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    Jammu Kashmir: सुरक्षाबलों से बचने के लिए आतंकियों का नया हथियार, जानिए क्या है अल्पाइन क्वेस्ट ऐप

    Updated: Fri, 24 Jan 2025 01:05 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने सुरक्षाबलों से बचने के लिए एक नया तरीका अपनाया है। वे अब अपनी गतिविधियों के लिए स्थानीय नेटवर्क के भरोसे रहने की बजाय ऑफलाइन लोकेशन ऐप अल्पाइन क्वेस्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस ऐप में कुछ संशोधन करके दिए हैं। इस ऐप का इस्तेमाल सामान्य तौर पर ट्रैकर करते हैं।

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    विदेशी आतंकियों को कश्मीर में अपने नेटवर्क पर घट रहा भरोसा। फाइल फोटो

    नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में हालात क्या बदले पाकिस्तान और उसके पालतू विदेशी आतंकियों का सक्रिय कश्मीरी आतंकियों और उनके नेटवर्क से विश्वास टूट गया है।

    सुरक्षाबल की निरंतर निगरानी से बचने के लिए वह सेटेलाइट और रेडियो फोन के इस्तेमाल से बच रहे हैं। यही वजह है कि वह अपनी गतिविधियों लिए स्थानीय नेटवर्क के भरोसे रहने की बजाय ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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    जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या 125 के आसपास

    पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ऐप में कुछ संशोधन करके दिए हैं। इस ऐप का इस्तेमाल सामान्य तौर पर ट्रैकर करते हैं। बता दें कि कश्मीर में आतंकियों का नेटवर्क काफी हद तक ध्वस्त हो चुका है।

    सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान दहशत फैलाने के लिए विदेशी आतंकियों को यहां धकेल रहा है। फिलहाल सूत्रो की मानें तो जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या 125 से अधिक हो सकती है। इनमें से करीब 45 आतंकी जम्मू संभाग के राजौरी-पुंछ, कठुआ-ऊधमपुर-डोडा और किश्तवाड़ में सक्रिय हैं।

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    इनमें लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट, जैश-ए-मोहम्मद के मुखौटा संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, द कश्मीर स्ट्राइकर्स और तहरीके लबैक मुजाहिदीन-ए-इस्लाम से संबंधित आतंकी ज्यादा हैं। लश्कर और टीआरएफ से संबंधित विदेशी आतंकियों की संख्या 50 होने की आशंका है।

    ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकी

    एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में सक्रिय विदेशी आतंकी स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर और गाइडों के साथ कम संपर्क रख रहे हैं। वह अपने ठिकाने में अधिक छिपे रहते हैं और सुरक्षा एजेंसियों से बचने, अपने ठिकानों तक आवाजाही के लिए ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ ऐप के ऑफलाइन संस्करण का इस्तेमाल कर रहे हैं।

    आतंकी कमांडरों व उनके हैंडलरों को चिंता रहती है कि स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर और गाइड किसी भी समय पाला बदलकर आतंकियों के ठिकाने और उनकी आवाजाही की सूचना सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचा सकते हैं। ऐसे में उन पर विश्वास वह करने से परहेज कर रहे हैं।

    गूगल अर्थ से एडवांस है ‘अल्पाइन क्वेस्ट’

    अल्पाइन क्वेस्ट ऐप गूगल अर्थ का एडवांस वर्जन है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर जंगल, नदी और पहाड़ों में एडवेंचर टूर और ट्रैकिंग पर जाने वाले लोग करते हैं। इस ऐप में पहले से तय किसी रूट को सेव करने का विकल्प भी है।

    इसकी मदद से कोई भी पहाड़, नदी या जंगल के किसी भी रास्ते से निकल सकता है। आतंकी किसी मार्ग से गुजरते हुए उसका पूरा नक्शा संरक्षित रख पाते हैं और बाद में इसका इस्तेमाल बिना इंटरनेट के कर सकते है।

    राजौरी-पुंछ के कई हमलों में इसी ऐप का इस्तेमाल

    सूत्रों ने बताया कि बीते दो वर्ष में जम्मू-कश्मीर में पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ और मारे गए आतंकियों से मिले उपकरणों से पता चलता है कि यह आतंकी डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के इस्तेमाल के पारंगत थे।

    राजौरी-पुंछ, कठुआ के अलावा डोडा व अनंतनाग में आतंकियों ने इसी ऐप का इस्तेमाल वारदात स्थल तक पहुंचने और वापस अपने ठिकाने पर छिपने के लिए किया।

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