Kargil Vijay Diwas : गन हिल सुनाती है भारतीय जांबाजों की शौर्य गाथा, कारगिल युद्ध नायकों ने ताजा की यादें
जम्मू-कश्मीर में 1999 के कारगिल युद्ध की याद में सेना के वीरों ने द्रास के गन हिल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अभियान में आर्टिलरी यूनिटों के 87 सैन्यकर्मी शामिल थे। गन हिल पर कारगिल युद्ध के नायकों ने तोपखाने के गनर्स की वीरता और बलिदान को याद किया। कर्नल राजेश अधाऊ और सूबेदार केवल सिंह जैसे युद्ध नायकों ने अपने अनुभव साझा किए और सैनिकों को प्रेरित किया।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध की यादों को ताजा करने के लिए युद्ध के नायकों के साथ सेना के वीरों का दल मंगलवार को द्रास के गन हिल पर पहुंचा। कारगिल युद्ध में सेना की आर्टिलरी के गनर्स की वीरता, बलिदान को श्रद्धांजलि देने को द्रास से गन हिल तक ट्रैकिंग अभियान में सैनिकों ने भारी जोश दिखाया।
इस अभियान में भारतीय सेना की दस आर्टिलरी यूनिटों के बीच गनर्स समेत 87 सैन्यकर्मी शामिल हुए। गन हिल कहे जाने वाले द्रास के प्वाइंट 5140 पर पहुंचे सैन्यकर्मियों ने 26 साल पहले लड़े गए कारगिल युद्ध में गनर्स की वीरता, बलिदान को श्रद्धांजलि दी।
इस समय लद्दाख में 26वें कारगिल दिवस मनाने की तैयारियों के बीच युद्ध में वीरता दिखाने वाली सेना की यूनिटों द्वारा जोरशोर से कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। हर कोई वीरता के इस पर्व को जोश व जज्बे के साथ मनाने की तैयारियां में जुटा हुआ है। सैन्य यूनिटों में उत्सव सा माहौल बना हुआ है।
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ऐसे में गन हिल तक सेना की फारेवर इन आपरेशन डिवीजन के इस अभियान में कैप्टन के रूप में युद्ध में हिस्सा ले चुके कर्नल राजेश अधाउ व लांस रूप के रूप में युद्ध लड़ते हुए सेना मैडल हासिल करने वाले सु़बेदार केवल सिंह भी शामिल हुए।
कर्नल राजेश अधाऊ ने 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स के रेजिमेंटल मेडिकल आफिसर के रूप में कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। युद्ध के इन नायकों ने गन हिल पर भारतीय तोपखाने के वर्चस्व की गाथा सुनाकर सैनिकों के देश के लिए मर मिटने की भावना को बल दिया।
इस दौरान अभियान के सदस्यों को बताया गया कि भारतीय तोपखाने के गनर्स ने किस तरह से विपरीत हालात में चाेटियों पर बैठे पाकिस्तानियों सैनिकों पर सटीक प्रहर कर उन्हे मार भगाया था। भारतीय सेना के गनर्स ने लद्दाख के द्रास सेक्टर में 20 जून 1999 को क्षेत्र की सबसे उंची चोटियों में से एक प्वाइंट 5140 जीत कर कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की स्थिति को मजबूत कर दिया था।
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गर्नस के स्टीक प्रहरों के बीच 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स के परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा ने इस चोटी पर कब्जा किया था। चोटी पर बैठे दुश्मन पर कड़ा आघात करने के लिए भारतीय तोपखाने के गनर्स ने चालीस हजार के करीब गोले दागे थे।
कारगिल युद्ध के दौरान इस चोटी को जीतने में आर्टिलरी रेजिमेंट द्वारा निभाई गई निर्णायक भूमिका के लिए बाद में प्वाइंट 5140 का नाम बदलकर गन हिल" रखा गया था।
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