान में संयुक्त रूप से किए जा रहे हमलों को रोकना आवश्यक है, जो आज भी जारी है।यह खतरनाक है। उन्हें तुरंत युद्ध विराम का सहारा लेना चाहिए।

    आपने (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद में बहस देखी होगी। यदि सुरक्षा परिषद के अस्तित्व का कोई उद्देश्य है, तो उसे इजरायल को युद्ध विराम लागू करने और मानवीय सहायता की अनुमति देने के लिए कहना चाहिए।

    उन्होंने उमरा से संबधी सवाल के जवाब में कहा कि मैने वहां न केवल केवल कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे मुस्लिम जगत के लिए प्रार्थना की। आज हम जिन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, अल्लाह हमें इनसे मुक्ति दिलाए।

    अल्लाह हमें सही रास्ते पर ले जाए। मैंने प्रार्थना की कि हम बुराई से दूर रहें और हमारे देश में फैली धार्मिक नफरत का अंत हो। मैंने एकता और सद्भाव के लिए प्रार्थना की है।

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